सोमवार, 28 सितंबर 2020

राज्यसभा ने आवश्यक वस्तु अधिनियम समेत दनादन पारित किये आधा दर्जन विधेयक

राष्ट्रीय फॉरेंसिक विज्ञान विवि व रक्षा विवि विधेयक को मिली संसद की मंजूरी                      

हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली।

राज्यसभा में आठ सांसदों के निलंबन के बाद विपक्ष के हंगामे के बाद उच्च सदन में पेश किये गये कृषि संबन्धी तीसरे विधेयक के अलावा आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक, राष्ट्रीय न्यायालयिक विज्ञान विश्वविद्यालय विधेयक, राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय विधेयक, भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान विधियां (संशोधन) विधेयक, कंपनी (संशोधन) विधेयक, बैंककारी विनियमन (संशोधन) विधेयक व काराधान अन्य विधि(संशोधन) विधेयक को संक्षिप्त चर्चा के बाद ध्वनिमत के साथ पारित कराए गये।

संसद के मानसून सत्र के नौवें दिन राज्यसभा में आठ सांसदों के निलंबन के विरोध में विपक्षी दलों ने हंगामा करके पूरे निलंबन वापस होने तक पूरे सत्र का बहिष्कार करने का फैसला किया। इसके बाद उच्च सदन में कृषि संबन्धी विधेयकों में तीसरे विधेयक के रूप में से आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक को संक्षिप्त चर्चा के बाद ध्वनिमत से पारित कर दिया गया, जिसे लोकसभा पहले ही पारित कर चुकी है। संसद से पारित इस विधेयक में अनाज, तिलहनों, खाद्य तेलों, प्याज एवं आलू को आवश्यक वस्तुओं की सूची से बाहर रखने का प्रावधान किया गया है। यह विधेक कृषि संबन्धित अध्यादेश का स्थान लेगा। संक्षिप्त चर्चा का जवाब देते हुए उपभोक्ता मामलों तथा खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण राज्य मंत्री रावसाहेब दानवे ने कहा कि कानून के जरिए स्टॉक की सीमा थोपने से कृषि क्षेत्र में निवेश में अड़चनें आ रही हैं। उन्होंने कहा कि साढ़े छह दशक पुराने इस कानून में स्टॉक रखने की सीमा राष्ट्रीय आपदा तथा सूखे की स्थिति में मूल्यों में भारी वृद्धि जैसे आपात हालात उत्पन्न होने पर ही लागू की जाएगी। सरकार का दावा है कि यह संशोधन किसानों एवं उपभोक्ताओं दोनों के पक्ष में है। वहीं इस कानून से उत्पादन, उत्पादों को जमा करने, आवागमन, वितरण एवं आपूर्ति की स्वतंत्रता से बड़े स्तर पर अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन मिलेगा तथा कृषि क्षेत्र में निजी एवं विदेशी प्रत्यक्ष निवेश आकर्षित होगा।

राष्ट्रीय फॉरेंसिक विज्ञान व रक्षा विवि विधेयक पास

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की गैर मौजूदगी में राज्यसभा में गृह राज्यमंत्री जी. किशन रेड्डी ने लोकसभा से पारित हो चुके राष्ट्रीय फॉरेंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय और राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय विधेयक पेश किये। राष्ट्रीय फॉरेंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय विधेयक के जरिए गुजरात फॉरेंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय को राष्ट्रीय फॉरेंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय के रूप में विकसित करने का रास्ता साफ हो गया है। इन दोनों विधेयकों को संक्षिप्त चर्चा के बाद ध्वनिमत के साथ पारित कर दिया गया। वहीं राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय विधेयक-2020 में गुजरात में एक राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय की स्थापना का प्रस्ताव है।                   

कंपनी विधेयक पर संसद की मुहर  

राज्यसभा में मंगलवार का केंद्रीय वित्तमंत्री ने कंपनी (संशोधन) विधेयक-2020 पेश किया, जिसे संक्षिप्त चर्चा के बाद ध्वनिमत से पारित कर दिया गया, जिसे लोकसभा 19 सितंबर को मंजूरी दे चुका है। सीतारमण ने कहा कि कंपनी कानून के तहत वर्तमान में करीब 124 दंडात्मक प्रावधान हैं, जबकि मूल कानून में 134 दंडात्मक प्रावधान थे। उन्होंने कहा कि अब इस कानून के जरिए धोखाधड़ी, फर्जीवाड़ा और लोक हित को नुकसान पहुंचाने वाले लोगों के साथ कड़ाई से निबटा जा सकेगा कानून में यह संशोधन शमनीय (कंपाउंडेबल)कृत्यों को अपराध के दायरे से बाहर करने और देश में कारोबार की सुगमता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से लाया गया है। सीतारमन ने राज्यसभा में संक्षिप्त चर्चा के बाद बैंककारी विनियमन (संशोधन) और काराधान अन्य विधि (संशोधन) विधेयक को भी पारित करा लिया, जिसे वापस करने का प्रस्ताव भी ध्वनिमत के साथ पारित हुआ।

संसद ने दी भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान विधेयक को मंजूरी

राज्यसभा में मंगलवार को सार्वजनिक निजी साझेदारी के तहत चल रहे आईआईआईटी संस्थान भागलपुर (बिहार), सूरत (गुजरात), रायचुर (कर्नाटक), भोपाल (मध्य प्रदेश) और अगरतला (त्रिपुरा) यानि पांच आईआईआईटी संस्थानों को राष्ट्रीय महत्व का दर्जा प्रदान करने के प्रावधान वाले भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान विधियां (संशोधन) विधेयक-2020 को ध्वनिमत से मंजूरी दे दी है, जिसे लोकसभा में पहले ही पारित कराया जा चुका है। सदन में शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने चर्चा के जवाब कहा कि देश में अभी 25 आईआईआईटी हैं, जिनमें से पांच पूरी तरह से केंद्र सरकार द्वारा संचालित हैं और 15 सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) के तहत संचालित होते हैं। उन्होंने कहा कि हम पहले से ही संचालित पांच संस्थानों को इस कानून के तहत लाने के लिए सदन के सामने प्रस्ताव लाए हैं।

लोकसभा में पारित हुए श्रम संहिताओं संबन्धी तीन विधेयक

कर्मचारियों और नियोक्ताओं के लिए साबित होंगे मील का पत्थर: गंगवार

हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली।

लोकसभा में मंगलवार का श्रम संहिताओं संबन्धी तीन विधेयकों उपजीविकाजन्य सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्यदशा संहिता, औद्योगिक संबंध संहिता और सामाजिक सुरक्षा संहिता को पारित कर दिया गया है। इन विधेयकों में आजीविका सुरक्षा, स्वास्थ्य एवं कार्यदशा को विनियमित करने के साथ औद्योगिक विवादों की जांच एवं निर्धारण तथा कर्मचारियों की सामाजिक सुरक्षा जैसे प्रावधान किये गए हैं।

केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री संतोष गंगवार ने मंगलवार को लोकसभा में श्रम संहिताओं संबन्धी तीन विधेयकों को पेश किया। चर्चा के बाद मंत्री के जवाब के बाद देर शाम सदन ने तीनों श्रम संहिताओं से संबंधित विधेयकों को ध्वनिमत से मंजूरी दे दी गई। इससे पहले चर्चा का जवाब देते हुए गंगवार ने कहा कि कई ऐसे कानून थे जो 50 साल पुराने हो गए थे और उनमें बदलाव जरूरी था। नए संशोधनों से श्रमिकों के लिए सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित होगी। इन विधेयकों के बारे में उन्होंने कहा कि देश में कर्मचारियों और नियोक्ताओं के हितों, अधिकारों और दायित्वों के बीच संतुलन कायम करने के उद्देश्य से इन श्रम संहिताओं को लाया गया है। उन्होंने कहा कि ये श्रम संहिताएं श्रमिकों का कल्याण सुनिश्चित करने में एक बड़ा मील का पत्थर साबित होंगी। तीन श्रम संहिताओं में ओएसएच संहिता, आईआर संहिता और सामाजिक सुरक्षा संहिता शामिल हैं। उन्होंने 73 साल में पहली बार हुए कई प्रावधानों का उल्लेख करते हुए कहा कि इनमें नियुक्ति पत्र का अधिकार शामिल है, जिससे औपचारिक रोजगार को प्रोत्साहन मिलेगा। उन्होंने कहा कि प्रवासी कामगारों की परिभाषा का विस्तार किया गया है, जिसमें ऐसे लोगों को शामिल किया गया है, जो बिना ठेकेदार के काम के लिए दूसरे राज्यों का रुख करते हैं। इससे उन्हें देश में कल्याणकारी योजनाओं के लिए सुरक्षित पात्रता और बेहतर लक्ष्य हासिल करने में सहायता मिलेगी। गंगवार ने बताया कि जिन श्रमिकों को काम से हटा दिया गया था, उनको फिर से कौशल प्रदान करने के लिए एक तंत्र प्रस्तावित किया गया है। उन्होंने कहा कि सबसे महत्वपूर्ण प्रावधानों में से एक में असंगठित क्षेत्र के मजदूरों, जीआईजी और प्लेटफॉर्म श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा के दायरे में लाना शामिल है। गंगवार ने कहा कि ट्रेड यूनियनों के महत्व को समझते हुए निपटारे के लिए तीन स्तरीय प्रक्रिया एंटरप्राइज़ स्तर, राज्य स्तर और राष्ट्रीय स्तर पर प्रस्तावित की गई है ताकि श्रम संबंधी मुद्दों का त्वरित समाधान किया जा सके।

जुर्माने की आधी राशि पीडित को मिलेगी

श्रम मंत्री ने कहा कि वर्तमान कानून में दुर्घटना होने की स्थिति में जुर्माने की राशि पूरी तरह से सरकार के खाते में जाती थी, लेकिन नए कानून में जुर्माने की राशि का 50 प्रतिशत पीड़ित को देने की बात कही गई है। नए संशोधनों से श्रमिकों के लिए सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित होगीगंगवार ने कहा कि ट्रेड यूनियनों के महत्व को समझते हुए निपटारे के लिए तीन स्तरीय प्रक्रिया एंटरप्राइज़ स्तर, राज्य स्तर और राष्ट्रीय स्तर पर प्रस्तावित की गई है ताकि श्रम संबंधी मुद्दों का त्वरित समाधान किया जा सके।

23Sep-2020

 

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