शनिवार, 12 सितंबर 2020

नदियों में डॉल्फिन संरक्षण पर एकजुट भारत-बांग्लादेश-नेपाल व म्यांमार

नमामि गंगे: भारत में 'प्रोजेक्ट डॉल्फिन' के लिए सहायक सिद्ध होगी चर्चा  

हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली।

नदियों और इसकी डॉल्फिन आबादी के पारिस्थितिकी स्वास्थ्य पर कोरोरा महामारी के प्रभाव के अन्वेषण के तहत भारत-बांग्लादेश-म्यांमार-नेपाल में डॉल्फिन के संरक्षण हेतु वर्तमान स्थिति और भविष्य की रणनीतिपर चारों देशों के विशेषज्ञों की चर्चा  हुई। इस चर्चा के दौरान चारों देशों ने डॉल्फिन प्रजाति के संरक्षण पर मिलने का निर्णय लिया।

केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय ने यह जानकारी देते हुए बताया कि देश में गंगा और उसकी सहायक नदियों की स्वच्छता के लिए चलाए जा रहे महत्वाकांक्षी नमामि गंगे मिशन में नदी में डॉल्फिन की लुप्त होती अनोखी प्रजाति के संरक्षण को भी महत्व दिया जा रहा है। जबकि गंगा में पाई जाने भारत के जलीय जीव डॉल्फिन को अंतरराष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (आईयूसीएन) द्वारा लुप्तप्राय घोषित किया गया है। नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत डॉल्फिन के संरक्षण की दिशा में इनलैंड फिशरीज सोसाइटी ऑफ इंडियाआईसीएआर-केंद्रीय अंतर्स्थलीय मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थानराष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशनप्रोफेशनल फिशरीज ग्रेजुएट्स फोरम (पीएफजीएफ) और एक्वाटिक इकोसिस्टम हेल्थ एंड मैनेजमेंट सोसाइटी द्वारा एक वेबिनार सम्मेलन आयोजित किया गया। इस वेबिनार में भारत, बांग्लादेश-म्यांमार और नेपाल के विशेषज्ञों के अलावा इस वेबिनार सम्मेलन में दुनियाभर के 1000 से अधिक प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। सम्मेलन में क्षेत्रीय सहयोग के जरिए इन डॉल्फिन के संरक्षण और इनकी आबादी बढ़ाने को लेकर भविष्य की रणनीति पर महत्वपूर्ण चर्चा की गई। दक्षिण पूर्व एशियाई क्षेत्रीय देशों में डॉल्फिन संरक्षण को बढ़ाने को लेकर आईसीएआर-सीआईएफआरआई के निदेशक डॉ. बी. के. दासमत्स्य विज्ञान के डीडीजी डॉ. जे. के. जेनाभारतीय वन्यजीव संस्थान के सेवानिवृत्त प्रधान वैज्ञानिक डॉ. बी. सी. चौधरी ने डॉल्फिन पर अब तक किए गए शोध का ऐतिहासिक विवरण सामने रखा। वहीं 'म्यांमार में इरावदी डॉल्फिन के संरक्षण के उपायपर डॉ. हला विन, 'नेपाली नदियों में डॉल्फिन की स्थितिपर डॉ. माधव के. श्रेष्ठ और 'राष्ट्रीय एटलस और डॉल्फिन एक्शन प्लान बांग्लादेशपर विशेषज्ञ प्रोफेसर मोहम्मद ए. अजीज और प्रोफेसर बेनजीर अहमद समेत वैश्विक विद्वानों ने डॉल्फिन संरक्षण पर मिलकर काम करने और इस क्षेत्रीय और बहुक्षेत्रीय सहयोग को जारी रखने का संकल्प लिया गया। इस क्षेत्रीय और बहुक्षेत्रीय सहयोग पर हुई यह महत्वपूर्ण चर्चा भारत में 'प्रोजेक्ट डॉल्फिनकी रूपरेखा तय करने में बहुत सहायक सिद्ध होगी।

'प्रोजेक्ट डॉल्फिन' में जन भागीदारी जरुरी                                                                                                                                                                 

राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के महानिदेशक राजीव रंजन मिश्रा ने गंगा के कायाकल्प में डॉल्फिन संरक्षण के महत्व पर कहा कि नमामि गंगे मिशन पर काम करते हुए डॉल्फिन संरक्षण के तहत निरंतर प्रयासों के सकारात्मक नतीजों के मद्देनजर एमओईएफ के तहत हाल में परियोजना 'प्रोजेक्ट टाइगर' की तर्ज पर प्रधानमंत्री द्वारा 'प्रोजेक्ट डॉल्फिनकी घोषणा की गई है। मिश्रा ने कहा कि सम्मेलन हुई यह महत्वपूर्ण चर्चा भारत में 'प्रोजेक्ट डॉल्फिनकी रूपरेखा तय करने में बहुत सहायक सिद्ध होगी। इस परियोजना में वैज्ञानिकों के साथ सामुदायिक भागीदारी भी सुनिश्चित करने की जरुरत है। नमामि गंगे मिशन के तहत अनुसंधान में पाया गया कि नदी डॉल्फिन संरक्षण नदियों के प्रदूषण उन्मूलनजैव विविधता और पारिस्थितिक सुधार की दृष्टि से महत्वपूर्ण है। इसी मकसद से सीआईएफआरआई के साथ मत्स्य पालन में सुधार और भारत वन्यजीव संस्थान के साथ जैव विविधता संरक्षण के लिए परियोजनाएं शुरू की गई हैं, जिसमें मत्स्य क्षेत्र डॉल्फिन संरक्षण के अभियान की अगुआई कर रहा है।

27Aug-2020

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