सोमवार, 26 जुलाई 2021

मंडे स्पेशल: कोरोना की तीसरी लहर से निपटने को कितने तैयार हैं हम!

63 हजार बच्चों की जिम्मेदारी कैसे संभालेगा एक विशेषज्ञ चिकित्सक संक्रमित बच्चों के लिए सीएचसी व पीएचसी में नहीं पीकू व नीकू वार्ड की व्यवस्था ओ.पी. पाल, रोहतक। प्रदेश में तांडव मचाने वाली कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर धीमी जरुर पड़ी है, लेकिन नहीं हुई है। इसी बीच तीसरी लहर को लेकर तरह तरह की आशंका व्यक्त की जा रही है। कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि तीसरी लहर में सबसे अधिक प्रभावित बच्चें होंगे। क्योंकि हमारे पास उनके लिए वैक्सीन उपलब्ध नहीं है। हालांकि कुछ विशेषज्ञ इससे इंकार कर रहे हैं। बावजूद इसके सरकार ने अपने स्तर पर तैयारियां शुरू कर दी हैं। प्रदेशभर में बाल रोग विशेषज्ञ चिकित्सकों व सुविधाओं को दुरस्त किया जा रहा है। प्रदेश की तैयारियों हरिभूमि टीम ने पड़ताल की तो पता चला कि प्रदेश में 16 साल तक की उम्र के 58 लाख से ज्यादा बच्चें हैं। जबकि राज्य के सरकारी अस्पतालों में बच्चों के लिए केवल 450 बेडों की व्यवस्था है, जबकि सरकारी अस्पतालों में 92 बाल रोग विशेषज्ञ चिकित्सक है, जिसमें सर्वाधिक 13 डाक्टर रोहतक में है, बाकी जिलों में किसी भी विशेषज्ञ चकित्सक की संख्या दहाई तक नहीं है। मसलन यानी एक बाल रोग विशेषज्ञ पर करीब 63 हजार बच्चों की जिम्मेदारी है। वहीं प्रदेश में बच्चों के लिए महज छह विशेष एंबुलेंस उपलब्ध हैं,जिसमें तीन अंबाला, एक नारनौल और दो कैथल जिले में हैं। प्रदेश में पीएचसी-सीएचसी के स्तर पर बच्चों को भर्ती करने या विशेषज्ञ चिकिकत्सक के भी इंतजाम नहीं हैं। दिलचस्प बात है कि खुद प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज के अंबाला जिले में बच्चों के लिए 25 बेड और तीन सरकारी बाल रोग विशेषज्ञों की व्यवस्था है। प्रदेश में बच्चों के निजी अस्पतालों के बारे में पड़ताल की गई तो पता चला कि करीब 150 बाल रोग विशेषज्ञ डाक्टर मौजूद हैं। प्रदेश में बच्चों के लिए ऑक्सीजन सपोर्ट और मेडिकल उपकरणों से लैस एंबुलेंस की कमी भी सामने आई है। प्रदेश में 14 जिले ऐसे हैं जहां बच्चों के लिए एंबुलेंस की सुविधा नहीं है। ----------------------- हजारों बच्चें हो चुके संक्रमित--- कोरोना की दूसरी लहर ने बच्चों, किशोरों, महिलाओं के साथ हर आयुवर्ग को अपना शिकार बनाया है। इसमें बच्चों के लिए अलग वार्ड न होने की वजह से करीब 40 हजार बच्चों में संक्रमण पाया गया, जिनमें से 7,068 बच्चे 5 साल से कम आयु के थे, जबकि पांच से 14 साल तक के संक्रमित बच्चों की संख्या 33,051 थी। इनमें से 26 बच्चों को मौत का शिकार बनना पड़ा। इसलिए तीसरी लहर की आशंका को हलके में नहीं लेना चाहिए। दरअसल दूसरी लहर प्रदेश के लोगों के लिए कितनी खतरनाक साबित हुई, खासकर अप्रैल और फिर मई माह में संक्रमित और उसके कारण हुई मौतों के आंकड़े गवाह हैं। इसी दूसरी लहर से सबक लेते हुए प्रदेश सरकार ने तीसरी लहर से निपटने की दिशा में पहले से ही रोडमैप बनाकर तैयारियां शुरू करनी पड़ रही हैं। ------------------------------------- सीएचसी-पीएचसी में नहीं नीकू या पीकू वार्ड--- कोरोना की तीसरी लहर को देखते हुए प्रदेश सरकार ने तैयारियां तो शुरू कर दी है, लेकिन प्रदेश के किसी भी सीएचसी व पीएचसी में नीकू व पीकू वार्ड नहीं है। यानि एक से 18 साल तक के बच्चों के लिए पीकू वार्ड यानि इंटेंसिव केयर यूनिट में आईसीयू बेड की व्यवस्था की जाती है, जबकि एक साल तक के नवजात शिशु के लिए नीकू वार्ड यानि नियोनेटल इंटेंसिव केयर यूनिट की व्यवस्था होती है। इन दोनों वार्डो में आक्सीजन की व्यवस्था की जाती है। ---------------------------- सीरो सर्वे में शामिल होंगे बच्चे--- कोरोना की संभावित तीसरी लहर की तैयारियों में जुटी प्रदेश सरकार 15 जून से तीसरे चरण का सीरो सर्वे कराएगी। पहले दो सर्वे में पुरुष व महिलाओं को शामिल किया गया था, लेकिन इस बार बच्चों को भी शामिल करने का निर्णय लिया है। इसमें यह पता लगाया जाएगा कि कितने लोगों में टीकाकरण का असर हुआ और एंटी बाडी बन चुकी है। इसी आधार पर बच्चों में एंटीबाडी का आकलन करने के लिए छह साल और उससे अधिक आयु के बच्चों को भी इस अध्ययन में शामिल किया गया है। --------------------- सरकार की है क्या तैयारी--- हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने मई के अंत में ही कोराना महामारी की तीसरी लहर की आशंका के मद्देनजर प्रदेश में सीएचसी व पीएचसी स्तर पर बच्चों के वार्ड एवं अन्य स्वास्थ्य सुविधाएं बढाने के लिए सभी जिला उपायुक्तों को निर्देश जारी कर दिये थे। तीसरी लहर की आशंका के प्रति सचेत करते हुए मुख्यमंत्री ने इस तैयारी में सीएचसी पर एक एम्बुलेंस 24 घण्टे तैनात रखी रखने, गम्भीर मरीज को तत्काल जिला अस्पताल में भेजने, ज्यादा से ज्यादा लाईफ स्पोर्ट सिस्टम के साथ एम्बुलेंस को लैस करने जैसी व्यवस्था करने के भी आदेश दिये हैं। ---------------------- बच्चों की वैक्सीन का ट्रायल--- कोरोना की तीसरी लहर में बच्चों के शिकार होने की आशंका को देखते हुए भारत में दो कोरोना वैक्सीन का ट्रायल शुरू हो गया है। हालांकि एम्स के निदेशक रणदीप गुलेरिया ने भारतीय या ग्लोबल स्टडी का हवाला देते हुए कोरोना की तीसरी लहर में बच्चों पर कहर की आशंकाओं को खारिज किया है। इन अध्ययनों में बच्चों पर ज्यादा असर हाने का कोई जिक्र नहीं है। यह भी नहीं है कि वायरस की दूसरी लहर में भी बच्चों में संक्रमण के मामूली लक्षण पाए गये। ------------------ बचाव करना संभव--- विशेषज्ञों के अध्ययन में दुनियाभर के अनुभवों के आधार पर अनुमान लगाया गया है कि कोरोना वायरस की तीसरी लहर का असर दूसरी लहर से काफी अलग होगा। यदि बेहतर तरीके से तैयारी होती है तो लोगों की जान बचाई जा सकती है। वैज्ञानिकों का मत है कि कोरोना वायरस की तीसरी लहर को तो नहीं जा सकता, लेकिन वैज्ञानिक स्तर पर इससे बचने के लिए तैयार रहना चाहिए। वहीं बाल रोग विशेषज्ञ होने के साथ नीति आयोग के सदस्य(स्वास्थ्य) वीके पॉल का मत है कि बच्चे इस वायरस से बच नहीं सकते हैं, उन्हें भी संक्रमण हो सकता है और वो भी दूसरों को संक्रमित कर सकते हैं, हालांकि कुछ तथ्य एकदम साफ नहीं हैं कि बच्चों में संक्रमण तुलनात्मक रूप से कम होगा। 14June-2021

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