रविवार, 14 अप्रैल 2024

छत्तीसगढ़: भाजपा के सियासी गढ़ में कांग्रेस के सामने बड़ी चुनौती!

मध्य प्रदेश से अलग हुए छत्तीसगढ़ में अभी तक चार संसदीय चुनाव हुए 
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव में छत्तीसगढ की 11 लोकसभा सीटों के लिए तीन चरणों में मतदान कराया जा रहा है। नक्सल से प्रभावित इस राज्य में लोकसभा चुनाव के लिए राजनीतिक दलों ने अपनी सियासी बिसात नई रणनीति से बिछाई है। विधानसभा की तरह ही लोकसभा चुनाव में भी भाजपा और कांग्रेस के बीच ही चुनावी जंग होती रही है। इस बार भाजपा सभी 11 सीटों पर भगवा लहराने की रणनीति के साथ चुनाव मैदान में है। उधर कांग्रेसनीत इंडिया गठबंधन का नेतृत्व करने वाली कांग्रेस ने भाजपा प्रत्याशियों के खिलाफ बाजी पलटने की रणनीति के साथ उम्मीदवारों को चुनावी मैदान में उतारा है। छत्तीसगढ़ की सियासत में अभी तक भाजपा और कांग्रेस के बीच ही चुनावी मुकाबले होते आ रहे हैं। भाजपा राज्य में बुनियादी विकास और आदिवासी क्षेत्रों के लोगों की मूलभूत सुविधाओं से सामाजिक विचाराधारा में लाने के दावे के साथ सभी सीटों पर जीत हासिल करना चाहती है, तो वहीं इस राज्य में पिछले कांग्रेस शासन में जन कल्याण की योजनाओं पटरी में उतारने की हुंकार भरने वाली कांग्रेस को भी बड़ी आस है। दोनों दलों की चुनावी रणनीति में छत्तीसगढ़ का लोकसभा चुनाव जहां भाजपा के लिए महत्वपूर्ण है, वहीं कांग्रेस के लिए भी सियासी वैतरणी को पार करना किसी चुनौती से कम नहीं होगा। 
छत्तीसगढ़ राज्य के नवंबर 2000 में अस्तित्व आने पर अब तक हुए चार लोकसभा चुनाव में भाजपा का पलड़ा भारी रहा है। मसलन 2004, 2009 और 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने दस सीटों पर कब्जा किया है, जबकि कांग्रेस को एक-एक सीट पर संतोष करना पड़ा। लेकिन 20019 के चुनाव में भाजपा को नौ और कांग्रेस को दो सीटें मिल सकी। राज्य की 11 लोकसभा सीटों में चार अनुसूचित जनजाति (एसटी) और और एक अनुसूचित जाति (एससी) श्रेणी के उम्मीदवारों के लिए आरक्षित हैं। पिछले साल के अंत में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की सत्ता के खिलाफ भाजपा ने अपना परचम लहराकर सरकार बनाई। राज्य में भाजपा को विधानसभा चुनाव की तर्ज पर लोकसभा चुनाव में भी भाजपा को इसी प्रकार मतदाताओं का व्यापक समर्थन मिलने की उम्मीद है। 
पुरुषों से ज्यादा महिला मतदाता 
छत्तीसगढ़ के 33 जिलों की 90 विधानसभा क्षेत्रों से बनी 11 लोकसभा सीटों पर मतदान के लिए 2,05,13,252 मतदाता पंजीकृत हैं। इनमें जिनमें 1,03,32,115 महिला और 1,01,80,405 पुरुष, 732 ट्रांसजेंडर के अलावा 1,91,638 दिव्यांग, 85 साल से ज्यादा आयु के 82,476 मतदाताओं में 2,855 बुजुर्ग की आयु 100 साल से भी ज्यादा है। वहीं प्रदेशभर में 19,905 सर्विस और 17 एनआरई मतदाता शामिल हैं। प्रदेश में 18-19 आयु वर्ग के 5,77,184 मतदाता हैं, जो पहली बार अपने मताधिकार का इस्तेमाल कर सकेंगे। वहीं 20-29 उम्र के 4711890 मतदाताओं भी पंजीकृत हैं। खासबात ये है कि प्रदेश की 11 लोकसभा सीटों में से नौ सीटें ऐसी हैं, जहां पुरुषों से ज्यादा महिला मतदाता पंजीकृत हैं। प्रदेश में पिछले लोकसभा चुनाव की अपेक्षा पांच साल के अंतराल में 15,14,013 यानी 7.96 फीसदी मतदाताओं की संख्या का इजाफा हुआ है। चुनाव आयोग की व्यवस्था के अनुसार 85 वर्ष से अधिक उम्र के वरिष्ठ नागरिक, 40 प्रतिशत से अधिक विकलांगता वाले दिव्यांग और कोविड-19 से संक्रमित लोग घर से डाक मतपत्र के माध्यम से वोट डाल सकेंगे। 
प्रदेश में 24,229 मतदान केंद्र 
छत्तीसगढ़ में तीन चरणों के चुनाव में अधिक से अधिक मतदान कराने की दिशा में 24,229 मतदान केंद्र बनाए गए हैं, इनमें 24109 मुख्य मतदान केंद्र तथा 120 सहायक मतदान केंद्र के रुप में स्थापित किये गये हैं। इनमें से पहले चरण की बस्तर सीट पर होने वाले चुनाव के लिए 1961, दूसरे चरण में तीन सीटों पर मतदान के लिए 6567 मतदान केंद्र स्थापित किये गये हैं। जबकि बाकी तीसरे चरण में सात सीटों के लिए होने वाले चुनाव के लिए बनाए गये हैं। प्रदेश में इन मतदान केंद्रों में से 3320 मतदान केन्द्र ऐसे हैं, जिनका संचालन करने की पूरी जिम्मेदारी महिला मतदान कर्मियों को सौंपी गई है। जबकि इसके अलावा इनमें 90 दिव्यांग तथा 387 युवा मतदान केंद्र भी बनाए गए हैं। इसके अलावा प्रदेश भर में 450 आदर्श मतदान केन्द्र भी स्थापित किये जा रहे हैं। 
नौ सीटों पर निर्णायक भूमिका में महिलाएं 
छत्तीसगढ़ की 11 लोकसभा सीटों में नौ सीटों पर महिला मतदाताएं प्रत्याशियों का सियासी भविष्य तय करने के लिए निर्णायक हो सकती हैं। दरअसल राजधानी की रायपुर के अलावा बस्तर, महासमुंद, रायगढ़, राजनांदगांव, कोरबा, सरगुजा, दुर्ग और कांकेर लोकसभा सीटों पर महिला मतदाताओं की संख्या पुरुषों से भी ज्यादा हैं। मसलन बिलासपुर और जांजगीर लोकसभा सीट पर ही पुरुष मतदाता महिलाओं से ज्यादा हैं। इसलिए पिछले विधानसभा की तरह इस बार भी भाजपा को महिलाओं का समर्थन मिलने की उम्मीद है। यही कारण है कि प्रदेश में भाजपा और कांग्रेस ने तीन-तीन महिलाओं को अपना प्रत्याशी बनाकर महिलाओं को आकर्षित करने का दावं खेला है। उधर भाजपा यह दावा करते नहीं थक रही है कि उनकी सररकार ने प्रदेश में करीब 70 लाख महिलाओं को महतारी वंदन योजना का लाभ देकर उन्हें सशक्त बनाने का काम किया है। 
पहला चरण का चुनाव बड़ी चुनौती 
पहले चरण में नक्सलवाद व माओवादी प्रभावित क्षेत्र की बस्तर लोकसभा सीट पर 19 अप्रैल को चुनाव होगा। इस लोकसभा सीट में कोंडागांव, नारायणपुर, बस्तर, जगदलपुर, चित्रकोट, दंतेवाड़ा, बीजापुर और कोंटा यानी आठ विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं। इस लोकसभा सीट पर 11 प्रत्याशियों को 14,72,207 मतदाताओं के चक्रव्यूह को भेदने की चुनौती होगी, जहां 7 लाख 476 पुरुष मतदाताओं के मुकाबले कहीं ज्यादा 7,71,679 महिला मतदाताओं की अहम भूमिका होगी। वहीं इस सीट पर 52 ट्रांसजेंडर और 12703 दिव्यांगों के अलवा 1603 सर्विस मतदाता भी मतदान करेंगे। चुनाव के लिए बस्तर सीट पर 1961 मतदान केन्द्र स्थापित किये गये हैं। चुनाव आयोग ने निष्पक्ष एवं शांतिपूर्ण तथा शतप्रतिशत मतदान कराने की दिशा में व्यापक प्रबंध किये हैं, जहां कड़ी सुरक्षा के साये में मतदान कराया जाएगा। 
बस्तर में कांटे की टक्कर 
छत्तीसगढ़ के अलग राज्य के अस्तित्व में आने के बाद अभी तक हुए चार लोकसभा चुनाव में बस्तर लोकसभा सीट पर तीन बार भाजपा का परचम लहराया है, लेकिन पिछले साल 2019 के चुनाव में कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी, जिसकी वापसी के लिए भाजपा को उम्मीद है। पहले चरण में नक्सल से प्रभावित और आदिवासी बाहुल्य बस्तर लोकसभा सीट पर भाजपा ने महेश कश्यप को मैदान में उतारा है। भाजपा प्रत्याशी को कड़ी चुनौती देने के इरादे कांग्रेस ने भी आदिवासियों में खासी पैंठ रखने वाले कवासी लखमा को चुनावी जंग में उतारा है। जबकि यहां भाकपा के फूल सिंह कचलाम, बसपा आयतू राम मंडावी तथा जीजीपी के टीकम नागवंशी समेत 11 प्रत्याशी चुनावी जंग में हैं। इस सीट पर 1951 के पहले लोकसभा चुनाव से 1996 तक कांग्रेस का दबदबा रहा है और पहली बार 1996 के चुनाव में एक निर्दलीय प्रत्याशी ने कांग्रेस के विजय रथ को रोका था। इसके बाद 1998 के बाद इस सीट पर दो दशक तक भाजपा काबिज रही, लेकिन साल 2019 के लोकसभा चुनाव में बस्तर सीट पर फिर कांग्रेस ने बाजी मारी, जिसे इस बार भाजपा पलटने की कोशिश में है। यह भी खासबात है कि इस सीट पर पिछले दो दशक से कश्यप परिवार चुनाव जीतता आ रहा है। 
छत्तीसगढ़ में तीन चरणों में होगा मतदान 
पहला चरण(19 अप्रैल)-बस्तर में मतदान होगा. 
दूसरा चरण(26 अप्रैल)- राजनांदगांव, महासमुंद और कांकेर। 
तीसरा चरण(07 मई)- सरगुजा, रायगढ़, जांजगीर-चांपा, कोरबा, बिलासपुर, दुर्ग और रायपुर। 
मुकाबले में भाजपा व कांग्रेस के उम्मीदवार 
सीट                      भाजपा                 कांग्रेस 
रायपुर-  बृजमोहन अग्रवाल        विकास उपाध्याय 
दुर्ग-       विजय बघेल                 राजेन्द्र साहू 
राजनांदगांव- संतोष पांडेय         भूपेश बघेल 
सरगुजा- चिंतामणि महाराज      शशि सिंह 
बिलासपुर- तोखन साहू             देवेन्द्र सिंह यादव 
कोरबा- सरोज पांडेय                 ज्योत्सना महंत  
महासमुंद- रूप कुमारी            ताम्रध्वज साहू
रायगढ़- राधेश्याम राठिया    डा. मेनका देवी सिंह 
बस्तर- महेश कश्यप             कवासी लखमा 
कांकेर- भोजराज नाग            बीरेश ठाकुर 
जांजगीर-चांपा- कमलेश जांगड़े-   शिवकुमार डहरिया 
14Apr-2024

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें