शनिवार, 12 सितंबर 2020

एकलव्य मॉडल विद्यालय को इतिहास में पहला 'राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार'

उत्तराखंड की शिक्षिका सुधा पेनुली 47 उत्कृष्ट शिक्षकों सूची में शामिल

हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली।  

देश में जनजातीय छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने की दिशा में देशभर में स्थापित एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों यानि ईएमआरएस के इतिहास में पहली बार 'राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कारके लिए इस साल चयनित 47 उत्कृष्ट शिक्षकों सूची में उत्तराखंड में देहरादून के कलसी कस्बा स्थित एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय की उप-प्रधानाचार्या श्रीमती सुधा पेनुली का नाम भी शामिल है।

केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री अर्जुन मुंडा ने उत्तराखंड की उप-प्रधानाचार्या सुश्री सुधा पेनुली को 'राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार 2020' से सम्‍मानित करने के लिए हुए चयन पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि जनजातीय कार्य मंत्रालय के तहत अपनी स्थापना के बाद एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों (ईएमआरएस) के लिए इतिहास में पहली बार किसी शिक्षक का 'राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कारसे सम्मान देना विशेष गौरव की बात है। उन्होंने कहा कि यह सम्मान इस बात का प्रमाण है कि आदिवासी छात्रों के शैक्षणिक विकास और सर्वांगीण विकास के बीच एक अच्छा संतुलन बनाते हुए जनजातीय कार्य मंत्रालय के प्रयास सही दिशा में जा रहे हैंयह मंत्रालय की जनजातीय कल्याण योजनाओं की सतत उपलब्धि है। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग ने वर्ष 2020 के लिए राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार (एनएटी) प्रदान को करने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर एक स्वतंत्र निर्णायक मंडल द्वारा श्रीमती सुधा पेनुली को कठोर तीन चरणीय ऑनलाइन पारदर्शी प्रक्रिया के बाद 47 उत्कृष्ट शिक्षकों सूची में शामिल किया गया। एकलव्य जन्‍म-दिवस बगिया (बर्थडे गार्डन)शिक्षा में ना्टय मंचएकलव्य जनजातीय संग्रहालय(ट्राइबल म्यूजियम)कौशल विकास कार्यशालाएं और इसी तरह की पहलें उनके अभियान के अभिनव प्रयोगों की सबसे अनूठी विशेषताएं रही हैं। केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री अर्जुन मुंडा ने 'राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कारके लिए श्रीमती सुधा पेनुली को बधाई देते हुए कहा कि वास्तव में यह सम्मान ईएमआरएस के लिए एक विशेष उपलब्धि है। श्रीमती सुधा पेनुली को एकलव्य के इतिहास में राष्ट्रीय पुरस्कार जनजातीय छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने की दिशा में उनकी यह उपलब्धिसरकार के प्रयासों का एक प्रमाण है। शिक्षा के क्षेत्र में अपनी उत्कृष्टता लाने के लिए उनकी यह उपलब्धि समस्‍त ईएमआरएस शिक्षक बिरादरी को प्रेरित करेगी।

देशभर मे 102 ईएमआरएस 

गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों यानि ईएमआरएस की शुरुआत दूरस्थ क्षेत्रों में अनुसूचित जनजातीय बच्चों को गुणवत्तापरक शिक्षा प्रदान करने के उद्देश्‍य से वर्ष 1997-98 में की गई थीताकि वे उच्च और व्यावसायिक शैक्षिक पाठ्यक्रमों में अवसरों का लाभ उठा सकें और विभिन्न क्षेत्रों में रोजगार प्राप्‍त कर सकें। जनगणना-2011 के अनुसार समूचे देश में 564 ऐसे उप-जिले हैंजिनमें से 102 उप-जिलों में ईएमआरएस है।

2022 तक 462 नए स्कूल

केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्रालय के अनुसार ईएमआरएस के विस्तार की सतत प्रक्रिया में वर्ष 2022 तक 462 नए स्कूल खोले जाने का लक्ष्य है। वर्ष 2018 की संशोधित ईएमआरएस स्‍कीम के तहत वर्ष 2022 तक 50 फीसदी से अधिक अनुसूचित जनजाति (एसटी) आबादी और कम से कम 20 हजार जनजातीय व्यक्तियों वाले प्रत्येक ब्लॉक में एक एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय (ईएमआरएस) होगा। ये विद्यालय नवोदय विद्यालयों के समानांतर होंगे और इनमें खेलों और कौशल विकास में प्रशिक्षण के अलावा स्‍थानीय कला और संस्‍कृति के संरक्षण की विशेष सुविधाएं होंगी। 

29Aug-2020

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें