मंगलवार, 4 अक्तूबर 2016

अब लंबित सड़क परियोजनाओं की बढेगी गति

निर्माण कंपनियों को मिलेंगे मुकदमेबाजी में फंसे छह हजार करोड रुपये
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
देशभर में कानूनी विवादों की वजह से लंबित पड़ी सड़क परियोजनाओं को फिर से तेजी के साथ शुरू करने का रास्ता साफ हो गया है। मसलन ऐसी करीब सवा सौ मामलों का निपटान करके एनएचएआई ने मुकदमेबाजी में फंसी छह हजार करोड़ रुपये की रकम सड़क निर्माण कंपनियों को देने का फैसला किया है, ताकि सड़क परियोजनाओं की गति में तेजी लाई जा सके।
केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्राल के सूत्रों ने बताया कि जल्द ही राष्ट्रीय भारतीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) मुकदमेबाजी के चलते फंसे 6,000 करोड़ रुपये सड़क निर्माण कंपनियों को देना शुरू कर देगा। दरअसल केंद्र सरकार ने अपने विभागों, मंत्रालयों और निजी क्षेत्र की कंपनियों से विचार विमर्श करके एक योजना बनाई, जिसके तहत विवादित रकम का 75 फीसदी हिस्सा उन सड़क निर्माताओं को देने पर विचार किया गया, जो पंचाट में मुकदमे जीत चुके हैं। सरकार ने इस योजना का ऐलान पिछले महीने ही किया था, जिसके तहत एनएचएआई इस रकम को निर्माण कंपनियों को देगा। इस योजना के तहत देश में रूकी हुई या लंबित सड़क परियोजनाओं के लिए धनराशि का भी इंतजाम हो सकेगा और बैंकों को सड़क निर्माताओं से ऋण की वसूली करने में भी मदद मिल सकेगी। सरकार की इस योजना में नीति आयोग ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यानि नीति आयोग ने संबन्धित मंत्रालयों और विभागों को पत्र लिखकर इस योजना पर जल्द अमल करने को कहा है। गौरतलब है कि इस सरकार की इस योजना यानि पॉलिसी को हाल में आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति ने मंजूरी दी है, जिसमें सरकारी एजेंसियों को 75 फिसदी रकम मार्जिन फ्री बैंक गारंटी की एवज में एस्क्रो एकाउंट में जमा कराने को कहा गया है। इस मंजूरी के तहत इस एकाउंट का इस्तेमाल जारी प्रोजेक्ट या बैंक लोन चुकाने के लिए किया जा सकता है।
फंसी है 25 हजार करोड़ की रकम
सूत्रों के अनुसार एनएचएआई के पास ऐसे 123 विवादित मामलों के तहत 25,000 करोड़ रुपये हैं। इसमें 13,000 करोड़ रुपये की वह रकम भी शामिल है, जिनमें पंचाट या मध्यस्थता प्रक्रिया के जरिए फैसला कंपनियों के हक में आया है। एनएचएआई के ही सूत्रों की माने तो अभी तक उसके खिलाफ जो भी मामले गए हैं, उसकी रकम 13 हजार करोड़ रुपये है। लेकिन आपसी रजामंदी के तरीके से पांच हजार करोड़ रुपये का सेटलमेंट किया जा चुका है। जबकि आठ हजार करोड़ की शेष रकम की पॉलिसी के तहत 75 फीसदी रकम 6 हजार करोड़ रुपये का भुगतान केस टु केस बेसिस के आधार पर शुरू कर दिया जाएगा, इसमें बीस कंपनियों का दावा जुड़ा हुआ है। इसके लिए एनएचएआई ने निजी कंपनियों को पत्र भेजकर जल्द ही भुगतान की प्रक्रिया शुरू कर देगी।
शर्ते भी होंगी तय
एनएचएआई के सूत्रों का कहना है कि जैसे ही ये कंपनियां प्राधिकरण को पत्र भेजेंगी और उनका भुगतान शुरू हो जाएगा तो अपना क्लेम पाने के लिए निर्माण कंपनियों को यह बैंक गांरंटी भी लिखित में देना होगा कि हम अपने अनुबंध मसौदे में भी बदलाव कर रहे हैं ताकि कंपनी बैंक गारंटी देने से पीछे न हट सकें। ऐसी शर्तो का मकसद है कि एनएचएआई रूकी हुई सड़क परियोजनाओं को तेजी के साथ चालू करा सके। गौरतलब है कि ऐसे विवादों में फंसी कई सड़क परियोजनाओं को केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने आपसी बातचीत के जरिए सुलह कराकर शुरू भी कराया है।
04Oct-2016

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