मंगलवार, 27 जुलाई 2021

टोक्यो ओलंपिक: पदक का सूखा खत्म करने उतरेगी सीमा पूनिया

चौथी बार ओलंपिक का सफर करने वाली इकलौती एथेलीट ओ.पी. पाल.रोहतक। जब तक जीतो नहीं तब तक लड़ना मत छोड़ो और ना हार मानो..यही लक्ष्य लेकर चक्का फेंक में भारतीय एथेलीट टीम में शामिल सीमा अंतिल टोक्यो ओलंपिक जा रही है। चौथी बार ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व कर रही राजीव पुरस्कार से सम्मानित सीमा से पिछले तीन ओलंपिक में पदक के सूखे को खत्म करने की उम्मीद है। भारतीय एथेलीट टीम में चक्का फेंक में नए मीट रिकार्ड के साथ टोक्यो ओलिंपिक के लिए क्वालीफाई करने वाली सीमा अंतिल का जन्म 1983 में सोनीपत जिले के खेवड़ा गांव निवासी विजय पाल के परिवार में हुआ। टोक्यों ओलंपिक में वह लगातार चौथी बार ओलंपिक में हिस्सा ले रही है। पिछले तीन वर्ष 2004 के एथेंस ओलिंपिक, 2012 के लंदन ओलिंपिक और 2016 के रियो ओलिंपिक में सीमा के हाथ निराश लगी थी, लेकिन इस बार जिस प्रकार से वह तैयारी कर रही है, उसे देखते हुए उम्मीद की जा रही है कि इस बार वह ओलंपिक से खाली हाथ नहीं लौटेगी। मसलन वह पिछले तीन साल से देश व विदेश में लगन से प्रशिक्षण ले रही हैं। चक्का फेंक में बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए पदक हासिल करके देश व हरियाणा का नाम रोशन करने वाली सीमा अंतिल को 2010 में पुलिस सब इंस्पेक्टर की नौकरी मिली, जो आज डीएसपी पद पर तैनात है। परिजनों के अनुसार स्टेडियम में पहली बार डिस्कस देखा और आजमाने के लिए फेंका तो 22 मीटर की दूरी तय की। जब वर्ष 1995 में अंडर-14 जूनियर नेशनल में 28.28 मीटर की दूरी नाप कर नया रिकार्ड बनाकर स्वर्ण पदक जीता, तो उसने पीछे मुडकर नहीं देखा। -----उम्मीदों पर टिकी हैं निगाहें----- हरियाणा के खेवड़ा गांव निवासी सीमा अंतिल के पिता विजय पाल सिंह बेटी सीमा के ओलंपिक में हिस्सेदार बनाए जाने से परिवार समेत खुश है। पिता को पूरी उम्मीद है कि उनकी बेटी इस बार देश के लिए मेडल जरूर लेकर आएगी। सीमा की मां प्रकाशी देवी और भाई अमित का कहना है कि देश का झंडा बुलंद करने के लिए वह लगातार जीतोड़ मेहनत कर रही है। सीमा के लगातार मेहनत करके पसीना बहाने के साथ उसके प्रदर्शन को देखते हुए कोच अमित को भी भरोसा है की टोक्यो ओलंपिक में सीमा अंतिल उम्दा प्रदर्शन करके पदक हासिल करेगी। कोच की माने तो उसने जिस प्रकार चुनौतियों का सामना किया है और साल 2000 में डोपिंग विवाद के बाद उसके कैरियर थम सा गया था। इसके बावजूद उसने हार नहीं मानी और दो साल बाद फिर से उम्मीदों को ऐसा जगाया कि दो साल बाद हुई चैंपियनशिप में कांस्य पदक लिया। टोक्यो ओलंपिक के लिए सीमा दो साल मास्कों में प्रशिक्षण लेने के बाद पटियाला में ट्रेनिंग ले रही है। ------खेल से परिवार का गहरा नाता----- सीमा अंतिल के परिवार में उसके बड़े भाई आनंद पाल अंतरराष्ट्रीय स्तर के पहलवान तो दूसरे भाई अमित पाल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हॉकी में स्वर्ण पदक में हिस्सेदार रहे। दोनों भाइयों की इन उपलब्धियों ने ही सीमा को खेल के लिए प्रेरित किया और स्टेडियम जाना शुरू किया। स्कूल स्तर पर सीमा ने नेशनल में लंबी कूद, शाटपुट और ऊंची कूद में पदक जीते हैं। इसके बावजूद उसने चक्का फेंक स्पर्धा को अपने कैरियर का हिस्सा बनाया। डिस्कस थ्रो करने की तकनीक का इस्तेमाल करने में माहिर सीमा ने इंटर-स्टेट नेशनल एथलेटिक्स चैंपियनशिप में 63.72 मीटर तक की दूरी तय की। साल 2006 में हरियाणा राज्य सरकार ने सीमा अंतिल को भीम अवार्ड से सम्मानित किया था। -----विवादित हुआ वैवाहिक जीवन----- अंतरराष्ट्रीय एथलीट सीमा अंतिल अब मेरठ की बहू नहीं कहलाएंगी? लेकिन पिछले तीन सालों से पति अंकुश पुनिया व सीमा अंतिल के बीच कुछ ठीक नहीं चल रहा है। सीमा ने फेसबुक पर अपने नाम के आगे से पुनिया सर नेम हटा लिया है। तलाक प्रक्रिया कोर्ट में चल रही है, लेकिन अभी हुई नहीं है। इसकी पुष्टि खुद सीमा ने फेसबुक आईडी की डिटेल में खुद की है। --------------------- अंतरराष्ट्रीय उपलब्धियां---- 2002- विश्व जूनियर चैंपियनशिप मेंकांस्य पदक 2006-कामनवेल्थ गेम्स मेलबर्न में रजत पदक 2010-कामनवेल्थ गेम्स दिल्ली में कांस्य पदक 2014-एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक 2014-कामनवेल्थ गेम्स ग्लास्गो में रजत पदक 2014-एशियन गेम्स इंचियोन में रजत पदक 2018-कामनवेल्थ गेम्स गोल्ड कोस्ट में रजत पदक 2018-एशियन गेम्स जकार्ता में कांस्य पदक 2021-बेलारूस नेशनल चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक। 16July-2021

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें