गुरुवार, 8 अक्तूबर 2020

ईस्ट-वेस्ट मेट्रो कॉरिडोर के जरिए कोलकाता से जुड़ेंगे कई शहरी इलाके

अगले साल दिसंबर में पूरी होगी 8575 करोड़ रुपये की परियोजना केंद्र सरकार ने 16.6 किमी लंबी मेट्रो परियोजना को दी मंजूरी हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने कोलकाता में चल रहे कोलकाता ईस्ट वेस्ट मेट्रो कॉरिडोर परियोजना के निर्माण में तेजी लाने की दिशा में संशोधित लागत को मंजूरी दी है। इस 16.6 किमी लंबे मेट्रो कॉरिडोर में 12 स्टेशन होंगे और इस परियोजना को पूरा करने के लिए दिसंबर 2021 का लक्ष्य तय किया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में कोलकाता ईस्ट वेस्ट कॉरिडोर परियोजना के निर्माण के लिए अनुमानित संशोधित लागत को मंजूरी की जानकारी देते हुए रेल मंत्री पीयूष गोयल ने बताया कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 8,575 करोड़ रुपये की लागत से ईस्ट-वेस्ट मेट्रो कॉरिडोर परियोजना को पूरा करने की दिशा में मंजूरी दे दी है, जिससे मास ट्रांजिट सिस्टम को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने कहा कि ईस्ट-वेस्ट मेट्रो कॉरिडोर परियोजना के कुल रूट की लंबाई 16.6 किमी है और इस रूट पर 12 स्टेशन होंगे। यह परियोजना यातायात भीड़ को कम करेगी, शहरी संपर्क को बढ़ाएगी और लाखों दैनिक यात्रियों के लिए एक स्वच्छ गतिशीलता समाधान प्रदान करेगी। उन्होंने बताया कि रेल मंत्रालय के अंतर्गत सीपीएसई के रूप में इस यह परियोजना कोलकाता मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड द्वारा कार्यान्वित की जाएगी। इस परियोजना की मंजूर की गई लागत में रेल मंत्रालय ने 3268.27 करोड़ रुपये तथा केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय ने 1148.31 करोड़ रुपये की भागीदारी की है। जबकि जापान इंटरनेशनल कॉरपोरेशन एजेंसी ने 4158.40 करोड़ रुपये का ऋण दिया है। उन्होंने बताया कि इस मेट्रो रुटपर 5.3 किमी लंबा एलिवेटेड कॉरिडोर 14 फरवरी 2020 से चालू है। इससे आगे 1.67 किमी पर इसी माह 5 अक्टूबर को काम शुरू कर दिया गया है और इस संपूर्ण परियोजना को दिसंबर 2021 तक पूरा करने का लक्ष्य तय किया गया है। खास बात यह है कि इस परियोजना में हुगली नदी के नीचे सुरंग सहित 16.6 किलोमीटर लंबे मेट्रो रेलवे कॉरिडोर के निर्माण की परिकल्पना की गई है, जो कि हावड़ा स्टेशन के साथ-साथ किसी प्रमुख नदी के नीचे भारत में पहला परिवहन सुरंग है, जो भारत में सबसे गहरे मेट्रो स्टेशनों में से एक होगा। रैपिड ट्रांजिट प्रणाली को मिलेगा बढ़ावा रेल मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि कोलकाता ईस्ट-वेस्ट मेट्रो कॉरिडोर परियोजना कोलकाता शहर और आसपास के शहरी इलाके के लाखों दैनिक यात्रियों के सतत विकास के लिए एक महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचा परियोजना है। यह रेल-आधारित जन रैपिड ट्रांजिट प्रणाली के माध्यम से कोलकाता, हावड़ा और साल्ट लेक में निर्बाध संपर्क प्रदान करेगा। यह कुशल और निर्बाध परिवहन इंटरचेंज हब का निर्माण करके मेट्रो, रेलवे और बस परिवहन जैसे परिवहन के अन्य सभी साधनों को भी एकीकृत करेगा। इस परियोजना के प्रभाव की जानकारी देते हुए गोयल ने कहा कि यह मेगा परियोजना कोलकाता के व्यापारिक जिले के बीच पश्चिम में हावड़ा के औद्योगिक शहर और पूर्व में साल्ट लेक सिटी के बीच एक सुरक्षित, सुलभ और आरामदायक परिवहन प्रणाली के माध्यम से कुशल पारगमन संपर्क का निर्माण करेगी। परियोजना से यातायात में आसानी होगी और शहरवासियों के लिए एक सुरक्षित परिवहन साधन उपलब्ध यह कोलकाता क्षेत्र की बड़े पैमाने पर परिवहन समस्या को दूर करेगा जिससे परिवहन में कम समय लगेगा और उत्पादकता और विकास को बढ़ावा मिलेगा। वहीं इस इंटरचेंज हब का निर्माण करके मेट्रो, उप-नगरीय रेलवे, नौकायान और बस परिवहन जैसे परिवहन के कई तरीकों को एकीकृत हो सकेगा। यह लाखों दैनिक यात्रियों के लिए परिवहन के सुचारू और निर्बाध प्रणाली सुनिश्चित करेगा। --------- ईस्ट-वेस्ट मेट्रो कोलकाता में दूसरी मेट्रो सेवा मंत्रालय के अनुसार पहले चरण में सेक्टर-5 से साल्टलेक स्टेडियम तक ईस्ट-वेस्ट मेट्रो की शुरूआत हुई थी। इसमें 6 स्टेशन हैं जिनमें सेक्टर 5 के बाद करुणामयी, सेंट्रल पार्क, सिटी सेंटर, बंगाल केमिकल व साल्टलेक स्टेडियम पड़ता है। 7 महीने बाद 2 किलोमीटर का विस्तार करते हुए अब इसे फूलबागान मेट्रो स्टेशन तक इसमें जोड़ दिया गया है। इस साल जून में चीफ कमिश्नर ऑफ रेलवे सेफ्टी ने भी मेट्रो स्टेशन का निरीक्षण कर हरी झंडी दी है। गौरतलब है कि कोलकाता में 36 साल पहले 1984 में पहली मेट्रो रेल सेवा शुरू हुई थी। कोलकाता ईस्ट-वेस्ट मेट्रो इस शहर में दूसरी मेट्रो सेवा होगी। -------- केंद्र सरकार का प्राकृतिक गैस के दामों में सुधार की कवायद केंद्रीय मंत्रिमंडल ने दी ‘प्राकृतिक गैस मार्केटिंग सुधारों’ को मंजूरी हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली। आत्मनिर्भरता की और कमद बढ़ा रहे भारत में जीवाश्म ईंधन के आयात पर निर्भरता धीरे-धीरे कम हो रही है। इस गैस आधारित अर्थव्‍यवस्‍था की दिशा में केंद्र सरकार ने ‘प्राकृतिक गैस मार्केटिंग (विपणन) सुधारों को मंजूरी दे दी है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को यहां हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में हुए फैसलों की जानकारी देते हुए केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि जीवाश्म ईंधन के आयात पर हमारी निर्भरता धीरे-धीरे कम हो रही है। नैचुरल गैस प्राइसिंग मैकेनिज्म को और ज्यादा पारदर्शी बनाया जाएगा। इसके लिए कैबिनेट ने ई-बिडिंग को मंजूरी दी है। इलेक्ट्रॉनिक बिडिंग को लेकर अलग से गाइडलाइन्स तैयार की जाएगी। प्रधान ने कहा कि सरकार भारतीय कंज्यूमर को एनर्जी की सप्लाई किफायती कीमत पर करना चाहती है। इसके लिए हम एनर्जी के अलग-अलग सोर्स पर फोकस कर रहे हैं। सरकार का फोकस बायो फ्यूल्स, सोलर एनर्जी, बायोगैस, सिंथेटिक गैस जैसे एनर्जी के सोर्स पर है। इस नीति का उद्देश्‍य पारदर्शी और प्रतिस्‍पर्धात्‍मक प्रक्रिया, गैस की बिक्री की बोली प्रक्रिया में सम्‍बद्ध गैस उत्‍पादकों को भाग लेने की अनुमति देने और उत्‍पादन साझा करने के ठेकों में पहले से ही मूल्‍य निर्धारित करने की आजादी देने वाली कुछ क्षेत्र विकास योजनाओं को विपणन की आजादी देकर गैस उत्‍पादकों द्वारा बाजार में बेची जाने वाली गैस के बाजार मूल्‍य का पता लगाने के लिए मानक कार्य पद्धति निर्धारित करना है। ये सुधार प्राकृतिक गैस के घरेलू उत्‍पादन में निवेश को बढ़ावा देकर और आयात निर्भरता को कम करके आत्‍मनिर्भर भारत के लिए काफी महत्‍वपूर्ण हैं, जो निवेश को प्रोत्‍साहित कर गैस आधारित अर्थव्‍यवस्‍था की ओर बढ़ने में एक और मील का पत्‍थर साबित होंगे। मसलन इस नीति ने खुली, पारदर्शी और इलैक्‍ट्रॉनिक बोली को ध्‍यान में रखते हुए सम्‍बद्ध कम्‍पनियों को बोली प्रक्रिया में भाग लेने की इजाजत दी है। इससे गैस की मार्केटिंग सरल हो जाएगी और प्रतिस्‍पर्धा को अधिक बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने कहा कि यह नीति क्षेत्र विकास योजनाओं (एफडीपी) को उन ब्‍लॉकों की मार्केटिंग की आजादी देगी जहां उत्‍पादन साझा करने के ठेके पहले से ही मूल्‍य निर्धारित करने की आजादी प्रदान कर रहे हैं। साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में सहयोग करेगा जापान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंगलवार को भारत और जापान के बीच साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में एक सहयोग समझौते (एमओसी) पर हस्ताक्षर करने के लिए अपनी मंजूरी दे दी है। विदेश मंत्रालय के इस प्रस्ताव में एमओसी आपसी हित के क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाएगा, जिसमें अन्य बातों के साथ-साथ, साइबरस्पेस के क्षेत्र में क्षमता निर्माण, महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे की सुरक्षा, उभरती प्रौद्योगिकियों में सहयोग, साइबर सुरक्षा खतरों, घटनाओं और दुर्भावनापूर्ण साइबर गतिविधियों के बारे में जानकारी साझा करने के अलावा उनका मुकाबला करने के लिए सर्वोत्तम अभ्यास, सूचना संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) बुनियादी ढांचे आदि की सुरक्षा के लिए साइबर खतरों को कम करने के वास्ते व्यावहारिक सहयोग के लिए संयुक्त तंत्र का विकास करना शामिल है। भारत और जापान एक खुले, अंतर-संचालित, मुक्त, निष्पक्ष, सुरक्षित और विश्वसनीय साइबर स्पेस वातावरण और नवाचार, आर्थिक विकास और व्यापार और वाणिज्य के एक इंजन के रूप में इंटरनेट को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध हैं जो उनके संबंधित घरेलू कानूनों और अंतरराष्ट्रीय दायित्वों और उनकी व्यापक रणनीतिक साझेदारी के अनुरूप होगा। एमओसी के जरिए दोनों पक्ष संयुक्त राष्ट्र में अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र में सहयोग, आईसीटी उत्पादों की आपूर्ति श्रृंखला की समग्रता के लिए सर्वोत्तम तरीकों को बढ़ावा देने और चर्चा एवं रणनीतियां साझा करने, सरकार से सरकार और व्यापार-से-व्यापार सहयोग के माध्यम से आईसीटी बुनियादी ढांचे की सुरक्षा को मजबूत करने, इंटरनेट गवर्नेंस मंचों में निरंतर संवाद और जुड़ाव और इन मंचों में दोनों देशों के सभी हितधारकों द्वारा सक्रिय भागीदारी का समर्थन की पुष्टि करता है। 08Oct-2020

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