मंगलवार, 27 जुलाई 2021

मंडे स्पेशल:सरकारी स्कूलों की सूरत बदलने में जुटी सरकार!

प्रदेश के कई जिलों के सरकारी स्कूलों में नहीं हुआ एक भी दाखिला सरकार 25 से कम छात्र संख्या वाले 1057 स्कूलों को बंद करेगी ओ.पी. पाल.रोहतक। इसे कोराना महामारी की मार कहें या निजी स्कूलों की चमक धमक.., कि अभिभावक सरकारी स्कूलों से दूरी बना रहे हैं। प्रदेशभर के कई जिलों में सरकारी स्कूलों में एक भी बच्चें का दाखिला नहीं हो सका। इसकी भनक लगते ही प्रदेश सरकार भी एक्शन मोड़ में आई और सरकारी स्कूलों को बेहतर बनाने के साथ सुविधाएं बढ़ाकर निजी स्कूलों को टक्कर देने की तैयारियां शुरू कर दी हैं। यही नहीं राज्य शिक्षा विभाग ने सरकारी स्कूलों के प्राचार्यों को बिना एसएलसी विद्यार्थियों का दाखिला करने के निर्देश तक जारी कर दिये हैं और इसके लिए सरकारी स्कूलों में छात्रों की संख्या बढ़ाने के लिए शिक्षकों ने बच्चों के अभिभावकों से सीधा संपर्क साधना शुरू कर दिया है। हरियाणा प्रदेश में अरसे से सरकारी स्कूलों का परीक्षा परिणाम संतोष जनक नहीं रहा। मौजूदा राज्य सरकार ने प्रदेश में सरकारी स्कूलों की शिक्षा में सुधार लाने के लिए कई योजनाएं बनाई, जिसका मकसद बच्चों की पढ़ाई के लिए अभिभावकों को आकर्षित करना है। प्रदेश में भाजपा की पहली सरकार में शिक्षा मंत्री रहे राम विलास शर्मा के सियासीगढ़ महेन्द्रगढ़ के सरकारी स्कूलों का रिजल्ट ज्यादा चिंताजनक देखा गया, जिसके बाद सरकार शिक्षा के प्रति एक्शन मोड में आई और हर साल के बजट में शिक्षा के लिए सर्वाधिक बजट जारी किया गया। इस साल के बजट में राज्य सरकार ने 18,410 करोड़ रुपये का बजट शिक्षा के लिए दिया, जो पिछले साल 19,639 करोड़ था। राज्य सरकार का दावा है कि इस साल के शैक्षणिक सत्र में सुधारात्मक और सरल शिक्षा योजना से प्रभावित होकर करीब दो लाख बच्चों ने निजी स्कूल छोड़कर सरकारी स्कूलों में दाखिला लिया है। इसके बावजूद राज्य सरकार ने प्रदेश के 14,400 सरकारी स्कूलों में से सर्वे कराने के बाद आई रिपोर्ट के आधार पर ऐसे 1,057 सरकारी स्कूलों को बंद करने का निर्णय लिया है, जिनमें विद्यार्थियों की संख्या 25 से कम है। ------------------------ अंग्रेजी मीडियम से पढ़ाई------ प्रदेश सरकार सरकारी स्कूलों को निजी स्कूलों की तर्ज पर सुविधाएं देने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती। प्रदेश में खोले गये नए 136 राजकीय मॉडल संस्कृति वरिष्ठ विद्यालयों और 1418 राजकीय मॉडल संस्कृति प्राथमिक विद्यालयों में शैक्षणिक सत्र शुरू हो गये हैं। इन स्कूलों में सरकार जहां विद्यार्थियों को एनसीईआरटी की मुफ्त पाठ्य पुस्तकें, स्कूल ड्रेस दे रही है। वहीं कक्षा नौवीं से बारहवीं तक की छात्राओं के लिए आने जाने के लिए वाहन की सुविधा भी सरकार की तरफ से मुफ्त होगी। सीबीएसई से मान्यता वाले इन स्कूलों में शिक्षा के स्तर में सुधार लाने की दिशा में हिंदी और अंग्रेजी मीडियम यानि सीबीएसई पैटर्न पर पढ़ाई कराई जाएगी। इसके लिए प्रत्येक स्कूल में पहली से नौंवी के लिए अंग्रेजी माध्यम का एक सेक्शन शुरू किया जाएगा। पहली से पांचवीं तक अधिकतम 30, छठी से आठवीं तक 35 और नौवीं व 11वीं के लिए 40 सीटे उपलब्ध कराई जाएंगी। ------------------------------- 141 स्कूलों में पांच छात्र तक नहीं------ इस साल नए शैक्षणिक सत्र से पहले सरकार ने 1057 सरकारी स्कूल बंद करने का फैसला लिया है, जिनमें तमाम प्रयासों के बावजूद विद्यार्थियों की संख्या 25 का आंकड़ा नहीं छू पाई। ऐसे स्कूलों में 743 प्राथमिक स्कूल और 314 मिडिल स्कूल हैं। शिक्षा विभाग द्वारा बंद किये जाने वाले प्रदेश के इन 743 प्राथमिक स्कूलों में से 91 स्कूलों में पांच से कम, 120 स्कूलों में दस से कम, 204 स्कूलों में 11 से 15, 180 स्कूलों में 16 से 20 और 148 स्कूलों में छात्र संख्या 21 से 25 के बीच है। जबकि 314 मिडिल स्कूलों में से 50 में पांच से कम, 20 में दस से कम, 54 में 11 से 15, 89 में 16 से 20 और 101 मिडिल स्कूलों में 21 से 25 के बीच छात्र हैं। ऐसे स्कूलों के इन विद्यार्थियों को एक किलोमीटर के दायरे में संचालित दूसरे राजकीय प्राथमिक स्कूलों में समायोजित किया जाएगा। वहीं इन स्कूलों में तैनात 1304 जेबीटी और मुख्य शिक्षकों, 763 टीजीटी और 167 ईएसएचएम को दूसरे अन्य स्कूलों में स्थानांतरित किया जाएगा। ------------------------------ सरकारी स्कूलों से दूरी की वजह------ जब प्रदेश सरकार प्राइवेट स्कूलों की तर्ज पर सरकारी स्कूलों को बेहतर बनाने की मुहिम में जुटी है तो ऐसे समय अकेले भिवानी जिले में 34 प्राइमरी स्कूल ऐसे पाए गये, जहां तमाम प्रयासों के बावजूद पहली कक्षा में एक भी बच्चें का दाखिला नहीं हुआ। इसका कारण अभिभावन सरकारी स्कूलों में बच्चों की शिक्षा में रूचि नहीं दिखा रहे हैं, जबकि पहली कक्षा में एसएलसी की जरूरत भी नहीं पड़ती। शिक्षा विभाग ने ऐसे स्कूलों की सूची भी जारी कि जिसमें भिवानी जिले के इन 34 स्कूलो में भिवानी खंड में 14, बवानीखेड़ा में 7, कैरू में 5, लोहारू और बहल में 3-3 तथा तोशाम व सिवानी खंड में 1-1 स्कूल शामिल है। शिक्षा विभाग ने ऐसे स्कूलों के प्रधानाचार्यो का सरकार ने जवाब तलब भी किया और आवश्यक दिशानिर्देश जारी किये। ---------------------------------- ऐसे रही स्कूलों में दाखिले की स्थिति------ प्रदेश के इस नए सत्र में सरकारी स्कूलों में दाखिले नाममात्र के हुए हैं। प्रदेश के भिवानी में दो ,गुरुग्राम में पाँच, जींद में एक, कैथल में तीन, झज्जर में छह, यमुनानगर में 13, कुरुक्षेत्र में 9 ,पलवल में दो, रोहतक में तीन, अंबाला में दस, पंचकुला में 13, सिरसा में चार, दादरी में तीन, फ़तेहाबाद में पाँच, महेंद्रगढ़ में आठ, हिसार में तीन, रेवाड़ी में दो, सोनीपत में एक, करनाल जिले में दो बच्चों के पहली क्लास में दाखिले किये गये। जबकि फरीदाबाद, पानीपत और मेवात जिले में अभी तक एक भी बच्चें का दाखिला नहीं हो पाया। ----------------------- कारगर हुई शिक्षा विभाग की योजना----- प्रदेश में कोरोना महामारी के चलते स्कूल बंदी के इस दौर में भी प्राइवेट स्कूल अभिभावकों से पूरी फीस की मांग करने लगे तो इससे त्रस्त अभिभावकों को शिक्षा विभाग की बिना एसएलसी (स्कूल लिविंग सर्टिफिकेट) के दाखिला करने योजना से बल मिला, जिसमें शिक्षक सरकारी स्कूलों में बच्चों की संख्या बढ़ाने के लिए अभिभावकों से संपर्क करके सरकारी स्कूल के पढ़ाने के फायदे बता रहे हैं। सरकार का दावा है कि इस प्रकार के अभियान से प्रदेश में कम से कम दो लाख ऐसे बच्चें सरकारी स्कूलों में दाखिला ले चुके हैं, जो निजी स्कूलों में पढ़ रहे थे। ----------------------------- नई शिक्षा नीति लागू करने की तैयारी--- प्रदेश सरकार हरियाणा के सरकारी स्कूलों का सुधार करने में नई शिक्षा नीति को लागू करने की तैयारी कर रही है। सरकार का प्रयास है कि बच्चों का रूझान निजी स्कूलों की बजाए सरकारी स्कूलों में बढ़े। विद्यार्थियों की संख्या बढ़ाने के लिए सरकार मौजूदा सरकारी स्कूलों में रैंकिंग के बाद हर तरह का बदलाव करने को तैयार है। ताकि सरकार का प्रयास है कि प्रदेश में राष्ट्रीय लक्ष्य 2030 से पहले वर्ष 2025 तक नई शिक्षा नीति लागू कर दी जाए। इसके लिए शिक्षा निदेशालय के निर्देशन में रैंकिंग पर शुरू हुई प्रक्रिया को अंजाम देने वाली अलग-अलग कमेटियों द्वारा सरकारी स्कूलों को ग्रीन, येलो तथा रेड श्रेणी में बांटा जा रहा है। इन कमेटियों में स्कूल प्रबंधक, अभिभावक, एनसीइआरटी के प्रतिनिधि तथा शिक्षा विभाग के प्रतिनिधि शामिल हैं। यह श्रेणियां इन स्कूलों में मिलने वाली सुविधाओं तथा परीक्षा परिणाम पर आधारित होंगी। ----------------------- रैंकिंग के आधार पर होगा सुधार---- हरियाणा सरकार की रैंकिंग योजना में जो मापदंड तय किये गये हैं, उनके अनुसार पहली बार की रैंकिंग में रेड जोन में आने वाले स्कूलों को छह से आठ माह के भीतर सुधारा जाएगा। जबकि ग्रीन जोन की रैंकिंग वाले स्कलों को तीन से छह माह के भीतर सुधारा जाएगा। यह सभी कमेटियां अपनी रिपोर्ट मुख्यालय को देंगी और मुख्यालय द्वारा यह रिपोर्ट शिक्षा मंत्री की अध्यक्षता वाली कमेटी को सौंपी जाएंगी। इस सर्वे तथा रैंकिंग के लिए सरकार द्वारा निजी क्षेत्र की एक एजेंसी की भी सेवाएं ली जाएंगी। ------------------------- रैंकिंग का यह होगा मापदंड - -- सरकार की इस योजना के लिए सर्वे में रैंकिंग का मूल्यांकन करने के लिए स्कूल का तीन साल का परीक्षा परिणाम देखा जाएगा। इसके अलावा अध्यापक व छात्र अनुपात, स्कूल का मौजूदा बुनियादी ढांचा, मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण से स्कूल बच्चों के अनुकूल हैं या नहीं, बच्चों को पढ़ाई के अनकुल माहौल मिलता है या नहीं, बच्चों के लिए पीने के पानी का प्रबंध, शौचालयों की दशा, लाइब्रेरी और लेबोरट्री की व्यवस्था, विद्यार्थी के स्कूल व घर के बीच का फासला तथा छात्राओं के मुकाबले महिला अध्यापकों की तैनाती की स्थिति देखी जाएगी। 28June-2021

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