बुधवार, 2 नवंबर 2016

झूठे चुनावी वादे करने वाले सियासी दलों की खैर नहीं!

आगामी पांच राज्यों के चुनाव में ही लागू होगा नियम
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
देश में लोकतांत्रिक प्रणाली के तहत चुनाव सुधार की दिशा में तेजी से कदम बढ़ाते आ रहे केंद्रीय चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों पर पहली बार ऐसा शिकंजा कसने की तैयारी कर ली है, जिसमें चुनावी घोषणा पत्र में किये जाने वाले वादों पर खरा न उतरने वाले राजनीतिक दलों को बहुत भारी पड़ना तय है।
देश में चुनाव में मतदाताओं को रिझाने के लिए हरेक दल अपने अधिकृत चुनावी घोषणा पत्र में जनता के लिए चांद-सितारे तोड़ने तक के वादे कर देते हैं और सत्ता में आते ही ऐसे वादे ताक पर टांग दिये जाते हैं। केंद्रीय चुनाव आयोग ने पिछले लोकसभा चुनाव में नई व्यवस्था लागू करके राजनीतिक दलों पर लोकलुभावने वादों पर प्रतिबंध लगाया था। चुनाव सुधार की दिशा में चुनाव आयोग ने ऐसे समय जब उत्त्तर प्रदेश, पंजाब, गोवा, मणिपुर समेत पांच राज्यों में होने वाले चुनाव में सभी राजनीतिक दल अपने-अपने चुनावी घोषणा पत्र तैयार करने में जुटे हुए हैं और उसी के अनुसार चुनावी सभाओं में अपनी सियासी जमीन तलाशने में जुटे हुए हैं। सभी राजनीतिक दलों की रैलियों और चुनावी गतिविधियों पर पैनी नजर जमाए केंद्रीय चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों पर चुनावी वादो को लेकर एक और सख्त कदम उठाने का फैसला किया है। मसलन अब चुनावी घोषणा पत्र में जनता से बड़े-बड़े वादे कर उन्हें भूल जाना तमाम राजनीतिक दलों को भारी पड़ सकता है। अब आगामी चुनाव के लिए चुनाव आयोग ऐसे नियम लागू करने का फैसला कर चुका है कि झूठे चुनावी घोषणा पत्र जारी करने वाले सियासी दल के खिलाफ ऐसी सख्त कार्रवाई अमल में लाई जाएगी कि कोई भी दल भविष्य में झूठे वादे करने भूल जाएगा।
घोषणा पत्रों की होगी जांच
केंद्रीय चुनाव आयोग ने पिछले महीने एक बैठक में राजनीतिक दलों के झूठे घोषणा पत्रों पर लगाम कसने के लिए मंथन किया है, जिसके बारे में चुनाव आयोग की टीमें सभी चुनावी राज्यों में रातजनीतिक दलों के जारी किये जा रहे घोषणा पत्रों की जांच करेगी। इन घोषणा पत्रों में लोक लुभावन मुद्दों के साथ ऐसे वादों को भी चिन्हित करेगी, तो सत्ता में आने पर भी संभव नहीं हो सकते। इस प्रकार के नियमों को चुनाव आयोग की टीमें चुनावी राज्यों का दौरा करके राजनीतिक दलों को भी इस बात से आगाह करने का काम करने जा रही है, कि वे अपने घोषणा पत्र में कोई झूठे वादे को प्रकाशित न करें और जनसभाओं में दोहराएं। माना जा रहा है कि ऐसे नियम को लागू करके झूठे वादे करके मतदाताओं को आकर्षित करने वाले राजनीतिक दलों पर शिकंजा कसना तय है। चुनाव आयोग के एक अधिकारी की माने तो मतदाताओं को 'विश्वास नहीं तोड़ा जा सकता है। इसलिए आयोग के नियम मसौदे में स्पष्ट किया गया है कि घोषणापत्रों से निपटने के लिए एक समिति सुझाव देने के लिए गठित की जाएगी।
क्या होगा नया नियम
चुनाव आयोग के सूत्रों की माने तो वर्ष 2017 के यूपी समेत पांच राज्यों में हिस्सा लेने वाले राजनीतिक दल यदि अपने घोषणा पत्र में जनता के सामने 'चांद-सितारे तोड़कर' या अन्य कोई चमत्कार करने का वादा करती है, तो उन दलों को स्टांप पेपर पर एक शपथ-पत्र चुनाव आयोग के समक्ष दाखिल करना होगा। इस शपथ पत्र में दलों को यह भी बताना होगा कि उसे पूरा किस तरीके से किया जाएगा और उसके लिए पैसा कहां से आएगा। वोटरों से उन्हीं वादों के आधार पर वोट मांगा जाना चाहिए जो पूरे किए जा सकें। इस शपथ-पत्र पर खरा न उतरने वाले राजनीतिक दल के खिलाफ कार्यवाही ही नहीं की जाएगी, बल्कि उस दल के चुनाव चिन्ह को रद्द तक किया जा सकता है। ऐसा नियम का मसौदा चुनाव आयोग गत 23 सितंबर को आयोग में हुई एक बैठक में ही तैयार कर चुकी है। इसलिए सभी राजनीतिक दलों से चुनाव आयोग को ऐसी उम्मीद है कि वह अपने चुनावी घोषणापत्र में तर्क आधारित ही वादे करेंगे।
फरवरी-मार्च में संभव चुनाव
देश के पांच राज्यों उत्तर प्रदेश, पंजाब, गोवा, उत्तराखंड और मणिपुर ने अगले साल होने वाले विधान सभा चुनाव की को लेकर सभी राजनीतिक दल प्रचार करने में व्यवस्त हैं, जहां चुनाव आयोग द्वारा चुनाव की तारीखें ऐलान करने का इंतजार है। आयोग की और से ऐसे संकेत हैं कि फरवरी-मार्च में इन राज्यों के विधानसभा चुनाव कराए जा सकते हैं। राजनीतिक दलों की गतिविधियों के इतर चुनाव आयोग भी चुनाव कराने की तारीखों के लिए अपना कार्यक्रम और उससे पहले की तैयारियों में जुटा हुआ है। चुनाव आयोग इन राज्यों में मौजूदा सरकार का शासनकाल खत्म होने के साथ ही नई सरकार का गठन वक्त पर कराना चाहता है। गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश विधान सभा का कार्यकाल 27 मई, 2017, तो उत्तराखंड विधान सभा का कार्यकाल 27 मार्च और गोवा, मणिपुर और पंजाब का कार्यकाल 15 मार्च को खत्म हो जाएगा। इसलिए इससे पहले ही चुनाव प्रक्रिया पूरी करने की दरकार होगी।
02Nov-2016

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