गुरुवार, 20 अक्तूबर 2016

भिक्षावृत्ति की समस्या से निपटने की तैयारी!

अभावग्रस्त लोगों की सुरक्षा में आएगा मॉडल कानून
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
केंद्र सरकार देश में अभावग्रस्त और भिक्षावृत्ति की समस्या से निपटने के लिए अभावग्रस्त (संरक्षण, देखभाल और पुनर्वास) विधेयक जैसे मॉडल कानून लाने की तैयारी में है। जिसके मसौदे पर विशेषज्ञों और राज्यों से राय मांगी जा रही है।
केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत ने बुधवार को इस विधेयक के मसौदे को लेकर विधायी परामर्श के लिए एक बैठक में विशेषज्ञों और विभिन्न संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने मंत्रालय द्वारा तैयार किये गये अभावग्रस्त (संरक्षण, देखभाल और पुनर्वास) व्यक्तियों के लिए मॉडल विधेयक-2016 के बारे में विस्तार से विचार विमर्श किया गया। बैठक की अध्यक्षता करते हुए केंद्रीय मंत्री गहलोत ने कहा कि इस मॉडल कानून के जरिए सरकार का अभावग्रस्त और भिक्षावृत्ति की समस्या से निपटना प्रमुख मकसद है। सरकार चाहती है कि इस समस्या से निपटने के लिए दंडात्मक तौर तरीकों के बजाए ऐसे अभावग्रस्त लोंगों की सुरक्षा,देखभाल, सहायता, आश्रय, प्रशिक्षण और अन्य सेवाएं मुहैया कराकर उनका पुनर्वास कराया जाए। जिसके लिए एक आदर्श कानून बनाने की जरूरत महसूस की जा रही है। इसीलिए मंत्रालय द्वारा तैयार किये गये इस मॉडल कानून संबन्धी विधेयक के मसौदे पर राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के अलावा सामाजिक विशेषज्ञों की राय जरूरी है, जिनसे ऐसे विधान को अपनाने का आव्हान किया जा रहा है। इस बैठक में राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रशासनों के समाज कल्याण विभाग के प्रतिनिधि वरिष्ठ अधिकारियों, संबंधित मंत्रालयों व विभागों के प्रतिनिधियों, सामाजिक कार्यकतार्ओं, विधि आयोग, बार काउंसिल और बेसहारा लोगों के कल्याण के लिए कार्यरत प्रतिष्ठित गैर सरकारी संगठनों के प्रतिनिधियों ने भी मंथन किया।
विशेषज्ञों की राय पर मसौदा
केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय की सचिव श्रीमती अनीता अग्निहोत्री ने इस विधेयक की मुख्य विशेषताओं के बारे में बताया कि मंत्रालय के इस दृष्टिकोण में मंत्रालय ने राज्य प्रतिनिधियों और भिक्षावृत्ति के क्षेत्र के विशेषज्ञों के साथ आयोजित राष्ट्रीय परामर्श बैठकों में भी मंथन किया है और मंत्रालय के सामने सामने आई सिफारिशों के आधार पर अभावग्रस्त व्यक्तियों के लिए मॉडल कानून का मसौदा तैयार किया गया है। इस विधेयक का उद्देश्य अभावग्रस्त व्यक्तियों सामाजिक सुरक्षा के तहत पहचान करने के लिए इस प्रयास को आगे बढ़ाने हेतु एजेंसियों की स्थापना करने पर विचार किया जा रहा है।
राज्य ने भी बनाए कानून
मंत्रालय के अनुसार इस दिशा में 20 राज्यों और 2 केंद्र शासित प्रदेशों ने या तो अपने कानून तैयार किए हैं या अन्य राज्यों द्वारा बनाए गए कानूनों को अपनाया है। इसलिए इन कानूनों के प्रावधान और इन्हें लागू करने की स्थिति विभिन्न राज्यों में अलग-अलग है। इसी प्रकार भिखारियों के पुनर्वास के प्रयास भी एक समान नहीं है। अधिकांश राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने बम्बई भिक्षावृत्ति निरोधक कानून 1959 को अपना रखा है जिसके तहत भिक्षावृत्ति अपराध है।
देश में बढ़ रही है भिक्षावृत्ति
वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार भिखारियों और खानाबदोशों की जनसंख्या लगभग 4.13 लाख आंकी गई थी, जिनमें 3.72 लाख गैर कामगार श्रेणी और 41,453 सीमांत श्रमिक श्रेणी के शामिल है। जबकि मंत्रालय के पास फिलहाल बेसहारा लोगों की जनसंख्या के बारे में कोई आंकड़ा उपलब्ध नहीं हैं।
20Oct-2016

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