सोमवार, 28 सितंबर 2020

सरकार ने अंग्रेजी हकूमत के कानून में किया संशोधन

राज्यसभा में पारित हुआ महामारी संशोधन विधेयक

हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली।

कोरोना महामारी के कारण केंद्र सरकार द्वारा महामारी रोग विधेयक में संशोधन के लिए लाए गये संशोधन अध्यादेश को शनिवार को राज्यसभा ने विधेयक के रूप में मंजूरी दे दी है। सरकार ने इस विधेयक में 123 साल बदलाव किया है।

राज्यसभा में शनिवार को महामारी रोग विधेयक (संशोधन) विधेयक-2020 ध्वनिमत के साथ पारित कर दिया गया। करीब 123 साल पुराने कानून में केंद्र सरकार ने यह बदलाव किया है, जिसके लिए सरकार महामारी रोग अधिनियम-1897 में संशोधन करने के लिए कोरोना महामारी संकट के दौरान अध्यादेश लाई थी इस विधेयक में महामारी के दौरान देश में डॉक्टर्स, नर्स, आशा कार्यकर्ताओं की सुरक्षा, जबकि हमला करने वालों के लिए सजा का प्रावधान है। इसके तहत डॉक्टरों और अन्य स्वास्थ्यकर्मियों पर हमला करने वालों को अधिकतम सात साल तक की सजा हो सकती है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने संसद में इस विधेयक पेश किया। संसद के मानसून सत्र में राज्यसभा में शनिवार को पेश किये गये इस विधेयक के संबन्ध में डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि कोरोना से जुड़े कलंक के कारण कई स्वास्थ्यकर्मियों जिसमें डॉक्टरों, पैरामेडिक्स शामिल हैं, उनका किसी न किसी रूप में अपमान किया गया। केंद्र सरकार ने इस स्थिति पर कार्रवाई की और पाया कि इस तरह की घटनाओं के खिलाफ एक कानून, एक निषेधात्मक तंत्र की आवश्यकता है।

कानून में किये गये सख्त प्रावधान

विधेयक के संशोधित प्रावधानों के अनुसार हमला करने वालों पर 50 हजार से 2 लाख के जुर्माने का प्रावधान है। इसके अलावा तीन महीने से पांच साल की सजा भी हो सकती है। जबकि गंभीर चोट के मामले में अधिकतम 7 साल की सजा हो सकती है। ये गैरजमानती अपराध होगा। बता दें कि 123 साल पुराने कानून में केंद्र सरकार ने बदलाव किया है।

राज्यसभा में पास हुआ दिवालिया संशोधन विधेयक

कोरोना काल में लाया गया था अध्यादेश

हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली।

राज्यसभा में शनिवार को संसद में दिवाला और और शोधन अक्षमता संहिता संबन्धी अध्यादेश को संशोधित विधेयक के रूप में पारित कर दिया गया है। सरकार इस विधेयक में दूसरे संशोधन के लिए यह अध्यादेश कोरोना महामारी के कारण उत्पन्न स्थिति के कारण लेकर आई थी।

संसद के मानसून सत्र के छठें दिन शनिवार को राज्यसभा की सुबह शुरू हुई कार्यवाही के दौरान केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने दिवाला और और शोधन अक्षमता संहिता-2016 में संशोधन के लिए इस विधेयक को पेश किया, जिस पर हुई संक्षिप्त चर्चा के बाद राज्यसभा ने दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता (दूसरा संशोधन) अध्यादेश 2020 को विधेयक के रुप में ध्वनिमत से पारित कर दिया। चर्चा का जवाब देते हुए उच्च सदन में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता (दूसरा संशोधन) अध्यादेश कोविड-19 महामारी के कारण पैदा हुई अभूतपूर्व स्थिति के कारण लाया गया था। उन्होंने कहा कि महामारी के कारण बनी स्थिति की वजह से समय की मांग थी कि तत्काल कदम उठाए जाएं और उसके लिए अध्यादेश का तरीका चुना गया। वित्त मंत्री ने कहा कि अध्यादेश को कानून बनाने के लिए सरकार अगले ही सत्र में विधेयक लेकर आ गई। उन्होंने कोविड-19 महामारी के कारण लागू किए गए लॉकडाउन के संदर्भ में कहा कि उस समय आजीविका से ज्यादा जरूरी जान की हिफाजत करना था। उन्होंने कहा कि इसका असर लोगों के साथ ही अर्थव्यवस्था पर भी पड़ा, लेकिन आम लोगों की जान बचाना ज्यादा महत्वपूर्ण था। हालांकि उन्होंने कहा कि लोगों को हुई परेशानी पर संज्ञान लिया गया और सरकार ने कई कदम उठाए। उन्होंने दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता का जिक्र करते हुए कहा कि यह अच्छा काम कर रही है और अपने मकसद को पूरा करने में सफल रही है। उच्च सदन में इस विधेयक के विरोध में माकपा सांसद केके रागेश द्वारा पेश उस संकल्प को नामंजूर कर दिया, जिसमें दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता (दूसरा संशोधन) अध्यादेश-2020 को अस्वीकार करने का प्रस्ताव किया गया था। वहीं इससे पहले चर्चा के दौरान इस विधेयक को लेकर कई विपक्षी सदस्यों ने अध्यादेश लाने के लिए सरकार की आलोचना की

20Sep-2020

 

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