क्या है गांव की दशा
मंत्रालय ने बताया कि मध्य प्रदेश के मझगुवां खुर्द में 1,652 लोगों की आबादी है, जिनका मुख्य पेशा कृषि है। यह गांव पानी की अपनी सभी तरह जरूरतों के लिए 100 फीसदी भूजल पर निर्भर है। पीने के पानी का स्रोत भूजल दिसंबर से फरवरी तक घटकर बहुत नीचे चला जाता है, क्योंकि इसका गेहूं की खेती के लिए बड़े पैमाने पर दोहन होता है। जून में प्रचंड गर्मी के दौरान भूजल स्तर अपनी सबसे निचले बिंदु पर पहुंच जाता है। यहां उपलब्ध भूजल के जरूरत से ज्यादा दोहन की वजह से मुश्किल समय में जल संकट पैदा हो जाता है। इस गांव में केवल 20 फीसदी घरों में ही पाइप पानी की आपूर्ति करने वाले कनेक्शन थे और गांव में पानी की जरूरत पूरी करने के लिए 8 हैंड पंपों का इस्तेमाल किया जाता है। मंत्रालय मानता है कि यह स्थानीय समुदायों के बीच स्वामित्व की भावना पैदा करने के साथ भरोसे का माहौल भी बनाता है।
इस योजना को भी अपनाया
मंत्रालय के अनुसार इससे पहले ग्रामीणों द्वारा अपशिष्ट जल प्रबंधन (ग्रे वाटर मैनेजमेंट) की भी योजना बनाई गई थी, क्योंकि यह समझा गया था कि हर घर में पहुंचने वाले कुल पानी का 60-70 फीसदी हिस्सा अपशिष्ट जल (ग्रे वाटर) में बदल जाएगा, जिसे अलग-अलग सोख्ता गड्ढों बनाकर प्रबंधित किया जा सकता है। जिन घरों में सोख्ता गड्ढे बनाने के लिए जगह नहीं थी, उनके लिए योजना के तहत सामुदायिक सोख्ता गड्ढे बनाने का प्रस्ताव किया गया था। इस ग्राम कार्य योजना में मवेशियों के लिए कुंड, सभी के लिए धुलाई की जगह और नहाने की जगह की जरूरत भी शामिल थी।
जम्मू-कश्मीर: जल्द मिलेगा हर स्कूल व आंगनवाड़ी केंद्रों में शुद्ध पानी
जल जीवन मिशन दिसंबर 2022 तक पूरा करने का लक्ष्य
हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विजन के तहत दो अक्टूबर से देशभर के सभी स्कूलों और आंगनवाड़ी केंद्रों में पेयजल की आपूर्ति के लिए चलाए जा रहे अभियान के तहत केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर ने जल्द ही इस लक्ष्य को पूरा कर लिया जाएगा। वहीं 2024 तक देशभर के सभी ग्रामीण घरों में नल कनेक्शन के जरिए जलापूर्ति मुहैया कराने के लक्ष्य को जम्मू-कश्मीर में 2022 में ही पूरा करने की योजना है।
केंद्रीय जलशक्ति मंत्रालय के अनुसार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विजन और दिशा-निर्देश पर जल शक्ति मंत्रालय ने 2 अक्टूबर को देशभर के सभी स्कूलों और आंगनवाड़ी केंद्रों में पेयजल की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए 100-दिवसीय अभियान शुरू किया था। केन्द्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में इस तय अवधि के भीतर पूरा करने के लिए इस अभियान को तेजी से चलाया जा रहा है। वहीं जम्मू-कश्मीर में जल जीवन मिशन के कार्यान्वयन की मध्यावधि आकलन के लिए जल शक्ति मंत्रालय की राष्ट्रीय जल जीवन मिशन टीम ने समीक्षा की है। इसके तहत जम्मू-कश्मीन ने केंद्र शासित प्रदेश में मिशन के कार्यान्वयन पर अपनी प्रगति प्रस्तुत की है। इसके तहत जम्मू-कश्मीर में जल जीवन मिशन को राष्ट्रीय लक्ष्य 2023-24 से पहले ही दिसंबर 2022 तक पूरा करने की योजना है। ऐसा करने से जम्मू-कश्मीर हर ग्रामीण घर को नल कनेक्शन प्रदान करने के महत्वाकांक्षी लक्ष्य को पूरा करने में एक प्रमुख उदाहरण बन जाएगा।
मिशन का 46 फीसदी काम पूरा
जल जीवन मिशन की प्रगति रिपोर्ट के मुताबिक केन्द्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में 18.17 लाख परिवार हैं, जिनमें से 8.38 लाख यानि 46 प्रतिशत ग्रामीण परिवारों को पहले से ही नल के पानी के कनेक्शन उपलब्ध कराए जा चुके हैं। इस वित्तीय वर्ष के लिए जेजेएम के तहत केंद्रीय हिस्से के रूप में केन्द्र शासित प्रदेश को 681.77 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। केन्द्र शासित प्रदेश भौतिक और वित्तीय प्रदर्शन के आधार पर अतिरिक्त आवंटन के लिए पात्र है। जम्मू-कश्मीर ने 4,038 गांवों के लिए ग्राम कार्य योजना (वीएपी) को अंतिम रूप दिया है। वीएपी में स्रोत को मजबूत करने, पानी की आपूर्ति, जल प्रबंधन तथा संचालन एवं रख-रखाव जैसे घटक शामिल हैं। स्रोत के सुदृढ़ीकरण, जल संचयन, जल संचयन, जल शोधन, जल उपचार और जल प्रबंधन इत्यादि के लिए निम्नतम स्तर अर्थात ग्राम व ग्राम पंचायत में अभिसरण योजना के लिए, महात्मा गांधी नरेगा से प्राप्त संसाधनों, पंचायती राज संस्थाओं के लिए 15वें वित्त आयोग से अनुदान, एसबीएम (जी), कॉरपोरेट सामाजिक दायित्व (सीएसआर), स्थानीय क्षेत्र विकास निधि आदि का विवेकपूर्ण इस्तेमाल किया जा सकता है।
25Oct-2020
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