भारत से आगे निकलने की होड़ में नाकाम पाक
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
पाकिस्तान
से बेहतर संबन्ध बनाने की कवायद के बावजूद पाकिस्तान की भारतीय बासमती
चावल को ना-पाक चुनौती देने के माममले में भी मुहं की खानी पड़ी है। मसलन
व्यापारिक स्पर्धा में भारत को पछाड़ने के प्रयास में भारत का विरोध करके
पाकिस्तान की अपने बासमती चावल पर जीई टैग लेने की कोशिश नाकाम हो गई है।

भारत
के बासमती चावल के विरोध के सामने इंटलेक्चुअल प्रॉपर्टी अपीलेट बोर्ड ने
पाक की उस अपील को खारिज कर दिया है, जिसमें पाकिस्तान ने अपने बासमती चावल
के लिए भारत के मुकाबले जियोग्राफिकल इंडिकेशन यानि जीई टैग हासिल करने का
प्रयास किया था। बासमती चावल के मामले में आईपीएबी का यह फैसला भारत को
पछाड़ने के लिए पाकिस्तान के प्रयास को एक बड़ा झटका माना जा रहा है। पाक के
बजाए अब जीआई टैग अब भारत को मिलने की संभावना प्रबल हो गई है। दरअसल
पाकिस्तान में लाहौर स्थित बासमती ग्रोवर्स असोसिएशन यानि बीजीए ने भारतीय
संस्था कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण यानि
एपीडा के जीआई टैक आवेदन को चुनौती देते हुए आईपीएबी में दस्तक दी थी और
अपने बासमती चावल पर जीआई टैग हासिल करने का दावा किया था। पाकिस्तान की इस
अपील को एक दिन पहले ही आईपीएबी ने दलील देते हुए खारिज कर दिया है।
गौरतलब है कि भारत की ओर से एपीडा ने पहले ही पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश
मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर और उत्तराखंड जैसे सात राज्यों
में उत्पादित बासमती चावल के लिए जीआई टैग की मांग की थी।
पाक ने नहीं किया बीजीए का पालन

आईपीएबी
ने पाकिस्तान की इस चुनौती को खारिज करते हुए दलील दी है कि पाक इस मामले
में बीजीए नियमों का पालन करने में असफल रहा है। गौरतलब है कि इससे पहले
पाक की बीजीए ने चेन्नई में जीआई के असिस्टेंट रजिस्ट्रार द्वारा मध्य
प्रदेश के क्षेत्रों में उपजाए जाने वाले चावल की गुणवत्ता पर सवाल उठाने
पर भारत की बासमती को समग्रता में जीआई टैग दिए जाने का विरोध किया था।
ऐसे मिलता है जीआई टैग
कृषि
मंत्रालय के अनुसार जियोग्राफिकल इंडिकेशन यानि जीआई टैग कृषि, प्राकृतिक
या निर्मित चीजों के लिए जारी किया जाता है। इसके लिए भौगोलिक मूल से
संबंधित कोई एक खास मौसम, पर्यावरण या मिट्टी में पैदावार की गुणवत्ता या
अन्य खासियत होना जरूरी है। मसलन यह एक बौद्धिक संपदा अधिकार के तहत आता
है। जीआई टैग किसी सांस्कृतिक उत्पाद या कृषि उत्पाद को दिया जा सकता है।
ऐसे नियमों में भारत में बासमती चावल की गुणवत्ता काफी अच्छी रही है।
08Feb-2016
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