शनिवार, 19 नवंबर 2016

अब बेनामी संपत्ति की सर्जिकल स्ट्राइक!

सरकार ने आईटी व अन्य विभागों की टीमों को किया सक्रिय
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
देश की व्यवस्था बदलने में जुटी मोदी सरकार ने नोटबंदी के बाद अब बेनामी संपत्ति के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक करने में जुट गई है। कालेधन के हिस्से के रूप में मानी जा रही बेनामी संपत्ति के खिलाफ मुहिम शुरू कर दी गई है। सरकार के फैसले के तहत आयकर विभाग की दो सौ टीमों ने ऐसी बेनामी संपत्तियों की जांच करने की कार्यवाही शुरू कर दी है।
सूत्रों के अनुसार नोटबंदी के कड़े फैसले के बाद केंद्र सरकार की ओर से काले धन पर जबरदस्त चोट करने के लिए व्यापक स्तर पर कार्रवाई शुरू की गई है। इस कार्यवाही में अब बेनामी संपत्तियों और महंगी प्रॉपर्टी पर खास नजरे रखे आयकर विभाग जांच में जुट गया है। सूत्रों के अनुसार सरकार ने फिलहाल गठित की गई आयकर और संबन्धित विभागों की 200 टीमों को देशभर में बेनामी संपत्तियों की जांच में सक्रिय कर दिया है। खासतौर से ये टीमें कमर्शियल प्लॉट्स, हाईवे के किनारे की जमीने और औद्योगिक जमीनों की जांच कर रही है। इसके अलावा देश के प्रमुख शहरों के वीआईपी इलाको में मौजूद जायदादों की जांच भी की जा रही है। प्रमुख औद्योगिक प्लॉटों और कॉमर्शियल μलैटों, दुकानों की जांच की जा रही है। वहीं केंद्र सरकार ने तमाम विभागों से सरकारी जमीनों का भी ब्यौरा भी तलब किया है, ताकि इस बात का पता लगया जा सके कि सरकारी जमीनों पर कहां-कहां और किस-किसके कब्जे हैं। ऐसी एक सूची तैयार की जा रही है। वहीं आयकर विभाग और अन्य विभागों की मदद से इन सब संपत्तियों का वेरीफिकेशन किया जा रहा है।
कार्यवाही का आधार
सूत्रों के अनुसार ये टीम अभी संदेह के आधार पर जांच कर रही है और जो लोग बेनामी संपत्ति के मालिक पाए जाएंगे, उनके खिलाफ गत एक नवंबर से लागू हो चुके बेनामी ट्रांजेक्शन एक्ट 2016 कानून के तहत कार्रवाई की जाएगी। इस कानून के तहत बेनामी संपत्ति को जब्त करने के अलावा दोषी पाए जाने पर सात साल की सजा का भी प्रावधान है।
क्या है बेनामी संपत्तियां
बेनामी का मतलब है बिना नाम के प्रॉपर्टी लेना। इस ट्रांजैक्शन में जो आदमी पैसा देता है वो अपने नाम से प्रॉपर्टी नहीं करवाता है। जिसके नाम पर ये प्रॉपर्टी खरीदी जाती है उसे बेनामदार कहा जाता है। इस तरह खरीदी गई प्रॉपर्टी को बेनामी प्रॉपर्टी कहा जाता है। इसमें जो व्यक्ति पैसे देता है घर का मालिक वही होता है। ये प्रॉपर्टी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष दोनों तरीकों से पैसे देने वाले का फायदा करती है।
अवैध लेन-देन की भी जांच
जांच एजेंसियां काले धन का पता लगाने के लिए ये पता कर रही हैं कि किस के नाम हैं दुकाने और प्लॉट हैं और वह किसके नाम है बड़े बंगले और औद्योगिक प्लॉट भी इस जांच में शामिल हैं। जांच के दौरान पता चला है कि लुटियन जोन में भी कुछ बंगलों का वास्तविक मालिक कोई और है। जांच के दायरे में रिश्वत और भ्रष्टाचार की रकमों से खरीदे गए कुछ बंगले हैं। एक बंगला जांच बंद करने के नाम पर एक सीए के नाम खरीदा गया। ऐसे सभी मामलों की जांच जारी है।
ऐसे बनती है बेनामी प्रॉपर्टी?
जानकारों के अनुसार जो प्रॉपर्टी इन मानकों पर खरी नहीं उतरती है या पत्नी और बच्चों के नाम पर खरीदी गई हो, लेकिन इसके लिए पैसा आय के अज्ञात स्रोत से दिया गया हो, वह इस दायरे में होती है। वहीं आय के अज्ञात स्रोत से भाई या बहन या रिश्तेदार के नाम पर ली गई अथवा किसी और विश्वासपात्र के नाम पर खरीदी गई प्रॉपर्टी बेनामी दायरे में शामिल है।
19Nov-2016

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