सोमवार, 22 अप्रैल 2024

केरल: भाजपा के लिए आसान नहीं ‘रेड कॉरिडोर’ पर भगवा फहराना

ध्रुवीकरण के दौर में कांग्रेस के सामने भी दोहरे मोर्चे पर साख बचाना बड़ी चुनौती
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण में दक्षिण भारत के केरल की सभी 20 लोकसभा सीटों पर 26 अप्रैल को चुनाव होगा। केरल देश का ऐसा राज्य है, जहां रेड कॉरिडोर की सियासत में रणनीतिक पैंतरेबाजी के साथ राजनीतिक परिदृश्य अभियान में चुनावी सरगर्मी चरम पर है। इसका कारण सत्तारूढ़ गठबंधन यूडीएफ को चुनौती देने के लिए इस बार भाजपा की रणनीतिक भागीदारी ने लोकसभा चुनाव को दिलचस्प मोड़ पर लाकर खड़ा कर दिया है। भाजपा केरल में भारत धर्म जन सेना के साथ गठबंधन के साथ चुनाव मैदान में है। इसलिए केरल के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस नेतृत्व वाले यूडीएफ और वामदलों वाले एलडीएफ गठबंधन के बीच भाजपानीत राजग गठबंधन ने अपनी चुनावी रणनीति से चुनावी मुकाबले को त्रिकोणीय मोड़ पर लाकर खड़ा कर दिया है, जहां भाजपा की रेड कॉरिडोर पर भगवा लहराने की ही चुनौती नहीं है, बल्कि उसके सामने सियासी खाता खोलने की भी दरकार है। 
दक्षिण भारत के केरल राज्य की देश के अन्य राज्यों की तुलना में कई मामलों में एक दम अलग है। यहां वामदलों की सरकार है। राज्य की 140 विधानसभाओं से घिरी 20 लोकसभा सीटों के चुनाव में भाजपा ने जिस रणनीति से अपनी चुनावी बिसात बिछाई है। राज्य के कारोबारी वामदलों की नीतियों से नाराज हैं, लेकिन भाजपा की हिंदुत्व की नीतियों के भी पक्ष में नहीं है। इसलिए इस बार कांग्रेस के सामने भाजपा और वामदलों से अपने उस वोटबैंक को बचाने की चुनौती का भी सामना करना पड़ रहा है, जिस पर भाजपा और वामदलों की नजरें हैं। लोकसभा के सियासी समीकरणों से संकेत मिल रहे हैं कि सीपीएम ने कांग्रेस के मुस्लमि वोटबैंक को साधने की रणनीति से चुनावी मैदान में कदम रखा है, तो वहीं भाजपा हिंदू और ईसाई वोटबैंक को एकजुट करने की रणनीति में चुनावी गोटयां फिट कर रही है। इसलिए कांग्रेस के सामने साल 2019 के चुनाव में जीती गई 15 सीटों को बचाए रखने की बड़ी चुनौती होगी। 
क्या है दलों की चुनावी रणनीतियां 
केरल में मुस्लिम वोट प्रमुख रुप से कांग्रेस के साथ जाता रहा है। लेकिन ईसाइ वोटबैंक कांग्रेस और वामदलों दोनों में विभाजित होता आया है। इसी कारण इस चुनाव में कांग्रेस व वामदलो ने जहां मणिपुर हिंसा को भी चुनावी मुद्दे का हिस्सा बनाया है। वहीं वामदलों सीएए और गाजा पट्टी पर इजरायल के हमले का खुलकर विरोध कर इस मुद्दे को चुनावी सभाओं में उठा रहे हैं। जबकि भाजपा धुव्रीकरण की रणनीति से यहां धर्मांतरण आधारित ‘द केरल स्टोरी’ को मुद्दा बना रही है, जिसकी पटकथा मध्य प्रदेश के धार निवासी सूर्यपाल सिंह ने लिखी थी। लोकसभा चुनाव में भले ही मुद्दे कुछ भी हों और भारत धर्म जन सेना के साथ भाजपा के गठबंधन मजबूत न हो, लेकिन भाजपा की रणनीति की वजह से केरल में लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (एलडीएफ) और कांग्रेस नीत यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ) के चुनावी मुकाबले को त्रिकोणीय संघर्ष के आसार पैदा कर दिये हैं। यूडीएफ गठबंधन में कांग्रेस 15, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग 2 तथा केरल कांग्रेस व आरएसपी एक-एक सीट पर चुनाव लड़ रही है। जबकि भाजपा ने 16 उम्मीदवारों को चुनाव मैदान में उतारा है। एलडीएफ गठबंधन में सीपीआईएम 15, सीपीआई 4 तथा केसीएम एक सीट पर चुनाव लड़ रही है। लोकसभा चुनाव की 20 सीटो पर कुल 194 प्रत्याशी अपनी किस्मत आजमा रहे हैं, जिनमें बसपा ने भी 18 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे हैं। इसके अलावा बहुजन द्रविड़ पार्टी, भारत की अंबेडकरवादी पार्टी जैसे अन्य आधा दर्जन से ज्यादा दल भी इस सियासी जंग का हिस्सा हैं। 
इन दिग्गजों की दांव पर होगी प्रतिष्ठा 
केरल की 20 लोकसभा सीटों में वायनॉड लोकसभा सीट से कांग्रेस नेता राहुल गांधी चुनाव मैदान में दूसरी बार आए हैं और इसलिए यह हॉट सीट मानी जा रही है, कि भाजपा की रणनीति के तहत उनका मुकाबला करने के भाजपा ने यहां केरल के भाजपा प्रदेशाध्यक्ष के. सुरेन्द्रन को चुनावी जंग में उतारा है, जबकि भाकपा ने एनी राजा को चुनाव मैंदान में उतारा है। तिरुवंतपुरम में कांग्रेस के शशि थरुर के सामने भजपा के केंद्रीय मंत्री राजीव चन्द्रशेखर होंगे, तो वहीं भाजपा के लिए उम्मीद बनी त्रिशूर लोकसभा सीट पर भाजपा ने फिल्म अभिनेता सुरेश गोपी को उतारा है। अलपुझा सीट पर कांग्रेस के महासचिव केसी वेणुगोपाल को चुनौती दने के लिए भाजपा शोभा सुरेन्द्रन को प्रत्याशी बनाया है। पथानामथिट्टा सीट पर भाजपा ने कांग्रेस दिग्गज नेता एंटी एंटोनी के सुपुत्र अनिल एंटनी को चुनावी जंग में उतारा है। एंटीगल सीट पर भाजपा के टिकट पर केंद्रीय मंत्री वी. मुरलीधरन की प्रतिष्ठा भी दांव पर होगी। 
इसलिए पहचाना जाता है केरल 
केरल की दुनिया भर में अपने मसालों और नारियल के लिए बड़ी पहचान है। वहीं अच्छी जलवायु, यातायात की उचित सुविधाओं और समृद्ध सांस्कृतिक परंपराओं के कारण यह पर्यटकों में भी बेहद लोकप्रिय है। आर्थिक और शिक्षा के क्षेत्र में संपन्न माने जाने वाले इस राज्य में हिन्दुओं तथा मुसलमानों के अलावा ईसाई आबादी भी बड़ी संख्या में रहती है। केरल से बड़ी संख्या में मुस्लिम खाड़ी देशों में अच्छा कारोबार कर रहे हैं, तो केरल में भी अच्छा निवेश आने से आर्थिक रुप से संपन्नता में भी सुर्खियों में है। इसके विपरीत वामदलों के बढ़ते साम्राज्य में धर्मांतरण के मामलों के लिए चर्चित केरल में आरएसएस कार्यकर्ताओं की सर्वाधिक हत्या के मामले सामने आते रहे हैं। बहरहाल इन लोकसभा चुनाव में सभी राजनीतिक दल ऐसे मुद्दों पर सियासत करते हुए अपनी जमीन बोने में जुटे हुए हैं। 
मतदाताओं का चक्रव्यूह 
केरल में लोकसभा चुनाव के दौरान प्रत्याशियों को 2,77,49,159 मतदाताओं के चक्रव्यूह को भेदने की चुनौती होगी, जिसमें 1,43,33,499 पुरुष और 1,34,15,293 महिलाओं के अलावा 367 थर्डजेंडर मतदाता हैं। लोकसभा चुनाव में 18-19 आयुवर्ग के 5,34,394 युवा मतदाता पहली बार मतदान करेंगे। राज्य में लिंग अनुपात बेहतर होने की वजह से पुरुषों से ज्यादा महिला मतदाताओं की संख्या है, तो उनकी भी इस सियासी संग्राम में निर्णायक भूमिका होगी। 
क्या जातिगत समीकरण 
केरल राज्य में हालांकि सबसे ज्यादा 54.73 प्रतिशत हिंदू आबादी है, तो मुस्लिम आबादी 26.56 प्रतिशत और ईसाई आबादी 18.38 प्रतिशत है। जबकि केरल में रहने वाले सिक्खों, बौद्ध, जैन और अन्य धर्म के लोगों की संख्या एक प्रतिशत भी पूरी नहीं है। 
  22Apr-2024

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