शुक्रवार, 5 अप्रैल 2024

मणिपुर: सबसे मुश्किल चुनाव में होगी सत्तारूढ दल की अग्नि परीक्षा!

कांग्रेस की भारत न्याय यात्रा भी कसौटी पर कसेंगे मतदाता 
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली। देश की 18वीं लोकसभा के लिए मणिपुर की दो लोकसभा सीटों पर ऐसे समय चुनाव हो रहे हैं, जब इस सूबे में जातीय हिंसा के जख्म अभी भरे नहीं हैं। इसी वजह से सुरक्षा की दृष्टि से इन दोनों सीटों पर मतदान कराने के लिए दो चरण में एक विशेष व्यवस्था की गई है, जिसमें 19 अप्रैल को पहले चरण में दोनों ही सीटों पर चुनाव होगा, लेकिन बाहरी मणिपुर सीट के अंतर्गत असुरक्षित श्रेणी में निर्धारित तेरह सीटों पर दूसरे चरण में 26 अप्रैल को चुनाव होगा। इसलिए माना जा रहा है कि पिछले दिनों हिंसा से ग्रस्त रहे मणिपुर की दोनों सीटों पर जहां सत्तारुढ़ दल की अग्नि परीक्षा होगी। वहीं हिंसा को लेकर सत्ता के खिलाफ मोर्चा खोलते रहे विपक्षी दलों खासकर कांग्रेस के सामने भी भारत न्याय यात्रा की कसौटी पर खरा उतरने की चुनौती होगी। पूर्वोत्तर में 16 जिले वाले मणिपुर में दो लोकसभा सीट भीतरी मणिपुर और बाहरी मणिपुर पर पिछले साल मई में शुरु हुई जातीय हिंसा लंबे समय तक राज्य और केंद्र सरकार के लिए सिरदर्द बनी रही है। हालांकि केंद्र सरकार ने राज्य की सरकार के साथ मिलकर प्रदेश में शांति बनाने के लिए कई पहल की। वहीं विपक्षी दलों ने इस हिंसा पर सियासत करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। हिंसा के बाद मणिपुर में पहली बार चुनाव हो रहे हैं। इससे पहले राज्य में लोकसभा चुनाव कराने की संभावनाएं तलाशने के लिए केंद्र सरकार के साथ-साथ सुरक्षा एजेंसियों के अलावा केंद्रीय चुनाव आयोग ने भी समीक्षा करके नई व्यवस्था को अमल में लाने का फैसला किया। राजनीतिक विशेषज्ञ भी ऐसे माहौल में चुनाव कराने का चुनौती मान रहे हैं, लेकिन फिलहाल मणिपुर में भी चुनावी माहौल बनने लगा है और दोनों सीटों पर लगभग राजनीतिक दलों ने अपने उम्मीदवार भी तय कर दिये हैं। अब देखना है कि मणिपुर की इन दोनों सीटों का चुनावी ऊंट किस करवट बैठता है, यह चुनाव नतीजों के बाद तय होगा। हालांकि राज्य में मतदान के दौरान सुरक्षा व्यवस्था कायम रखने की भी सरकार के सामने चुनौती कम नहीं होगी? 
मतदाताओं का चक्रव्यूह 
मणिपुर की दोनों लोकसभा सीटों पर इस बार कुल 20,26,623 मतदाताओं का चक्रव्यूह है, जिसमें 9,79,678 पुरुष और 10,46,706 महिला मतदाता हैं, जबकि 239 थर्डजेंडर मतदाता भी पंजीकृत हैं। इनमें नए युवा मतदाताओं की संख्या 19,095 महिलाओं और नौ थर्डजेंडर समेत 34,700 है, जो पहली बार मतदान करेंगे। वहीं दिव्यांगों की 14,264 तथा सर्विस मतदाताअें की संख्या 21,815 है। राज्य में 32 विधानसभाओं वाली भीतरी मणिपुर सीट पर 10,10,618 तथा बाहरी मणिपुर सीट, जिसमें 28 विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं, पर 10,16,005 मतदाता वोटिंग करेंगे। इस सीट की सात विधानसभा थोउबल जिले में हैं, जिसका अधिकांश हिस्सा पहाड़ी क्षेत्र में शामिल है। आयोग की सूची के मुताबिक इस संसदीय सीट पर 3,176 निर्बल मतदाता भी शामिल है। 2019 में चुनाव आयोग ने पहली बार मूक-बधिर और नेत्रहीन मतदाताओं की सुविधा के लिए मुफ्त में पिक एंड ड्रॉप की सुविधा प्रदान किया था। 
बाहरी मणिपुर सीट पर दो चरणों में चुनाव 
मणिपुर में लोकसभा चुनाव के पहले चरण में 19 अप्रैल को भीतरी मणिपुर सीट में शामिल सभी 32 सीटों के साथ बाहरी मणिपुर सीट की 28 में से केवल 15 विधानसभा सीटों पर लोकसभा के लिए चुनाव कराया जाएगा। बाकी 13 विधानसभा सीटों पर लोकसभा के लिए दूसरे चरण में 26 अप्रैल को मतदान होगा। इसलिए बाहरी मणिपुर लोकसभा सीट पर दो चरणों में मतदान कराने का निर्णय भी लिया गया है। 
1058 को ‘संवेदनशील’ मतदान केंद्र 
हिंसाग्रस्त मणिपुर में लोकसभा चुनावों के सुचारू संचालन के मकसद से चुनाव आयोग द्वारा एक मजबूत प्रणाली तैयार की है। जिसमें 197 उड़न दस्ते, 194 स्थैतिक निगरानी टीमें, 92 वीडियो निगरानी टीमें, 60 वीडियो देखने वाली टीमें और 60 लेखा टीमें शामिल हैं। वहीं लोकसभा चुनाव के लिए 2955 मतदान केंद्रों की स्थापना की गई है, जिनमें से 1058 को ‘संवेदनशील’ के तौर पर चिन्ह्रित किया गया। अतिसंवेदशील और संवेदनशील मतदान केंद्रों को माइक्रो पर्यवेक्षकों की तैनाती और सीएपीएफ की अतिरिक्त तैनाती के साथ वेबकास्टिंग और वीडियोग्राफी के दायरे में शामिल किया गया है। ज्यादातर संवेदनशील मतदान केंद्रों दूसरे चरण में 26 अप्रैल को मतदान होगा। 
शिविर से मतदान की इजाजत 
मणिपुर में हिंसा से प्रभावित शिविरों में रहने वाले लोगों को उनके शिविर से मतदान की इजाजत दी गई है। इसलिए चुनाव आयोग ने मणिपुर के विस्थापित मतदाताओं को लेकर गहन मंथन के बाद राज्य के आंतरिक रूप से विस्थापित व्यक्तियों के लिए राहत शिविरों में मतदान करने की एक योजना तैयार की है। चुनाव की इस योजना के अनुसार ऐसे मतदाताओं को उस स्थान का सामान्य निवासी माना जाएगा, जहां से वे विस्थापित हुए हैं और इसलिए उन्हें मूल स्थान का मतदाता माना जाएगा। 
एक सीट पर भाजपा का कब्जा
पिछले लोकसभा चुनाव में बाहरी मणिपुर सीट पर नगा पीपुल्स फ्रंट के लोर्हो एस फोज ने जीत हासिल की थी, जिसने भाजपा प्रत्याशी एच शोखोपाओ मैट को पराजित किया था। जबकि सामान्य श्रेणी की भीतरी मणिपुर सीट पर भाजपा के प्रत्याशी डॉ. राजकुमार रंजन सिंह जीतकर लोकसभा पहुंचे थे। इन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी ओइनम नाबाकिशोर सिंह को पराजित किया था। भतीरी मणिपुर लोकसभा क्षेत्र से भाजपा ने इस बार थौनाओजम बसंत कुमार सिंह को अपना उम्मीदवार बनाया है। 
क्या है राज्य का परिदृश्य 
 मणिपुर की जनसंख्या 2011 की जनगणना के अनुसार 2,855,794 है। 22 हजार तीन सौ 27 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल वाले मणिपुर की आधिकारिक भाषा मैतेयी और अंग्रेजी है। मणिपुर की 60 विधानसभा सीटों में से 40 सीटों पर मैतेई समुदाय का दबदबा है। क्योंकि उनकी जनसंख्या कुल आबादी की 53 फीसदी है। फिलहाल राज्य में भाजपा के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह भी मैतई समुदाय से ही आते हैं। 
इसलिए हिंसा पर मणिपुर 
म्यांमार की सीमा से सटे मणिपुर में आधे से अधिक मैतेई समुदाय के लोग तथा करीब 43 फीसदी कुकी और नगा समुदाय की आबादी है, जो जनजातियां मानी जाती हैं। मणिपुर में पिछले साल 3 मई से हिंसा की शुरुआत मैतेई (घाटी बहुल समुदाय) और कुकी जनजाति (पहाड़ी बहुल समुदाय) के बीच हिंसा से हुई। दरअसल मणिपुर में मैतेई समाज की मांग है कि उसको कुकी की तरह राज्य में शेड्यूल ट्राइब (जनजाति) का दर्जा दिया जाए, जिसका कुकी समुदाय ने जमकर विरोध किया। इसी हिंसा ने उस समय उग्र रुप ले लिया था जब मैतेई समुदाय द्वारा कुकी समुदाय की दो महिलाओं को नग्न अवस्था में परेड कराने के मामला सोशल मीडिया पर सुर्खियां बना। 
05Apr-2024

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