शनिवार, 29 अक्तूबर 2016

अब एक कदम दूर केन-बेतवा परियोजना!

पर्यावरणीय मंजूरी मिलते ही शुरू होगा काम
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
देश में सूखे और बाढ़ तथा जल संकट जैसी समस्या की चुनौती से निपटने के इरादे से अटल बिहारी वाजपेयी की नदियों को आपस में जोड़ने वाली महत्वाकांक्षी परियोजनाओं के तहत केन-बेतवा लिंक परियोजना इतिहास रचने के मुहाने पर है, जिसे वन्यजीव से हरी झंडी मिलने के बाद अब पर्यावरणीय मंजूरी का इंतजार बाकी है।
दरअसल मोदी सरकार ने देश में नदियों को आपस में जोड़ने की 30 परियोजनाओं को रडार पर रखा हुआ है, जिसमें इस परियोजना को फास्ट्र टेÑक पर लाने के बाद मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड के लिए वरदान बनने जा रही करीब 9393 करोड़ की केन-बेतवा लिंक परियोजना देश की ऐसी पहली परियोजना होगी, जिससे देश में सूखे और बाढ़ की समस्या के साथ जल संकट को दूर करने में मदद मिलेगी। केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय के अनुसार केन-बेतवा नदी जोड़ो परियोजना की दोनों राज्यों की सरकारों द्वारा सभी औपचारिकताएं पिछले साल ही पूरी हो चुकी हैं और डीपीआर के अनुसार परियोजना शुरू करने का पूरा खाका भी पहले से ही तैयार है। परियोजना की मंजूरी देने में वन्य एवं पर्यावरण मंत्रालय की वन्यजीव समिति रोड़ा बनी रही, जिससे खफा केंद्रीय जल संसाधन मंत्री सुश्री उमा भारती को अनशन करने तक की चेतावनी देनी पड़ी। शायद उमा के इन तेवरों को देख मंत्रालय के तर्को को स्वीकार करते हुए अपना कार्यकाल पूरा होने से पहले ही वन्यजीव समिति ने अपनी मंजूरी देकर इस परियोजना की राह आसान कर दी। अब केवल पर्यावरणीय मंजूरी का इंतजार है, जिसके लिए नई समिति गठित करने की प्रक्रिया के बाद हरी झंडी मिलने की उम्मीद है। इसके लिए केंद्रीय मंत्री उमा भारती उत्साहित है कि पर्यावरणीय मंजूरी मिलते ही जल्द ही केन-बेतवा परियोजना लांच कर दी जाएगी। इस परियोजना के शुरू होने से मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश में जल संकट से जूझ रहे बुंदेलखंड क्षेत्र के 70 लाख लोगों की खुशहाली का मार्ग प्रशस्त होगा, जिन्हें पर्याप्त पानी, फसलों की सिंचाई और रोजगार की समस्या से भी निजात मिलेगी।
क्या होगा परियोजना का खाका
मंत्रालय के अनुसार मध्य प्रदेश व उत्तर प्रदेश की इस केन-बेतवा परियोजना के तहत लिंक नहर की कुल लंबाई 221 किलोमीटर होगी, जिसमें दो किलोमीटर की सुरंग भी बनेगी। बरसात में केन नदी से आने वाले पानी को रोकने के लिए खजुराहो के निकट गंगऊ वियर से ढाई किलोमीटर दूर दौधन बांध बनेगा। 77 मीटर ऊंचे इस बांध की क्षमता 2953 मीट्रिक घन मीटर होगी। बांध पर 78 मेगावाट क्षमता की दो विद्युत उत्पादन इकाइयां भी स्थापित होंगी। इनमें एक उत्पादन इकाई बांध पर और दूसरी दो किलोमीटर दूर बनने वाली सुरंग के पास स्थापित होगी। यहां से आने वाला पानी बरुआसागर झील में मिलने के बाद बेतवा नदी में पहुंचेगा।
खासबात है कि परियोजना के तहत 1700-1700 मिलियन घन मीटर पानी मध्य प्रदेश व उत्तर प्रदेश को मिलेगा। इस परियोजना से जहां मध्यप्रदेश के छतरपुर, टीकमगढ़ एवं पन्ना जिले की 3,69,881 हेक्टेयर भूमि, तो वहीं उत्तर प्रदेश के महोबा, बांदा व झांसी जिले की 2,65,780 हेक्टेयर भूमि की सिंचाई क्षमत में वृद्धि होगी, जिसमें झांसी जिले की 6,35,661 हेक्टेयर कृषि भूमि भी शामिल है। इसके अलावा इस परियोजना के मार्ग में पड़ने वाली 13.42 लाख जनसंख्या को 49 मिलियन क्यूबिक मीटर पेयजल की उपलब्धता से लोगों की प्यास भी बुझेगी।
राष्ट्रीय मॉडल तैयार
मंत्रालय के अनुसार एमपी व यूपी के बुंदेलखंड की महत्वाकांक्षी केन-बेतवा लिंक परियोजना ने अपना कागजी सफर पूरा कर लिया है। राष्ट्रीय विकास अभिकरण ने हाल ही में इस परियोजना का राष्ट्रीय मॉडल भी तैयार कर लिया है। 18/20 फीट के इस मॉडल को इस माह के अंत तक झांसी लाया जाएगा। झांसी में इस मॉडल को राजघाट कालोनी स्थित नदी बेतवा परिषद कार्यालय प्रांगण में जन मानस के अवलोकनार्थ रखा जाएगा। संबंधित विभाग के अफसरों ने परियोजना का शिलान्यास दिसंबर या नए साल की शुरूआत में होने की उम्मीद है। केंद्रीय जल संसाधन राज्य मंत्री संजीव बालियान ने कहा कि केन-बेतवा लिंक परियोजना का निर्माण पर्यावरीय मंजूरी मिलते अगले दिसंबर में ही शुरू कर दिया जाएगा। पर्यावरण विभाग वाइल्ड लाईफ से एनओसी मिलना शेष रह गया है, जो किसी भी क्षण अपेक्षित है। केन बेतवा नदी जोड़ो परियोजना बुन्देलखण्ड अंचल के लिए दैवीय वरदान साबित होगी, क्योंकि इसके पूर्ण हो जाने पर इस अंचल को सूखा और बाढ़ की विभीषिका से मुक्ति मिल जायेगी।
29Oct-2016

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