मंगलवार, 29 नवंबर 2016

संसद में नोटबंदी पर नहीं थमा हंगामा-जन आक्रोश दिवस पर नहीं मिला विपक्ष को समर्थन


संसद में नोटबंदी पर नहीं थमा हंगामा
राज्यसभा में अपनी मांगों पर अड़िग विपक्ष
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
संसद के शीतकालीन सत्र के तीसरे सप्ताह की कार्यवाही भी नोटबंदी के मुद्दे पर हंगामे के साथ ही शुरू हुई और विपक्ष पीएम मोदी की मौजूदगी में चर्चा की मांग के साथ उनके द्वारा की गई टिप्पणी पर माफी की मांग करते हुए दोनों सदनों में हंगामा करते नजर आया। इस हंगामे के कारण संसद के दोनों सदनों की कार्यवाही ठप रही और पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गई।
सोमवार को राज्यसभा की कार्रवाई शुरू होते ही विपक्षी दलों ने सदन में पीएम मोदी को बुलाने की मांग को लेकर हंगामा किया और नोटबंदी के मुद्दे पर उनसे सदन में जवाब देने की मांग की। राज्यसभा के उपसभापति प्रो. पीजे कुरियन के लगातार आग्रह के बाद भी विपक्षी दलों के नेता शांत होने को तैयार नहीं हुए और लगातार आसन के करीब आकर नारेबाजी के साथ हंगामा करते रहे, जिसके कारण सदन की कार्यवाही कई बार स्थगित करनी पड़ी। दोपहर बाद दो बजे भी विपक्षी दलों का यही अडियल रवैया और हंगामा रहा तो सदन की कार्यवाही को मंगलवार तक स्थगित करनी पड़ी। सदन में विपक्ष के हंगामे के कारण सोमवार को भी शून्यकाल व प्रश्नकाल नहीं हो सका। मोदी सरकार के इस फैसले पर चर्चा की मांग कर रहे विपक्षी दलों के निशाने पर प्रधानमंत्री से सदन में आकर जवाब देने की मांग पर अड़िग विपक्षी दल चुनौती भी दे रहे हैं, जिसमें राज्यसभा सदस्य बसपा सुप्रीमो ने तो यहां तक कहा कि मायावती ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र संसद से बाहर बड़ी-बड़ी और चौड़ी बातें कर सकते हैं लेकिन उनमें सदन में सवालों के जवाब देने की हिम्मत नहीं है। राज्यसभा में बसपा प्रमुख मायावती ने कहा कि भाजपा कह रही है विपक्ष ने भारत बंद बुलाया है, लेकिन असलियत यह है कि पीएम के फैसले से यह पहले ही हो चुका है। गौरतलब है कि राज्यसभा में 16 नवंबर को नोटबंदी पर चर्चा शुरू हुई थी जो अभी तक पूरी नहीं हो पाई है।
विपक्ष का आरोप
विपक्ष का नोटबंदी के फैसले को लेकर आरोप है कि पीएम मोदी के इस फैसले के कारण गरीब, मजदूर, असंगठित क्षेत्र के लोग, किसान, महिलाएं आदि काफी प्रभावित हुए हैं। लोग एक पैसा भी नहीं निकाल पा रहे हैं। देश की आर्थिक व्यवस्था बर्बाद हो रही है। विपक्ष की मांग है कि सरकार के नोटबंदी के फैसले के कारण जनता को जो तकलीफ हो रही है, उसके बारे में हमारे कार्यस्थगन प्रस्ताव को मंजूर किया जाए। गौरतलब है कि विपक्ष मांग कर रहा है कि पीएम सदन में आकर जवाब दें और बहस का हिस्सा बनें। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि पीएम मोदी सदन के बाहर इतना बोलते हैं तो संसद में जवाब क्यों नहीं देते। वहीं मायावती ने भी कहा कि पीएम बाहर लंबी-लंबी और चौड़ी बातें करते हैं लेकिन उनमें सदन में बोलने की हिम्मत नहीं है।
सरकार की दलील
विपक्षी दलों के आरोपों को खारिज करते हुए सरकार का तर्क है और दलील दी जा रही है कि नोटबंदी का यह फैसला राष्ट्रहित में लिया गया क्रांतिकारी, साहसिक और गरीबोन्मुखी कदम है और किसी ने भी यह सवाल नहीं उठाया कि यह गलत नीयत से लिया गया फैसला है। इस फैसले पर किसी ने सवाल नहीं उठाया। सरकार ने यह भी साफ कर दिया है कि विपक्षी दलों द्वारा प्रधानमंत्री से संसद में बहस के दौरान उपस्थित रहने पर जोर दिये जाने पर प्रधानमंत्री संसद में आएं, तो सदन में भी आएंगे और बहस में हस्तक्षेप भी करेंगे। सरकार पहले दिन से इस मुद्दे पर चर्चा करने के लिए तैयार हैं। हम इस बारे में विपक्ष के सुझावों पर भी विचार करने को तैयार हैं।
संसद परिसर में प्रदर्शन
संसद से बाहर विफल जन आक्रोश दिवस के कारण सोमवार को विपक्षी दलों ने संसद में एक बैठक करके संसद परिषद में महात्मा गांधी की प्रतिमा के समक्ष धरना दिया और पीएम मोदी के नोटबंदी के फैसले के विरोध में प्रदर्शन करके नारेबाजी की। इस मौके पर कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि पीएम को आने दीजिए और हमसे सदन के अंदर बात करने दीजिए। गौरतलब है कि केंद्र सरकार के नोटबंदी के फैसले के खिलाफ विपक्ष का संसद से लेकर सड़क तक हंगामा करता आ रहा है, जिसने सोमवार अपने अपने स्तर पर दलवार देशभर में इसके खिलाफ सड़कों पर प्रदर्शन भी किया, लेकिन भारत बंद का आव्हान पर विपक्षी दलों को जन समर्थन नहीं मिल सका।
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नोटबंदी: जनांदोलन पर नहीं मिला विपक्ष को समर्थन
बिखरे विपक्षी दलों ने अपने स्तर पर किये प्रदर्शन
भारत बंद का समर्थन से ज्यादा विरोध,
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 500 और 1000 रुपए के नोटों को बंद करने के फैसले के खिलाफ विपक्षी दल पहले दिन से ही संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान दोनों सदनों में सरकार को घेरे हुए है। इस मुद्दे पर सरकार के खिलाफ भारत बंद का आव्हान के तहत जन आक्रोश दिवस मनाने का जो फैसला किया था, उसे न तो जनसमर्थन ही मिला, बल्कि सोशल मीडिया पर भी विपक्षी दलों को इस आंदोलन का विरोध झेलने को मजबूर होना पड़ रहा है। इसी कारण जन आक्रोश दिवस से पहले बिखरे विपक्ष ने अपने-अपने दलो के आधार पर प्रदर्शन जरूर किये।
सरकार द्वारा संसद में नोटबंदी का विरोध करते आ रहे विपक्षी दलों से चल रहे गतिरोध को खत्म करने के प्रयास किये थे, लेकिन कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों ने लामबंदी करके 28 नवंबर यानि सोमवार तक सरकार से कोई भी बात करने से इंकार कर दिया था और कहा था कि विपक्ष इस मुद्दे के खिलाफ भारत बंद का आव्हान कर जन आक्रोश दिवस मनाएगा। हालांकि उधर सत्तापक्ष भी विपक्ष की इस रणनीति के खिलाफ जनता को कालेधन, भ्रष्टाचार जैसी बुराई से निपटने की दलील देकर समर्थन हासिल करने की मुहिम चलाई। वहीं नोटबंदी पर पीएम द्वारा जनता से पूछे गये दस सवालों के जवाब में जिस प्रचंड के साथ इस फैसले को समर्थन मिला, उसका विपक्षी दलों की सरकार के खिलाफ मुहिम छेड़ने की रणनीति शायद धाराशायी हुई। यही कारण था कि संयुक्त बैठक् में विपक्षी दलों द्वारा 28 नवंबर के जन आक्रोश दिवस मनाने से पहले ही विपक्ष अपने-अपने पैंतरे बदलते नजर आए। जदयू और टीएमसी ने तो विपक्ष के जनाक्रोश दिवस का हिस्सा बंद करने से इंकार कर दिया था, वहीं कांग्रेस और सपा को भी विरोध प्रदर्शन करने तक सीमित रहना पडा। हालांकि टेÑड यूनियन के श्रमिकों के सहारे वामदल विरोध प्रदर्शन करने में अन्य दलों से आगे बताए जा रहे हैं, लेकिन भारत बंद का ज्यादा असर जनजीवन पर नहीं पड़ सका।
सोशल मीडिया पर भी बिखराव
नोटबंदी पर जनसमर्थन से वंचित नजर आए विपक्षी दलों के इस जनाक्रोश दिवस पर सोशल मीडिया पर भी बिखराव की स्थिति देखी जा रही है, लेकिन उसमें नोटबंदी के फैसले के समर्थन का पलड़ा भारी देखा जा रहा है। मसलन कुछ कुछ लोगों ने भारत बंद का समर्थन किया है, तो उससे कहीं बड़ी संख्या में लोग विपक्ष के इस प्रदर्शन के विरोध में नजर आए। कई यूजर्स ने बंद का विरोध करने की अपील भी की थी, लेकिन उनकी अपील वाली टिप्पणी पर लोगों के भारत बंद का विरोध करते हुए नसीहत दी तो कुछ ने लिखा कि जो बंद के खिलाफ वे अपनी दुकानों के बाहर लिखें कि वे बंद का समर्थन नहीं करते। मसलन ट्विटर के अलावा फेसबुक और व्हॉटसएप पर भी इस तरह के मैसेज फॉरवर्ड ज्यादार संख्या में किए गए।
संसद परिसर में जदयू व तृणमूल नदारद
संसद भवन के परिसर में विपक्ष के राष्ट्रव्यापी आक्रोश दिवस के मौके पर सोमवार को प्रदर्शन के दौरान जनता दल-यू तथा तृणमूल कांग्रेस के सदस्यों ने भाग नहीं लेकर नोटबंदी को लेकर विपक्ष की एकता पर सवाल खड़े कर दिए। लोकसभा व राज्यसभा में हंगामे के कारण क्रमश: शून्यकाल व प्रश्नकाल स्थगित होने के तत्काल बाद विपक्षी सदस्य सदन से बाहर निकलकर सीधे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की प्रतिमा के सामने पहुंच गए और सरकार के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी। जहां जदयू व तृणमूल सदस्य नदारद रहे। संसद के दोनो सदनों में तृणमूल के डेरेक ओ ब्रॉयन तथा सुदीप बंधोपाध्याय और जनता दल यू के नेता शरद यादव नोटबंदी के खिलाफ मोदी सरकार को घेरते रहे हैं, लेकिन इस प्रदर्शन से दूरी बनाए रखी।
29Nov-2016

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