बुधवार, 4 अगस्त 2021

ओलंपिक: हरियाणा के जांबाज शूटरों का गोल्ड के लक्ष्य पर होगा निशाना

अर्जुन अवार्डी भारतीय निशानेबाजों ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बजाया है डंका

ओ.पी. पाल.रोहतक।

भारतीय निशानेबाजों के दल में हरियाणा की दो महिला समेत ऐसे चार अर्जुन अवार्डी एवं अंतर्राष्ट्रीय निशानेबाज शामिल है, यदि टोक्यो ओलंपिक में उनके सटीक निशाने लगे, तो देश के लिए वे पदकों की झड़ी लगा सकते हैं। इसी लक्ष्य के साथ संजीव राजपूत, अभिषेक वर्मा और यशस्विनी देसवाल निशानेबाजी में अलग-अलग वर्ग की एक से ज्यादा प्रतिस्पर्धाओं अपनी अर्जुन नजरे लगाएंगे।

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संजीव राजपूत

हरियाणा के इन भारतीय स्टार शूटरों में नौसेना से सेवानिवृत्त जूनियर कमिशन्ड ऑफिसर 40 वर्षीय संजीव राजपूत भी शामिल है। संजीव राजपूत एक मात्र ऐसे भारतीय राइफल शूटर हैं जो 50 मीटर राइफल 3 पोजीशन कैटेगरी में प्रतिस्पर्धाओं की चुनौती का सामना करते हैं। हरियाणा के यमुनानगर में 5 जनवरी 1981 को जन्में संजीव एक बेहद साधारण परिवार से आते हैं, जिनके पिता रेहड़ी पटरी लगाकर खाना बेचकर बेटे का नौसेना में अफसर बनने का सपना पूरा किया है। नौसेना में सेवा देते हुए उन्होंने वहां शूटिंग रेंज देखी तो उन्हें निशानेबाजी करना शुरू कर दिया। संजीव ने पहली बार 2004 के दक्षिण एशियाई खेलों में तीन स्वर्ण और एक रजत पदक जीतकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियां बटोरी। 2010 में उन्हें अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इसके बाद उन्होंने वर्ष 2011 के आईएसएसएफ विश्व कप में भारत के लिए रिकार्ड कायम करते हुए स्वर्ण पदक जीतकर कामयाबी की जो इबादद लिखी, वह वर्ष 2014 में नौसेना से सेवानिवृत्ति के बाद भी बादस्तूर जारी है, जिनका लक्ष्य अब टोक्यो ओलंपिक में 10 मीटर एयर पिस्टल और 50 मीटर की तीन पोजिशन की स्पर्धाओं में भारत को पदकों से रोशन करना है। इससे पहले वे बिजिंग और लंदन ओलंपिक में भी भारत का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। भले ही वे पदक न ला पाए हो, लेकिन इस अनुभव को हवा देने के इरादे से तीसरी बार ओलिंपक के लिए क्रोएशिया में प्रशिक्षण के दौरान बेहतरीन तकनीक के साथ अभ्यास किया है। राजपूत मानते  हैं कि पिछले ओलंपिक के प्रदर्शन को भुलाकर वे इस बार देश के लिए पदक हासिल करने के लिए अपने इवेंट पर फोकस किये हुए हैं। उनका मानना है कि आज की बदलती तकनीक के बावजूद भारतीय निशानेबाज दुनिया में किसी से कम नहीं और उनमें सटीक निशाने लगाने की क्षमताएं भी बरकरार हैं।

एक दशक में हुए बदलाव

राजपूत का मानना है कि जब उन्होंने पहली बार शूटिंग शुरू की थी, तब से लेकर अब तक खासकर आज की नई तकनीकों के मुताबिक भारत में शूटिंग में कई बदलाव हुए हैं। मसलन 2012 से पहले कोई दशमलव स्कोर नहीं था। उस समय 50 मीटर प्रोन इवेंट बेहद लोकप्रिय था जिसे समाप्त कर दिया गया है और अब मिश्रित टीम स्पर्धाएं भी शुरू हो गई हैं।

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उपलब्धियां(50 मीटर थ्री पोजिशन)

2006- राष्ट्रमंडल खेल में कांस्य पदक

2010-विश्व कप में रजत पदक

2011-विश्व कप में स्वर्ण पदक

2014- राष्ट्रमंडल खेल में रजत पदक

2016- विश्व कप में रजत पदक

2018- राष्ट्रमंडल खेल में स्वर्ण पदक

2018- एशियन गेम्स  में रजत पदक

2019- विश्व कप में रजत पदक

2021- विश्व कप में स्वर्ण पदक

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यशस्विनी सिंह देसवाल

अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कमाल की निशानेबाजी करने वाली भारतीय महिला निशानेबाज यशस्विनी सिंह देसवाल का जन्म 30 मार्च 1999 को नई दिल्ली में  हुआ। हालांकि वह पटियाला की रहने वाली है। उसके पिता एक पुलिस अधिकारी हैं। परिवारिक जानकारी के अनुसार 2012 में महज 13 साल की उम्र में उसने निशानेबाजी की शुरूआत की। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर देश के लिए पदक लाने के लिए अपनी बेटी के सपने को पूरा करने की खातिर उसके माता-पिता ने हरियाणा के पंचकूला स्थित अपने घर में ही एक शूटिंग रेंज बनवाया, जहां वह 10 मीटर एयर पिस्टल में निशानेबाजी का अभ्यास करती है। अंतर्राष्ट्रीय निशानेबाज रहे सेवानिवृत्त पुलिस महानिरीक्षक टीएस ढिल्लन ने देसवाल को कोच के रूप में प्रशिक्षण दिया। इसी प्रशिक्षण का नतीजा है कि वह आज ओलंपिक के सफर पर है। हालांकि निशानेबाजी की शुरूआत करने के बाद से ही यशस्विनी हर साल राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय निशानेबाजी प्रतियोगिताओं में भारत का प्रतिनिधित्व करती रही। पिता के प्रोत्साहन के चलते उसने जिस प्रकार अपने प्रदर्शन को तकनीकी दिशा दी है। ओलंपिक का सपना पूरा करने के लिए जिस प्रकार से उसने मेहनत की, उसे देखते हुए यशस्विनी से पूरे देश को टोक्यो ओलिंपक में पदक लाने की उम्मीद है। ओलंपिक में देश के लिए स्वर्ण पदक जीतना खुद यशस्विनी देसवाल का भी सपना रहा है, जिसको वह पूरा करना चाहती है। देसवाल ने ओलंपिक के क्वालिफाई मुकाबलों में अंक तालिका में मनु भाकर को पीछे छोड़ा। खुद देसवाल का कहना था कि उसका फोकस ओलंपिक के लिए जगह बनाने पर था, इसलिए उसने उसी मानसिक स्वभाव व तकनीक से निशानेबाजी की। ओलंपिक में यह खबर भी चौंकाने वाली हो सकती है कि यदि 10 मीटर एयर पिस्टल में मनु भाकर और यशस्विनी सिंह देसवाल के बीच ही मुकाबला हुआ।

प्रमुख उपलब्धियां

2014 58वीं राष्ट्रीय शूटिंग चैम्पियनशिप में 3 स्वर्ण पदक

2016 आईएसएसएफ जूनियर विश्व कप स्वर्ण पदक

2017 आइएसएसएफ़ जूनियर विश्व चैम्पियनशिप में स्वर्ण पदक

2019-आईएसएसएफ विश्व कप में स्वर्ण पदक

2020-पाँचवें इंटरनैशनल ऑनलाइन शूटिंग चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक

2021-आईएसएसएफ विश्व कप में स्वर्ण पदक से ओलंपिक के लिए क्वालिफाई

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अभिषेक वर्मा

टोक्यो ओलिंपिक के लिए भारतीय निशानेबाजी टीम में 31 साल पिस्टल शूटर अभिषेक वर्मा भी शामिल हैं, जो हरियाणा के पलवल जिले के हैं, उनका जन्म एक अगस्त 1989 को एके वर्मा के परिवार में हुआ, जिनकी मां कुसुम वर्मा और एक बड़ा भाई आयुष वर्मा है। निशानेबाजी को जब अभिषेक ने शौक के तौर पर शुरू किया तो उसके पिता हिसार में तैनात थे। स्कूली पढ़ाई के बाद अभिषेक ने बीटैक और फिर लॉ किया। पेशे से इंजीनियर व वकील वर्मा के निशानेबाजी के शौंक ने आज उसे अंतर्राष्ट्रीय निशानेबाज बना दिया, जो उसने सपने में भी नहीं सोचा था। टोक्यो ओलंपिक के लिए 10 मीटर एयर पिस्टल प्रतिस्पर्धा के लिए क्वालिफाई करने वाले अभिषेक ने ओलंपिक की तैयारी के लिए पूर्व निशानेबाज ओमेंद्र सिंह से तकनीकी प्रशिक्षण लिया और उसकी नजरे अब ओलंपिक में भारत के लिए पदक हासिल करने पर होगी। दरअसल, भारतीय शूटर अभिषेक ने बचपन से खेल में रुचि रखते हुए स्वीमिंग, स्केटिंग और बैडमिंटन खेलता था, जिसने राज्य स्तर पर बैडमिंटन में अच्छा प्रदर्शन किया है, लेकिन जब वह कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से लॉ कर रहा था, तो शूटिंग रेंज देखकर निशानेबाजी के शौंक ने जकड़ लिया और शूटिंक का अभ्यास करने लगा। अभिषेक की वर्ष 2015 में शुरू की गई निशानेबाजी आज उसे बुलंदियों पर ले गई हैं। उसने देश में पहली बार अभिषेक ने ऑल इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स में शूटिंग करते हुए 5वां स्थान हिसल किया, जिसके बाद वर्ष 2015 और 2016 में नेशनल शूटिंग में हिस्सा लेने का मौका मिला और केरियर का पहला पदक केरला शूटिंग नेशनल्स में जीता। उसकी मेहनत से आईएसएसएफ रैंकिंग के आधार पर जर्मनी के म्यूनिक में हुए विश्वकप चैंपियनशिप में खेलने का मौका मिला और 10 मीटर एयर पिस्टल इवेंट में कांस्य पदक जीता, तो 2019 में बिजिंग के विश्वकप में स्वर्ण पदक जीतकर उन्होंने अपने आपको एक अंतर्राष्ट्रीय निशानेबाज साबित किया। ओलंपिक की तैयारी के लिए अभिषेक ने पूर्व निशानेबाज ओमेंद्र सिंह से तकनीकी प्रशिक्षण लिया और उसकी नजरे अब ओलंपिक में भारत के लिए पदक हासिल करने पर होगी।

उपलब्धियां

2018-विश्व चैंपियनशिप में रजत पदक

2018-एशियन गेम्स में कांस्य पदक

2019-विश्वकप बिजिंग में स्वर्ण पदक

--22July-2021

 

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