शुक्रवार, 26 अप्रैल 2024

हॉट सीट बागपत: चौधरी चरण सिंह की सियासी विरासत बचाने उतरा रालोद!


सपा व बसपा के चुनावी दांव से त्रिकोणीय मुकाबला होने के आसार 
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण में पश्चिमी उत्तर प्रदेश की जाट बाहुल्य बागपत लोकसभा सीट पर शुक्रवार को मतदान होगा, जहां इस बार भाजपा चुनाव मैदान से बाहर है और भाजपानीत गठबंधन से इस सीट पर राष्ट्रीय लोकदल के प्रत्याशी डा. राजकुमार सांगवान चुनाव मैदान में है, जिन्हें चुनावी चुनौती देने के लिए विपक्षी इंडिया गठबंधन से समाजवादी पार्टी ने अमरपाल शर्मा को चुनाव मैदान में उतारा है, तो वहीं बहुजन समाजवादी पार्टी ने प्रवीण बंसल को प्रत्याशी बनाकर इस चुनावी जंग को त्रिकोणीय मुकाबले में लाकर खड़ा कर दिया है। बागपत लोकसभा सीट पर पिछले करीब 47 सालों बाद ऐसा पहला मौका है, जहां चौधरी चरण सिंह परिवार का कोई सदस्य चुनाव मैदान में नहीं है। 
उत्तर प्रदेश की बागपत लोकसभा सीट को पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की विरासत के रुप में पहचाना जाता है। जहां से खुद चौधरी चरण सिंह तीन बार सांसद चुने गये है, जिसके बाद उनके पुत्र चौधरी अजित सिंह ने बागपत सीट से एक उपचुनाव समेत सात बार चुनाव जीतकर परिवार की पारंपिक सीट बचाए रखी है। खासबात यह भी है कि इस सीट पर अभी तक हुए लोकसभा चुनाव में पहला मौका है जब चौधरी चरणसिंह परिवार का कोई सदस्य चुनाव मैदान में नहीं है और भाजपा के साथ गठबंधन करके रालोद ने परिवार के सदस्य के बजाए इस बार पार्टी महासचिव डा. राजकुमार सांगवान को प्रत्याशी बनाया है। इस क्षेत्र की जातिगत सियासत के समीकरण साधने के लिए सपा व बसपा ने भी भाजपा-रालोद को चुनौती देने के मकसद से अपने उम्मीदवारों को चुनावी मैदान में उतारा है। हालांकि राजनीतिकारों के मुताबिक बागपत सीट पर मुख्य चुनावी मुकाबला रालोद व सपा के बीच होने के आसार है, लेकिन दिल्ली हाई कोर्ट के वकील प्रवीण बंसल पर दांव खेलकर बसपा इस चुनाव को त्रिकोणीय मुकाबला बनाने के प्रयास में है। शायद यही कारण है कि सपा ने यहां पहले से घोषित जाट प्रत्याशी मुकेश चौधरी को ऐन वक्त पर बदलकर ब्राह्मण चेहरे को चुनावी जंग में उतारा है, ताकि ब्राह्मण के साथ मुस्लिम और यादव वोटों को साधा जा सके। जहां तक प्रचार की बात उसमें भाजपा-रालोद प्रत्याशी का पलड़ा भारी है, जिसमें जाट बाहुल्य क्षेत्र में किसानों के मसीहा के रुप में पहचाने गये चौधरी चरण सिंह को मरणोपरांत देश का सर्वोच्च पुरस्कार भारत रत्न मिलने का उत्साह भी देखते बनता है। बहरहाल यह तो चुनाव नतीजों के बाद ही साफ होगा कि यहां की सियासी जंग किस दल के हाथ में होगी। 
युवा मतदाता होंगे निर्णायक 
पश्चिमी उत्तर प्रदेश की बागपत लोकसभा सीट पर 26 अप्रैल को 16,46,378 मतदाता वोटिंग करेंगे। इनमें 8,94,111 पुरुष, 752178 महिला, 89 थर्डजेंडर मतदाता शामिल हैं। वहीं इन मतदाताओं में 12013 सर्विस, 11,801 दिव्यांग, 80 वर्ष से अधिक उम्र वाले 26,071 मतदाता भी शामिल हैं। इस बार बागपत लोकसभा सीट पर 18-19 वर्ष तक के 23,703 युवा मतदाता भी पहली बार मतदान करेंगे, जिसमें 15,938 युवा मतदाता अकेले बागपत जिले के हैं। इस सीट पर 18-40 आयु वर्ग के करीब पांच लाख मतदाता हैं, जो इस सीट पर निर्णायक साबित हो सकते हैं। इस लोकसभा सीट के कुल मतदाताओं में बागपत जिले की छपरौली विधानसभा सीट पर 3,35,560, बडौत पर 3,06,651 व बागपत विधानसभा सीट पर 3,27,999 मतदाता हैं। जबकि गाजियाबाद की मोदीनगर विधानसभा सीट पर 3,35,885 और मेरठ की सिवाल खास विधानसभा सीट पर 3,41,392 मतदाता इस लोकसभा सीट के प्रत्याशियों के लिए वोटिंग करेंगे। 
दो सौ बूथ संवेदनशील 
बागपत लोकसभा सीट के लिए शुक्रवार को इस लोकसभा क्षेत्र में 979 मतदान केंद्रों के 1,737 मतदेय स्थलों पर वोटिंग होगी। इनमें से 200 से ज्यादा मतदान स्थल संवेदनशील श्रेणी में रखे गये हैं, जिनमें 50 प्रतिशत बूथों की वेब कास्टिंग की जाएगी। इन मतदान केंद्रों पर निष्पक्ष और शांतिपूर्ण मतदान कराने के लिए कड़ी सुरक्षा के इंतजाम किये गये हैं। बागपत जिला मुख्यालय से गुरुवार को 979 टीमों को मतदान केंद्रों के लिए रवाना कर दिया गया है। 
बागपत का चुनावी इतिहास 
पश्चिमी यूपी की बागपत लोकसभा सीट पर पहला चुनाव 1967 में जनसंघ ने जीता था। इसके बाद यहां से रामचंद्र विकल कांग्रेस के टिकट पर सांसद बने। 1977 में किसानों की सियासत करने वाले चौधरी चरण सिंह जनता पार्टी के टिकट पर पहली बार बागपत से सांसद बने। इसके बाद वे यहां से लोकदल प्रत्याशी के रुप में दो बार जीतकर संसद पहुंचे और पीएम की कुर्सी तक पहुंचे। इसके बाद इस परिवार की परंपरारिक सियासी विरासत को उनके सुपुत्र चौधरी अजित सिंह ने संभाला, जिन्होंने लगातार तीन चुनाव व एक उप चुनाव जीता। साल 1998 के चुनाव में पहली बार भाजपा ने सोमपाल शास्त्री को जीताकर इस सीट पर कब्जा किया, लेकिन उसके बाद राष्ट्रीय लोकदल प्रमुख चौधरी अजित सिंह ने लगतार तीन बार बागपत पर परचम लहराया। लेकिन साल 2014 में वे मोदी लहर के सामने बागपत सीट पर अपने परिवार की विरासत नहीं बचा सके। जबकि पिछले चुनाव में उनके शाहबजादे जयंत चौधरी को भी भाजपा प्रत्याशी डा. सत्यपाल के सामने पराजय का सामना करना पड़ा। इस बार रालोद भाजपा के साथ मिलकर चुनाव मैदान में है। 
जातीय समीकरण 
बागपत लोकसभा सीट पर करीब 16,46,378 लाख मतदाताओं में सबसे ज्यादा करीब चार लाख जाट हैं, जिसके बाद मुस्लिम मतदाओं की संख्या 3.50 लाख के अलावा गुर्जर, ब्राह्मण और त्यागी मतदाताओं संख्या करीब तीन लाख है। इसके अलावा दलित मतदाता 1.80 लाख, राजपूत और कश्यप मतदाता करीब 1-1 लाख के आसपास हैं। 
कौन है रालोद व सपा प्रत्याशी 
बागपत सीट पर रालोद प्रत्याशी डा. राजकुमार सांगवान जाट होने के साथ रालोद के राष्ट्रीय सचिव भी हैं। वह जमीनी स्तर से राजनीति से जुड़े हुए हैं, जो चौधरी चरण सिंह की से प्रेरित होकर छात्र और किसान राजनीति में सक्रीय रहे। सांगवान ने अपनी पीएचडी पूरी करने के बाद मेरठ के एक विश्वविद्यालय में प्रोफेसर के रूप में भी कार्य कर चुके हैं। जबकि सपा प्रत्याशी अमरपाल शर्मा साहिबाबाद से बसपा विधायक रह चुके हैं और उन्होंने दिल्ली विधानसभा की रोहताशनगर सीट पर भी चुनाव लड़ा है। वहीं बसपा प्रत्याशी प्रवीण बंसल दिल्ली उच्च न्यायालय में वकील हैं। 
26Apr-2024

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