सोमवार, 28 सितंबर 2020

मंत्रियों व सांसदों के वेतन से एक साल तक होगी 30 फीसदी कटौती

राज्यसभा ने भी लगाई मंत्रियों एवं सांसदों के वेतन, भत्ते में कटौती संबंधी विधेयकों पर मुहर

हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली।

राज्यसभा में शुक्रवार को लोकसभा से पारित मंत्रियों और सांसदों के वेतन एवं भत्तों से संबंधित संशोधन विधेयकों को संक्षिप्त चर्चा के बाद ध्वनिमत से पारित कर दिया गया है। इस विधेयक के तहत मंत्रियों व सांसदों के वेतन से एक साल तक 30 फीसदी कटौती की जाएगी, जिसका उपयोग कोरोना संकट से निपटने में किया जाएगा।

संसद के मानसून सत्र में पांचवे दिन की कार्यवाही स्थगित होने से पहले राज्यसभा में शुक्रवार को मंत्रियों के वेतन एवं भत्तों से संबंधित संशोधन विधेयक 2020 और संसद सदस्य वेतन, भत्ता एवं पेशन संशोधन विधेयक 2020 को चर्चा के बाद ध्वनिमत से मंजूरी मिल गई। इन विधेयकों के जरिए मंत्रियों और सांसदों के वेतन में एक साल 30 प्रतिशत की जाएगी और उस धनराशि का उपयोग कोविड-19 महामारी के कारण उत्पन्न स्थिति से मुकाबले के लिये किया जायेगा। यह विधेयक इससे संबंधित कोरोना काल में लाए गये अध्यादेश के स्थान लेगा। जिसमें सांसदों के वेतन में 30 प्रतिशत कटौती के लिए संसद सदस्यों के वेतन, भत्ते और पेंशन अधिनियम-1954 और मंत्रियों के सत्कार भत्ते में कटौती के लिए मंत्रियों का वेतन और भत्ते अधिनियम-1952 में संशोधन किया गया है। इससे पहले चर्चा का जवाब देते हुए संसदीय मामलों के मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि कोविड-19 के कारण उत्पन्न अभूतपूर्व स्थिति को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार ने कई महत्वपूर्ण कदम उठाये हैं। यह कदम उनमें से सांसदों के वेतन कटौती का निर्णय भी एक है। उन्होंने कहा कि परोपकार की शुरूआत घर से होती है, ऐसे में संसद सदस्य यह योगदान दे रहे हैं और यह छोटी या बड़ी राशि का सवाल नहीं है, बल्कि भावना का है।

निलंबित सांसद निधि पर हो पुनर्विचार

राज्यसभा में इन विधेयकों पर हुई चर्चा के दौरान कई दलों के जयादातर सदस्यों ने कहा कि सांसदों के वेतन में कटौती को लेकर कोई परेशानी नहीं है, लेकिन सरकार को दो वर्षो तक सांसद निधि के निलंबन पर पुनर्विचार करना चाहिए। विपक्षी दलों के सांसद क्षेत्र विकास निधि (एमपीलैड) को लेकर किये गये सवालों के जवाब में केंद्रीय संसदयी कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि सांसद निधि को अस्थायी रूप से दो वर्षो के लिये निलंबित किया गया है। उन्होंने कहा कि लोगों की मदद के लिये कुछ कड़े फैसले लेने की जरूरत थी। उन्होंने कहा कि यह अस्थायी है। दरअसल कांग्रेस, राकांपा, आम आदमी पार्टी सहित अधिकतकर विपक्षी दलों के सदस्यों ने सांसद निधि को बहाल करने की मांग की थी।

सांसद निधि गरीब जनता का धन: आजाद

राज्यसभा में प्रतिपक्ष नेता गुलाम नबी आजाद ने सांसद निधि के बारे में कहा कि वेतन में कटौती पर किसी को ऐतराज नहीं, लेकिन सांसद निधि का धन उनका नहीं, बल्कि विकास के लिए क्षेत्र की गरीब जनता का धन है। आजाद ने कहा कि इसे दो साल के बजाए एक साल तक निलंबित करना चाहिए था और इसमें से आधा धन यानि ढाई करोड़ रुपये की कटौती की जानी चाहिए।

संसद में होम्योपैथी परिषद और भारतीय चिकित्सा परिषद अध्यादेश बने विधेयक

लोकसभा के बाद राज्यसभा से भी मिली मंजूरी, होम्योपैथी दवाओं के लिए गठित होगी केंद्रीय परिषद  

हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली।

संसद के मानसून सत्र के पहले ही दिन लोकसभा से पारित होम्योपैथी केंद्रीय परिषद (संशोधन) विधेयक और भारतीय चिकित्सा केंद्रीय परिषद (संशोधन) विधेयक को राज्यसभा की भी मंजूरी मिल गई है। ये दोनों विधेयक होम्योपैथी, दवाओं के लिए केंद्रीय परिषदों के गठन के लिए लाए गये अध्यादेशों की जगह लेंगे।

राज्यसभा में शुक्रवार को होम्योपैथी केंद्रीय परिषद (संशोधन) विधेयक-2020 और भारतीय चिकित्सा केंद्रीय परिषद (संशोधन) विधेयक-2020 पर एक साथ चर्चा कराई गई। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डा. हर्षवर्धन द्वारा चर्चा के जवाब के बाद उच्च सदन ने दोनों विधेयकों को ध्वनिमत से मंजूर कर लिया। पिछले दिनों जारी होम्योपैथी केंद्रीय परिषद (संशोधन) अध्यादेश तथा भारतीय चिकित्सा केंद्रीय परिषद (संशोधन) अध्यादेश को नामंजूर करने के लिए विपक्ष द्वारा पेश संकल्प को अस्वीकार कर दिया। केंद्रीय होम्योपैथी परिषद (संशोधन) विधेयक 2020 के जरिये 1973 के होमियोपैथी केंद्रीय परिषद कानून में संशोधन का प्रस्ताव है तथा यह विधेयक 24 अप्रैल को जारी होमियोपैथी केंद्रीय परिषद (संशोधन) अध्यादेश 2020 का स्थान लेगा। इससे पहले चर्चा का जवाब देते हुए केंद्रीय मंत्री डा. हर्षवर्धन ने कहा कि होम्योपैथी केंद्रीय परिषद (संशोधन) विधेयक  में केंद्रीय होम्योपैथी परिषद के गठन के लिए और एक साल का समय देने का प्रस्ताव किया गया है। पहले इसके लिए दो साल का समय दिया जा चुका है। वहीं भारतीय चिकित्सा केंद्रीय परिषद (संशोधन) विधेयक में केंद्रीय परिषद के पुनर्गठन के लिए एक साल के समय का प्रस्ताव के साथ इसमें अंतरिम अवधि में एक बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्सउसके अधिकारों का उपयोग करेगा। उन्होंने कहा कि चिकित्सा के क्षेत्र में जरूरी तथा आधुनिक सुधार किए जा रहे हैं और पांच साल में हुए अहम बदलाव साफ नजर आ रहे हैं। हर्षवर्धन ने कहा कि इस विधेयक के जरिये न तो आयुर्वेद और होम्योपैथी के बीच किसी भी तरह के ब्रिज कोर्सका प्रावधान है और न ही इससे किसी भी तरह की स्वायत्तता पर कोई अतिक्रमण होगा। नेचुरोपथी और योग के संदर्भ में मंत्री ने कहा कि इसके महत्व को देखते हुए नीति आयोग ने सुझाव दिया था कि इसके लिए एक अलग राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग होना चाहिए। हर्षवर्धन ने कहा कि अब प्रयास चल रहे हैं और जल्द ही यह आयोग भी अस्तित्व में आ जाएगा। 

19Sep-2020

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