मंगलवार, 27 जुलाई 2021

टोक्यो ओलंपिक: युवा पहलवान दीपक पूनिया पदक का प्रबल दावेदार

अब तक किसी बड़ी प्रतियोगिता से नहीं लौटा खाली हाथ ओ.पी. पाल.रोहतक। भारतीय फ्रीस्टाइल पहलवान दीपक पूनिया से देश को उसके दांव-पेंच की बेहतरीन तकनीक वाली क्षमता को देखते हुए 29वें टोक्यो ओलंपिक में पदक की उम्मीद है। भारतीय कुश्ती टीम के सदस्यों में दीपक पूनिया 86 किग्रा भार वर्ग में इसलिए पदक का प्रबल दावेदार माना जा रहा है कि वह आज तक किसी भी बड़ी प्रतियोगिता से खाली हाथ नहीं लौटा। हरियाणा के झज्जर जिले 19 मई 1999 को डेयरी किसान सुभाष पूनिया के परिवार में जन्मे दीपक पूनिया पांच साल की उम्र से ही गांव के अखाड़े में कुश्ती के दांव-पेंच आजमाने लगा था। घर-घर दूध बेचने का काम करने वाले पिता सुभाष बेटे दीपक को दंगल दिखाने जाते थे। पिता का बेटे को एक रेसलर बनाने के लिए लगातार दिया जाने वाला प्रोत्साहन और बेटे की मेहनत का ही नतीजा है कि आज दीपक पूनिया ओलंपिक खेलों में भारत के झंडे को ऊंचा करने की तैयारी कर रहा है। वर्ष 2015 से दीपक के पिता हर दिन 60 किलोमीटर की यात्रा करके अपने बेटे को दिल्ली के छत्रसाल स्टेडियम में दूध और फल देने जाने लगे। बाकी दीपक को कुश्ती के गुर सिखाने का काम उनके कोच वीरेन्द्र पहलवान ने किया, जिसकी वजह से दीपक पूनिया आज अंतर्राष्ट्रीय पहलवानों की फेहरिस्त में सुर्खियों के साथ शामिल है। पहलवान दीपक पूनिया ने जब कुश्ती की शुरूआत की, तो उन्होंने यह कभी नहीं सोचा था वह एक दिन वर्ल्ड मेडलिस्ट बन झज्जर का नाम रोशन करता। दीपक का तो केवल इतना सपना था कि वह पहलवानी के जरिए नौकरी हासिल कर परिवार को आर्थिक रूप से मजबूती दे सके। ------------पहले ही अंतर्राष्ट्रीय कुश्ती में बने चैंपियन--------- भारतीय पहलवान दीपक पूनिया के कोच वीरेन्द्र पहलवान ने हरिभूमि से बातचीत में बताया कि विश्व कुश्ती रैंकिंग में नंबर दो के पहलवान दीपक पूनिया एक अनुशासित पहलवान है, जिसमें बड़े बड़े सूरमाओं को पटखनी देने की क्षमता है। दीपक को इस मुकाम तक लेजाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले कोच वीरेन्द्र ने कहा कि कुश्ती के खेल में दिमाग, ताकत, किस्मत और मैट पर शरीर का लचीलापन जरुरी है और दीपक के पास यह सबकुछ है। यही वजह रही कि वर्ष 2016 में अपनी पहली अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विश्व कैडेट चैंपियनशिप में चैंपियन बनकर लौटे 17 साल के दीपक ने फिर जूनियर विश्व चैम्पियन बनते ही अपने इरादे जाहिर कर दिये थे। इसके बाद दीपक ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। कोच ने बताया कि इसी प्रकार वर्ष 2019 में अपनी पहली सीनियर विश्व कुश्ती चैम्पियनशिप में 86 किग्रा वर्ग में दीपक पूनिया ने रजत पदक प्राप्त किया। यहां से ही उसे ओलपिंक कुश्ती टीम का टिकट मिला। उनका कहना है कि यदि टखने की चोट के कारण वह फाइनल में ईरान के महान पहलवान हसन याजदानी के खिलाफ हटते तो वह स्वर्ण पदक लेकर वह विजेता भी बन सकते थे। इसीउन्होंने बताया कि खास बात ये है कि अभी तक अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर किसी भी बड़ी कुश्ती प्रतियोगिता से दीपक पूनिया खाली हाथ वापस नहीं लौटा। इसलिए ओलंपिक में दीपक पूनिया को पदक का प्रबल दावेदार माना जा रहा है। ---------छत्रसाल स्टेडियम में बनाया कैरियर------- कोच वीरेन्द्र सिंह का कहन है कि वर्ष 2014 पहलवानी का जज्बा लेकर हरियाणा के झज्जर दीपक पूनिया छत्रसाल स्टेडियम में आया था। वहां अन्य पहलवानों की तरह उसने भी ओलंपियन बनने का सपना संजोया, जो मुकाम हासिल करना इतना आसान नहीं होता। इसके बावजूद उनके संपर्क में दीपक में उन्होंने अन्य पहलवानों से कुछ अलग ही देखा। तभी से उन्होंने इसे कुश्ती के लिए आगे बढ़ाने के प्रयास किया और यह भी दिलचस्प पहलू है कि इस युवा पहलवान ने कहीं आगे जाकर मेहनत की। दीपक ने कुश्ती और प्रशिक्षण को जिस प्रकार अपनी जिंदगी का हिस्सा बनाया, उसी का नतीजा है कि आज दीपक पूनिया विश्व के पहलवानों की फेहरिस्त में विशेष स्थान बना चुका है। ---दीपक पूनिया की उपलब्धियां---- 2020 नई दिल्ली एशियाई चैंपियनशिप में कांस्य 2019 नूर-सुल्तान विश्व चैंपियनशिप में रजत 2019 तेलिन विश्व जूनियर कुश्ती चैंपियनशिप में स्वर्ण 2019 शीआन एशियाई चैम्पियनशिप में कांस्य 2018 ट्रनावा विश्व जूनियर कुश्ती चैंपियनशिप में रजत 2018 नई दिल्ली एशियाई जूनियर चैम्पियनशिप में स्वर्ण 2016 त्बिलिसी विश्व कैडेट चैंपियनशिप में स्वर्ण। 15July-2021

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