मंगलवार, 18 अक्तूबर 2016

कावेरी जल विवाद: तकनीकी समिति ने सुप्रीम कोर्ट में सौंपी रिपोर्ट

तकनीकी रिपोर्ट के आधार पर आज होगी सुनवाई
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
सुप्रीम कोर्ट बहुचर्चित कावेरी विवाद पर कल मंगलवार को फिर सुनवाई करेगी, जिसमें सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर केंद्र सरकार की गठित तकनीकी रिपोर्ट पर गौर किया जाएगा। इसलिए सोमवार को तकनीकी समिति ने अपनी तकनीकी रिपोर्ट में सामाजिक और अन्य तकनीकी पहलुओं का आकलन करके रिपोर्ट तैयार की है।
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा 4 अक्टूबर को जारी निर्देश पर केंद्रीय जल संसाधन मंत्री सुश्री उमा भारती ने केंद्रीय जल आयोग के अध्यक्ष जीएस झा की अगुवाई में एक उच्च स्तरीय तकनीकी विशेषज्ञ दल का गठन किया था। इस दल ने कावेरी बेसिन की वास्तविक स्थिति का आकलन के लिए कावेरी बेसिन का दौरा करने के बाद अपनी रिपोर्ट को कोर्ट के निर्देशानुसार तैयार करके सुप्रीम कोर्ट में दाखिल कर दी है, जो कल मंगलवार को सुनवाई के दौरान सामने आएगी। सुप्रीम कोर्ट ने 4 अक्तूबर को कावेरी मैनेजमेंट बोर्ड बनाने के मामले को 18 अक्टूबर तक टाल दिया था। कल जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस अमिताव रॉय और जस्टिस एएम खानविलकर की बेंच इस मामले की सुनवाई करेगी।
रिपोर्ट में सामाजिक पहलू
केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय के अनुसार इस तकनीकी समिति ने जो रिपोर्ट सोमवार को सौंपी है उसमें कावेरी जल विवाद के कारणों के साथ सामाजिक और तकनीकी पहलुओं पर विचार कर निष्कर्ष निकाला गया है। समिति ने सामाजिक पहलू के तहत पाया है कि कर्नाटक और तमिलनाडु में पानी की कमी को लेकर किसान बदहाल हैं। किसान और मछुवारे बेरोजगारी और आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं। कर्नाटक के मंड्या जिले में बड़ी संख्या में खुदकुशी के मामले सामने आये हैं। कर्नाटक सरकार ने कावेरी बेसिन के 48 तालुका में से 42 तालुका को केंद्र सरकार के गाइडलाइन के तहत सूखा घोषित किया है।
समिति ने दिये सुझाव
सरकार की विशेषज्ञ तकनीकी समिति ने अपनी रिपोर्ट में कर्नाटक और तमिलनाडु दोनों राज्यों को तमिलनाडु और पुडुचेरी में सिंचाई के लिए लोगों के हित के लिए काम करने पर बल दिया। वहीं कर्नाटक के विकास के बारे में गंभीरता से विचार करने को कहा है, जिसके लिए राज्य के लोगों को इस बाबत जागरूक करने पर बल दिया गया है। तमिलनाडु सरकार की खेती को दी जाने वाली सब्सिडी की सुविधा तभी सफल हो सकती है, जब फसल के समय पूरा पानी उपलब्ध हो। समिति ने कहा कि पीने के पानी के लिए बंटवारे सिस्टम में बेहतरी लाने की जरूरत है। पानी के बहाव और कटाव के लिए आॅटोमैटिक वॉटर मैनजेमेंट सिस्टम लगाने की जरूरत है। सम्बन्धित राज्यों के सिंचाई प्रबंधन को किसानों के बीच पानी के बराबर बंटवारे की जरूरत है।
तकनीकी में सुधार पर बल
समिति की रिपोर्ट में पानी के वितरण के लिए जो तकनीक लगाई गई है वो पुरानी है। इसलिए किसानों को दिए जाने वाले पानी का तरीका एक सदी पुराना है। समिति ने इस तकनीक में सुधार करके पानी की कमी को दूर करने और नई तकनीक का इस्तेमाल करने पर जोर दिया है। पानी के बंटवारे के लिए पाइप का इस्तेमाल करना चाहिए। समुद्र के तट के इलाकों में भूमिगत जल का इस्तेमाल नहीं हो सकता क्योंकि समुद्र की वजह से पानी नमकीन हो जाता है इसलिए मैटुर जलाशय से ही सिंचाई संभव है।
18Oct-2016

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