गुरुवार, 8 अक्तूबर 2020

नमामि गंगे मिशन: गंगा में डॉल्फिन संरक्षण पर रहेगा फोकस

केंद्र सरकार ने दी ‘माय गंगा-माय डॉल्फिन’ को हरी झंडी ईको-टूरिज्म की दिशा में चलेगा ‘गांगेय डॉल्फ़िन जलज सफारी’ अभियान हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली। केंद्र सरकार के गंगा स्वच्छता अभियान नमामि गंगे की परियोजनाओं के साथ गंगा नदी में डॉल्फिन के संरक्षण पर भी फोकस किया जा रहा है। इसी मकसद से केंद्र सरकार ने ‘माय गंगा-माय डॉल्फिन’ अभियान को हरी झंडी दी है। वहीं जैव-विविधता आधारित ईको-टूरिज्म को प्रोत्साहन देने के लिए ‘गांगेय डॉल्फ़िन जलज सफारी’ अभियान को शुरू किया गया है। केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय ने यह जानकारी देते हुए बताया कि गांगेय डॉल्फ़िन दिवस के उपलक्ष्य में राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन यानि एनएमसीजी, भारतीय वन्य जीव संस्थान और उत्तर प्रदेश वन विभाग ने बिजनौर स्थित शीशमहल पर संयुक्त कार्यक्रम आयोजित किया। राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के सहयोग से इस दौरान वर्ल्ड वाइल्ड लाइफ फंड, उत्तर प्रदेश वन विभाग ने ‘माय गंगा-माय डॉल्फिन’ अभियान का भी शुभारंभ किया गया। इस अभियान के अंतर्गत बिजनौर से नरौरा तक कुल 250 किलोमीटर के डायरे में डॉल्फिन की जनगणना का कार्य शुरू किए जाने के साथ कई सामुदायिक जागरूकता अभियान शुरू किए जाएंगे। वहीं युवा वालेंटियर्स को गंगा मित्र के रूप में अभियान में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। यह डॉल्फिन दिवस न केवल डॉल्फिन बल्कि गंगा की सभी जैव विविधता को पुनर्जीवित करने का अवसर था। एनएमसीजी निदेशक राजीव रंजन मिश्रा द्वारा हैदरपुर वेटलैंड में तीन कछुए छोड़े गए। गौरतलब है कि वर्ष 2012 से ही उत्तर प्रदेश वन विभाग और डब्ल्यूडब्ल्यूएफ-इंडिया, स्थानीय समुदायों के साथ मिलकर तटवर्ती इलाकों में कछुए के घोंसले की पहचान कर उनके संरक्षण की दिशा में कार्य कर रहे हैं। इस दौरान हैदरपुर में एक जैव विविधता से जुड़े केंद्र के निर्माण के साथ ही इसे रामसर साइट बनाने के बारे में भी चर्चा हुई। ‘गांगेय डॉल्फ़िन जलज सफारी’ अभियान मंत्रालय के अनुसार एक अन्य कार्यक्रम में एनएमसीजी के महानिदेशक राजीव रंजन मिश्रा द्वारा 6 स्थानों बिजनौर, बृजघाट, प्रयागराज, वाराणसी, भागलपुर और पश्चिम बंगाल के बैंडल में ‘गांगेय डॉल्फ़िन जलज सफारी’ अभियान का ऑनलाइन शुभारंभ किया गया। इस मौके पर केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने वीडियो संदेश के माध्यम से ही जानकारी दी कि हाल के वर्षों में नमामि गंगे मिशन के प्रयासों के कारण गंगा नदी में डॉल्फिन की आबादी में काफी ज्यादा सुधार हुआ है। खासकर बिजनौर से लेकर नरौरा तक के इलाके तक गंगा में डॉल्फिन की गतिविधियां पुनर्जीवित होती नजर आ रही हैं। इसलिए गंगा नदी के कायाकल्प और जैव विविधता के महत्व को देखते हुए जनता को डॉल्फिन संरक्षण अभियान में शामिल होना जरुरी है। गंगा नदी की स्वच्छता में जलीय जीव के रूप में डॉल्फिन का संरक्षण भी बेहद जरुरी है। राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के निदेशक राजीव रंजन मिश्रा ने कहा कि इस अभियान इसकी सहायता से लोगों को गंगा की जैव विविधता और हमारे राष्ट्रीय जलीय पशु के संरक्षण के महत्व के बारे में पता चलेगा। उन्होने बताया कि गांगेय डॉल्फ़िन जलज सफारी के द्वारा न केवल ईको टूरिज़म को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि स्थानीय समुदाय की आजीविका में भी निश्चित रूप से बढ़ोतरी होगी। उन्होंने कहा कि इन सभी सफारी केन्द्रों पर गंगा प्रहरियों को जैव-विविधता आधारित ईको-टूरिज्म में प्रशिक्षित किया गया है। ये प्रहरी पर्यटकों को सफारी के दौरान डॉल्फिन और जैव-विविधता से जुड़ी जानकारी भी उपलब्ध करवाएंगे। इस दौरान एनएमसीजी के निदेशक राजीव रंजन मिश्रा ने जीवनेश साहनी द्वारा लिखी गई टर्टल डे आउट’ पुस्तक का अनावरण किया। इस पुस्तक में चित्रण का कार्य मलिका अरोड़ा द्वारा किया गया है। इस पुस्तक को टर्टल सर्वाइवल अलायंस के सहयोग से प्रकाशित किया गया है, वहीं टर्टल सर्वाइवल अलायंस ने हैदरपुर वेटलैंड क्षेत्र में कछुओं पर पोस्टर भी जारी किए हैं। 07Oct-2020

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