बुधवार, 10 अप्रैल 2024

असम: नए सियासी समीकरणों में उलझे सियासी दल

सीएए के खिलाफ आंदोलन के सामने भाजपा की अग्नि परीक्षा, विपक्ष की चुनौती भी कम नहीं 
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव में असम की 14 लोकसभा सीटों पर तीन चरणों में चुनाव होगा। राज्य में परिसीमन के तहत सभी लोकसभा क्षेत्रों की सीमाओं का पुनर्निधारण होने के बाद पहली बार हो रहे इन लोकसभा चुनाव में भाजपा और कांग्रेस गठबंधन तथा अन्य दलों के सामने चुनावी रणनीति तैयार करने के लिए भी मशक्कत करने को मजबूर होना पड़ रहा है। हालांकि सभी दल इस चुनावी महासंग्राम में अपनी नई रणनीतियों का ताना-बाना बुनकर अपनी सियासत की वैतरणी को पार लगाने की जुगत में हैं। भले ही भाजपा नेतृत्व वाले गठबंधन और कांग्रेसनीत इंडिया गठबंधन एक दूसरे के खिलाफ विभिन्न मुद्दों को लेकर वर्चस्व के लिए संघर्ष और दावे कर रहा हो, लेकिन राजनीतिक विशेषज्ञों को असम में लोकसभा चुनाव के इस बार चुनावी नतीजें चौंकाने वाले आने की उम्मीद है। 
पूर्वोत्तर के सबसे बड़े राज्य असम में लोकसभा चुनाव के महासमर का भी बड़ा मैदान है। लेकिन पिछले साल राज्य की लोकसभा और विधानसभा क्षेत्रों के परिसीमन के बाद भौगोलिक और राजनीतिक परिदृश्य बदलने के बाद पहली बार हो रहे लोकसभा चुनाव के सियासी समीकरण भी बदल गये हैं। यही कारण है कि राज्य में तमाम राजनीतक दलों को नई रणनीति के साथ चुनाव मैदान में है। जहां विपक्षी दल को देश में लागू हो चुके नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ राज्य में चल रहे आंदोलन से बहुत कुछ उम्मीद है। जहां तक भाजपा का सवाल है, उसे इस कानून से पहले से भी ज्यादा सियासी लाभ की आस लगी हुई है। इसका कारण भी साफ है कि भाजपा के इस कानून को लाने के शफुगा छोड़ने और संसद में पारित होने के खिलाफ ऐसे आंदोलन से असम में राजनीतिक लाभ मिला है यानी उसके बाद पिछले लोकसभा चुनाव में जहां उसे कहीं ज्यादा सीटों पर जीत मिली थी, तो वहीं राज्य में भी भाजपा का शासन है। ऐसे में लागू हुए सीएए के खिलाफ इस आंदोलन से भाजपा को अपने सहयोगी दलो के साथ तमाम 14 सीटों पर जीत मिलने की उम्मीद नजर आ रही है, लेकिन नागरिकता संशोधन कानून जैसे संवेदनशील मुद्दे के खिलाफ आंदोलन को विपक्ष जिस प्रकार हवा दे रहा है, उसका सामना करने की भी भाजपा के लिए कड़ी चुनौती होगी। हालांकि चुनाव नतीजों के बाद नए परिसीमन और सीएए का लाभ किस गठबंधन को मिलेगा। 
मतदाताओं की संख्या में इजाफा 
असम में राज्य में कुल 2,43,01,960 मतदाता हैं, जिनमें 1,21,79,358 पुरुष, 1,21,22,188 महिलाएं और 414 थर्डजेंडर मतदाता शामिल हैं। साल 2019 के लोकसभा चुनाव में इस राज्य में 2,19,91,114 मतदाता थे, जिनमें 1,12,35,129 पुरुष, 1,07,55,492 महिलाएं और 491 थर्डजेंडर शामिल थे। इस प्रकार लोकसभा चुनाव 2024 में मतदाताओं की संख्या में 23,10,848 की वृद्धि होगी, जिसमें 13,66,696 महिला तथा 9,44,229 पुरुष मतदाता बढ़े हैं। जबकि थर्डजेंडर मतदाताओं की संख्या में 77 की कमी दर्ज की गई है। इस मतदाता सूची में नए मतदाताओं के रुप में 7,26,783 युवा मतदाता हैं, जिनमें 18-29 साल के करीब 4.5 लाख मतदाताओं के नाम जोड़े गये हैं। असम में सबसे कम 8,92,789 मतदाता दीफू लोकभा सीट और सबसे अधिक 26,43,403 मतदाता धुबरी लोकसभा सीट पर हैं। 
गठबंधन में भाजपा 11 सीटों पर लड़ेगी चुनाव 
असम पूर्वोत्तर भारत के एक प्रमुख राज्य में शुमार है, जहां 126 विधानसभा क्षेत्रों के विभाजन से बनी 14 लोकसभा सीटों में से 11 सीटें सामान्य हैं। जबकि दो अनुसूचित जनजाति (एसटी) तथा एक अनुसूचित जाति (एससी) प्रत्याशी के लिए आरक्षित श्रेणी में है। असम की 14 सीटों पर राजग गठबंधन में भाजपा 11 लोकसभा सीटों करीमगंज, कलियाबोर, लखीमपुर, डिब्रूगढ़, सिलचर, स्वायत्त जिला, गौहाटी, मंगलदोई, तेजपुर, नौगोंग और जोरहाट लोकसभा सीटों परपर चुनाव लड़ रही है, जबकि उसके सहयोगी दल असम गण परिषद(एजीपी) बारपेटा और धुबरी के अलावा यूनाइटेड पीपुल्स पार्टी लिबरल (यूपीपीएल)कोकराझार लोकसभा सीट पर अपना प्रत्याशी उतार रही है। सभी सीटों पर एक दूसरी पार्टी अपने सहयोगी उम्मीदवार का समर्थन करेगी। असम के परिसीमन के बाद 14 लोकसभा सीटों में से 11 सीटें सामान्य सीटें हैं। जबकि दो अनुसूचित जनजाति (एसटी) और एक अनुसूचित जाति (एससी) उम्मीदवारों के लिए आरक्षित है। 
पहले चरण में दांव पर 35 प्रत्याशियों की प्रतिष्ठा 
असम में पहले चरण में पांच लोकसभा सीटों काजीरंगा, जोरहाट, डिब्रूगढ़, लखीमपुर और सोनितपुर पर 19 अप्रैल को होने वाले चुनाव में 35 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं। काजीरंगा सीट पर सबसे अधिक 11 और डिब्रूगढ़ में सबसे कम 3 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं। इस चरण में जिनकी प्रतिष्ठा दावं पर लगी है, उनमें केंद्रीय मंत्री केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल, भाजपा सांसद टोपोन गोगोई, प्रदान बरुआ व कामाख्या प्रसाद तासा और कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई जैसे प्रत्याशी प्रमुख रुप से शामिल हैं। असम में हो रहे लोकसभा चुनाव में अपनी सियासी जमीन तैयार करने के लिए प्रमुख रुप से भाजपा, असम गण परिषद (एजीपी), यूपीपीएल, कांग्रेस एआईयूडीएफ, टीएमसी, असम जातीय परिषद, आम आदमी पार्टी (आप), रत्रिय उलेमा काउंसिल रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया जैसे दल चुनाव मैदान मे हैं। 
जातीय समीकरण साधने की तैयारी 
असम में जनगणना 2011 के अनुसार 3.11 करोड़ से अधिक की आबादी है, जिसमें 34.2 प्रतिशत मुस्लिम आबादी है। पिछले दो लोकसभा चुनाव की तर्ज पर इस बार भी राज्य में भाजपा असमिया राष्ट्रवाद को हिंदू राष्ट्रवाद में बदलने की रणनीति के तहत राज्य के हिंदू, बंगाली, बहिरागतों को अपना जनाधार बनाने की जुगत में है,क्योंकि इस वर्ग का मुस्लिमों से टकराव चलता आ रहा है। भाजपा के सहयोगी दल भी कुछ इसी तरह की चुनावी रणनीति के साथ चुनाव में है। दरअसल असम में भाजपा की ताकत सबसे पहले बराक घाटी में ही बनी, जहां मुस्लिम बहिरागतों की तादाद सबसे ज्यादा है। पिछड़ी जाति के हिंदुओं ने भी अब कांग्रेस से किनारा करना शुरु कर दिया है। जबकि कांग्रेस का वोटबैंक माने जाते रहे अनुसूचित जाति और आदिवासियों के छिटकने का कारण भी इस राज्य में कांग्रेस के लिए परेशानी का सबब बन सकता है। 
असम में तीन चरणों में चुनाव चरण 1 (19 अप्रैल)- काजीरंगा, सोनितपुर, लखीमपुर, डिब्रूगढ़, जोरहाट। 
चरण 2(26अप्रैल)-दरांग-उदलगुड़ी, दिफू, करीमगंज, सिलचर, नगांव।
चरण 3(07 मई )- कोकराझार, धुबरी, बारपेटा, गुवाहाटी। 
 09Apr-2024

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