शनिवार, 5 अगस्त 2017

राज्यसभा: रेलवे स्टेशनों के नाम बदलने पर हंगामा



विपक्ष ने अन्य मुद्दों पर भी सरकार को घेरा
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
केंद्र सरकार द्वारा देश के कुछ रेलवे स्टेशनों के नाम बदलने पर बिफरे विपक्ष ने राज्यसभा में जमकर हंगामा किया और सरकार पर देश का भूगोल बदलने का भी आरोप लगाया। इस हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही बाधित हुई।
राज्यसभा की शुक्रवार को शुरू हुई कार्यवाही के दौरान उपसभापति पीजे कुरियन ने आवश्यक दस्तावेज सदन के पटल पर रखवाने के बाद जब शून्यकाल शुरू कराया तो उसी दौरान सपा के सांसद नरेश अग्रवाल ने मुगल सराय रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर पंडित दीनदयाल उपाध्याय करने का मुद्दा उठाते हुए आरोप लगाया कि इस सैकड़ो साल से मुगलसराय नाम से दुनिया में पहचाने जाने वाले रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर सरकार उत्तर प्रदेश की भौगोलिक स्थिति बदल रही है। अग्रवाल के नियम 267 के तहत उठाए गये इस मुद्दे का अन्य विपक्षी दलों ने भी समर्थन करते हुए इसे गंभीर मुद्दा बताया और कहा कि देश में किसी रेलवे स्टेशन का नाम किसी व्यक्ति के नाम पर नहीं रखा गया है और ऐसा करके सरकार देश का भूगोल बदलना चाहती है। अग्रवाल ने कहा कि सरकार नई दिल्ली और कोलकाता रेलवे स्टेशन का नाम भी बदलने जा रही है। नाम बदलने की इस नीति के विरोध में टीएमसी के डेरेन ओब्राहम, सपा के प्रो. रामगोपाल यादव, नीरज शेखर आदि सदस्यों ने भी इस मुद्दे से अपने आपको सम्बद्ध किया। हालांकि उपसभापति ने नरेश अग्रवाल के नियम 267 के तहत दिये नोटिस को स्वीकार नहीं किया। इस मुद्दे को लेकर विपक्षी सांसद आसन के करीब नारेबाजी कर हंगामा करने लगे तो सदन की कार्यवाही 10 मिनट के लिए स्थगित कर दिया गया। हालांकि इसके बाद बैठक शुरू होने पर सदन में प्रश्नकाल सुचारू रूप से चला और कई सदस्यों ने लोक महत्व के अलग अलग मामले उठाए।
सरकार का तर्क
इस मुद्दे पर सदन में संसदीय कार्य राज्यमंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने विपक्ष पर आरोप लगाया कि ऐसा लगता है कि वह मुगलों के नाम पर स्टेशन का नाम चाहते हैं लेकिन एक विचारक का नाम उन्हें पसंद नहीं है। मुख्तार अब्बास नकवी ने बताया कि सरकार ने मुंबई में विक्टोरिया टर्मिनल का नाम बदलकर छत्रपति शिवाजी महाराज किया है, जो बांबे वीटी के नाम से जाना जाता था। उन्होंने बताया कि अंतोदय के प्रतीक दीन दयाल उपाध्याय के नाम से विपक्ष को ऐतराज क्यों है यह समझ से परे है और देश में केवल जगहों के नाम नेहरू या गांधी के नाम से ही नहीं हो सकते।
छत्तीसगढ़ का मामला
सदन में शून्यकाल के दौरान स्टेशनों के नाम बदलने के विरोध में हंगामे में ही कांग्रेस सदस्य छाया वर्मा ने छत्तीसगढ़ में वन विभाग की जमीन पर कब्जा करने का मामला नियम 267 के तहत उठाया। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ के महासमुंद जिले में राज्य सरकार में एक मंत्री ने फोरेस्ट की जमीन को अपने नाम कर लिया है, जो जलकी गांव के विष्णु साहू नामक व्यक्ति ने दान में दी थी। छाया वर्मा ने इस मामले की सीबीआई से जांच कराने की मांग की। उन्होंने वहां के एक मंत्री पर इस जमीन को अपने नाम करने का आरोप लगाते हुए कहा कि उस जमीन पर पानी और बिजली भी सरकार की लगती है। छाया वर्मा ने इस जमीन के बारे में कहा कि यहां पुरातत्व विभाग केा 11वीं 12वीं सदी के अवशेष भी मिले हैं, जिसके कारण यह इलाका पूरे भारत के मानचित्र पर आने वाला है।
आदिवासियों को न्याय दे सरकार
सदन में शून्यकाल के दौरान ही जदयू के शरद यादव ने आदिवासियों को न्याय दिलाने की मांग करते हुए कहा कि देश के आदिवासियों को 70 साल से पांचवीं और छठी अनूसूची में रखा गया है। इसमें पहाड़ी इलाकों के आदिसासी छठवीं अनूसूचि में हैं, लेकिन इसके बावजूद पूर्वोत्तर के आदिवासी ऐसी सुविधाओं से वंचित हैं। उन्होंने मणिपुर के आदिवासियों के साथ हो रहे अन्याय का मामला उठाते हुए कहा कि वहां के आदिवासियों को ऐसी कोई सुविधाएं नहीं मिल रही हैं जिन्हें इस दायरे में लाने के लिए पुराने समय मांग उठ रही है। इसलिए सरकार को इस मामले में ठोस कदम उठाना चाहिए।
जवानों की आत्महत्या
इसी दौरान सदन में संजय सेठ ने सशस्त्र सेनाओं में बढ़ रहे आत्महत्याओं के मामले को उठाया और कहा कि हर साल 100 जवान सुविधाओं के अभाव में मानसिक उत्पीड़न की जद में आकर आत्महत्याएं कर रहे हैं। वर्ष 2016 के आंकडों के आधार पर सेठ ने कहा कि इस वर्ष कुल 125 सुरक्षाकर्मी आत्महत्या करने को मजबूर हुए हैं, जिनमें 101 सेना, 19 वायु सेना और पांच नौसेना के जवान शामिल हैं। उन्होंने सरकार से इस दिशा में कार्यवाही करने की मांग की।
05Aug-2017

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