सोमवार, 26 जुलाई 2021

मंडे स्पेशल: कोरोना ने दिए मासूमों को गहरे जख्म, 1483 के सिर से उठ गया मां का आंचल या पिता का साया

बेसहारा हुए बच्चों के लालन पोषण को सरकार आई आगे हरियाणा में बाल सरंक्षण के लिए शुरू की गई बाल सेवा योजना ओ.पी.पाल.रोहतक। कोरोना महामारी ने हर किसी को जख्म दिए हैं। किसी की नौकरी चली गई तो किसी का व्यापार ठप हो गया। किसी की दुकान बंद हो गई तो किसी की फैक्ट्री पर ताला लग गया। कोरोना के दानव ने किसी के भाई को निगल लिया तो किसी की बहन काल का ग्रस बन गई, लेकिन सबसे ज्यादा दर्द उन मासूमों को मिला है, जिनके माता-पिता की वायरस संक्रमण से मौत हो गई। प्रदेश में सैकड़ों ऐसे मासूम हैं जिनके सिर से मां और बाप दोनों का साया उठ गया है तो वहीं एक हजार से ज्यादा ऐसे बच्चे भी हैं, जिन्होंने इस महामारी में अपने माता-पिता में से किसी एक को खोया है। अभी तक इन मासूमों को रिश्तेदार, सामाजिक संस्थाएं और आस पडोस वाले ही संभाल रहे थे। अब इनकी जिम्मेदारी के लिए फिक्रमंद हुई केंद्र और राज्य सरकारों ने बकायदा योजनाएं बनाई हैं। हरियाणा सरकार ने प्रदेश में कोरोना के कारण अनाथ हुए बच्चों की सुरक्षा और संरक्षण के अलावा उनके पालन पोषण, शिक्षा और लड़कियों की शादियों की जिम्मेदारी का खर्च उठाने लिए मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना शुरू की है। जबक केंद्र सरकार भी पीएम केयर फंड से भी प्रदेश के ऐसे बच्चों को 23 साल की उम्र होने पर दस लाख रुपये की मदद देगी। -------- प्रदेश अनाथ बच्चों की स्थिति------ प्रदेश में कोरोना के दौरान अपने माता या फिर पिता को खोने वाले बच्चों की संख्या 1,545 पहुंच चुकी है, जिनमें 62 बच्चे ऐसे हैं, जिनके सिर से मां का आंचल और बाप का साया दोनों ही उठ चुका है। जबकि 1,483 बच्चों ने अपने मां या पिता में से किसी एक को खोया है। हालांकि हरियाणा महिला एवं बाल विकास विभाग की तरफ से ऐसे बच्चों का आंकड़ा लगातार जुटाया जा रहा है, ताकि उसके आधार पर बाल सेवा योजना को शुरू किया जा सके। ---------- जिनके सिर से उठा मां-बाप का साया------ प्रदेश में पांच दर्जन से ज्यादा ऐसे बच्चें हैं, जिन्हें कोरोना संक्रमण ने अनाथ की जिंदगी जीने के लिये मजबूर कर दिया यानि ऐसे बच्चों ने अपने माता-पिता दोनों खो दिये हैं। इनमें जिला सोनीपत में 6, सिरसा में पांच, रेवाड़ी में चार, महेन्द्रगढ़ और झज्जर में तीन-तीन और कुरुक्षेत्र में सात बच्चों की पहचान की गई है। --------- किसी ने मां तो किसी ने पिता को खोया-------- प्रदेश में ऐसे बच्चों की संख्या ज्यादा है जिनकी माता की ममता और पिता के साय को कोरोना संक्रमण ने छीना है। इसमें जिला सोनीपत में 235, जींद में 130, रेवाडी में 120, झज्जर में 114, महेन्द्रगढ़ में 106, भिवानी में 104, सिरसा में 69 तथा करना में 68 बच्चों को कोरोना के कारण माता या पिता से दूर कर दिया है। --------------------- सरकार करेगी सुरक्षा और संरक्षण------- राज्य की मनोहर लाल सरकार ने अनाथ हुए बच्चों के लिए बाल सेवा योजना का ऐलान किया है। इस योजना के तहत इन बच्चों को सरकार हर महीने 2500 रुपये की आर्थिक मदद 18 साल की उम्र तक देगी। वहीं सरकार हर साल 12 हजार रुपये भी इन बच्चों को अन्य खर्चों के लिए देगी। वहीं जिन बच्चों के देखभाल करने वाला परिवार का कोई सदस्य नहीं है उनकी देखभाल बाल देखभाल कोई संस्था कर रही है तो ऐसे संस्थान को 1500 रुपए प्रति बच्चा प्रति महीना 18 वर्ष तक सहायता भी सरकार द्वारा प्रदान की जाएगी। यह राशि अवधि जमा के रूप में बैंक खाते में डाल दी जाएगी और 21 वर्ष की आयु होने पर बच्चे को मैच्योरिटी राशि दे दी जाएगी। जबकि अन्य पूरा खर्च बाल देखभाल संस्थान द्वारा वहन किया जाएगा। ----- लड़कियों की तक का जिम्मा----- राज्य सरकार की इस योजना के तहत किशोर अवस्था में बेसहारा हुई अनाथ बच्चियों को कस्तूरबा गांधी विद्यालयों में मुफ्त आवासीय शिक्षा देने के साथ ही ऐसी बच्चियों की शादी के लिए अभी से उनके बैंक खाते में 51 हजार रुपये जमा कराने का फैसला किया है, जो विवाह के समय ब्याज समेत उन्हें दी जाएगी। सरकार कक्षा 8वीं से 12वीं के बीच या व्यावसायिक पाठ्यक्रम में किसी भी कक्षा में पढ़ने वाले बच्चों को उनकी शिक्षा में सहायता के लिए टैब भी मुहैया करायेगी। -------- बाल गृहों में पुनर्वास-------- प्रदेश सरकार की घोषणा के मुताबिक इसके अलावा राज्य सरकार के बाल गृहों में पालन पोषण होने वाले ऐसे बच्चों का पूरा खर्च खर्च सरकार द्वारा वहन किया जाएगा। ऐसे अनाथ बच्चों का बैंक खाता खुलवा कर इसमें 1500 रुपये प्रति महीने 18 साल की उम्र तक जाम कराए जाएंगे। ------- गोद लेने का भी होगा विकल्प------- कोरोना के कारण अनाथ हुए बच्चों को गोद लेने की भी एक कानूनी प्रक्रिया है। लेकिन बाल कल्याण समिति के संज्ञान में लाये बिना किसी बच्चे को गोद लेना गैर कानूनी व दंडनीय अपराध भी है। इसलिए बच्चों को कानूनी रूप से गोद लेने के लिए सेंट्रल अडाप्शन रिसोर्स अथारिटी के वेबसाइट www.cara.nic.in पर संपर्क करने के बाद इस प्रक्रिया को पूरा किया जा सकता है। वहीं यदि परिवार के अन्य सदस्य या कोई रिश्तेदार अभिभावक के रूप में ऐसे अनाथ बच्चों की देख रेख या पालन पोषण करना चाहता है, तो करने यदि परिवार के अन्य सदस्य या कोई रिश्तेदार करना चाहता है तो उसके लिए उन्हें बाल संरक्षण व बाल कल्याण समिति के समक्ष लिखित में गारंटी पत्र देना होगा। हालांकि बाल गृह में किसी भी अनाथ बच्चे को आवासित करवाना अंतिम विकल्प होना चाहिए। -------- सामाजिक पहलुओं पर सर्वे---------- अनाथ बच्चों की पहचान करने के लिए बाल समितियों की निगरानी में हो रहे सर्वे में उनके बारे में सामाजिक जांच रिपोर्ट भी तैयार करने के निर्देश है, जिनमें ग्राम सचिवों से जानकारी हासिल कर यह देखा जाएगा कि बेसहारा हुए किन बच्चों के नाम जमीन है या नहीं, इसमें क्षेत्र के पटवारियों ने अनापत्ति पत्र लिया जाएगा। इस सामाजिक जांच रिपोर्ट के लिए कराय जा रहे सर्वे में सोशल वर्कर, आउट रीच वर्कर, गैर-संस्थागत केयर और एलपीजओ को लगाया जा रहा है। ------ हर पहलुओं पर नजरें------ कोरोना काल में अनाथ बच्चों को तस्करी जैसे खतरों से बचाने पर भी फोकस किया जा रहा है। मसलन ऐसे अनाथ हुए बच्चों को लोग अवैध तरीके से गोद लेकर कई तरह के खतरों में डाल सकते हैं। यानि ऐसे बच्चों के लालन पोषण के नाम पर परिवार के अन्य लोग या रिश्तेदार उन्हें बाल श्रम का शिकार बना सकते हैं या फिर उनका मानसिक और शारीरिक तौर पर प्रताड़ित करने के अलावा यौन शोषण करने जैसे पहलुओं पर भी सरकार की नजर होगी। 07June-2021

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