सोमवार, 10 अक्तूबर 2016

स्टार्टअप में कैब कारोबारियों को मिलेगी राहत!

काली-पीली टैक्सियों को बिज नेस में शामिल करने की वकालत
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
मोदी सरकार के अभियान स्टार्टअप में कैब सेवा देने वाली कंपनियों की सामने आ रही मुश्किलों को कम करके उन्हें राहत देने की योजना तैयार की जा रही है। केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय ने काली और पीले रंग की टैक्सियों को भी इस कारोबार में शामिल करने की वकालत करते हुए कैब चालकों को राहत देने की कवायद तेज कर दी है।
केंद्र सरकार देश की परिवहन व्यवस्था को बदलने के तहत सुरक्षित सफर और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में जहां सड़क परियोजनाओं में गुणवत्ता और सुरक्षा को प्राथमिकता दी है, वहीं वातावरण को प्रदूषणमुक्त बनाने के लिए वैकल्पि र्इंधन और इलेक्ट्रिक वाहनों को प्रोत्साहन देने की योजना पटरी पर उतारी हैं। इसी परिवहन व्यवस्था के तहत कैब सेवाएं देने वाली कंपनियों और कैब चालकों के बीच चल रहे विवाद को भी गंभीरता से लिया है। ऐसे कई कारणों के कारण कैब सेवा संचालित कर रही कंपनियों और कैब चालकों की मुश्किलों को दूर करने का फार्मूला स्टार्टअप में तलाशा जा रहा है। हाल ही में स्वयं केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने एक एप के जरिए कैब कारोबारियों की मुश्किलों को कम करने की बात कही है। इसी दिशा में केंद्र सरकार ने कैब सेवा देती आ रही कंपनियों से अपने स्टार्टअप अनुबंध के दौरान काली-पीली रंग वाली टैक्सियों को भी शामिल करने का विकल्प तलाशने को कहा है। इसका मकसद है कि केंद्र सरकार स्टार्टअप के जरिए देश में सभी कैब सेवाओं और उनके चालकों को राहत देने वाली योजनाओं को लागू कर सकेगी। मंत्रालय के अनुसार सरकार ने ऐसी योजना इसलिए बनाने का निर्णय किया है कि कैब चालकों की शिकायत है कि इन कैब कंपनियों के बिजनेस मॉडल की वजह से उनका रोजगार छीनता जा रहा है।
नियमावली पर आएगी स्कीम
केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय के अनुसार केंद्र सरकार ओला और ऊबर जैसी कंपनियों के लिए रेगुलेशंस पर एक स्कीम तैयार कर रही है। हालांकि इस प्रक्रिया में समय लग सकता है, क्योंकि इसके लिए राज्यों के साथ भी सहमति बनानी होगी। केंद्र सरकार की ओर से कैब कंपनियों के उठाए गये रेगुलेटरी मुद्दों पर भरोसा दिया है कि ऐसी सभी समस्याओं का समाधान निकालने का प्रयास किया जा रहा है। मंत्रालय के अनुसार केंद्रीय मंत्री गडकरी ने मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों को ड्राइविंग लाइसेंस के लिए वेटिंग पीरियड कम करने और ई-रिक्शा को मोटर वाहन कानून से बाहर करने सहित लाल फीताशाही को समाप्त करने के प्रयास करने को कहा है। मसलन मंत्रालय परिवहन क्षेत्र के लिए इनोवेटिव सॉल्यूशंस पेश करने के मकसद से आईआईटी को 100 करोड़ रुपये देने के लिए तैयार है।
झटके झेल चुका ऊबर व ओला
सूत्रों की माने तो कैब कारोबार में बढ़ती मुश्किलों को हल करने के लिए केंद्र सरकार के हस्तक्षेप और इसे स्टार्टअप के दायरे में लाने की योजना के बावजूद इन दोनों पक्षों के बीच कोई समझौता होना मुश्किल नजर आ रहा है। इसकी वजह साफ है कि पिछले दिनो नामचीन ऊबर और ओला जैसी कंपनियों को अपने कैब चालकों के उजागर हुए अपराधों, सर्ज प्राइसिंग और अन्य मुद्दों से जूझना पड़ा है। यहां तक नौबत आई कि सॉμटबैंक और टाइगर ग्लोबल के निवेश वाली ओला को अपनी टैक्सी फॉर श्योर यूनिट बंद करनी पड़ी है। यही कारण था कि पिछले दिनों दिल्ली और अन्य शहरों में में टैक्सी और आॅटोरिक्शा यूनियनों ने इन दोनों कैब कंपनियों पर पक्षपात का आरोप लगाते हुए हड़ताल की थी।
10Oct-2016

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