सोमवार, 26 जुलाई 2021

रेवाड़ी से समर्पित माल गलियारे पर दौड़ाई सैन्य ट्रेन

पश्चिमी समर्पित फ्रेट कॉरिडोर रेवाडी से फुलेरा तक हुआ पूरा नई दिल्ली। हरियाणा और राजस्थान को जोड़ने वाले न्यू रेवाड़ी-न्यू फुलेरा खंड के बीच 430 किमी पश्चिमी समर्पित फ्रेट कॉरिडोर का निर्माण पूरा हो चुका है, जिसके परीक्षण के लिए वाहनों और उपकरणों के साथ सैन्य ट्रेन की 65 किमी प्रति घंटे की गति से दौड़ाया गया। डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर कॉर्पोरेशन के उप महाप्रबंधक राजेश चौपड़ा ने बुधवार को यह जानकारी देते हुए बताया कि माल वाहक रेल गाड़ियों के लिए बनाए जा रहे पश्चिमी समर्पित फ्रेट कॉरिडोर के 430 किमी लंबे हिस्से को पूरा कर लिया गया है, जो हरियाणा के न्यू रेवाड़ी और राजस्थान के न्यू फुलेरा रेल खंड को जोड़ता है। इस माल गलियारे का ट्रायल करने के लिए इस कॉरिडोर पर सैन्य वाहनों और उपकरणों को लादकर सैन्य ट्रेन को 65 किमी प्रति घंटे की गति से चलाकर किया गया। इससे पहले गत सात जनवरी को 306 किलोमीटर रेवाड़ी-मदार खंड पर डबल डेकर ट्रेन को हरी झंडी देकर 07 जनवरी 2021 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राष्ट्र को समर्पित किया गया। इसके बाद फुलेरा तक 124 किमी लंबे कॉरिडोर का निर्माण पूरा करने के बाद 430 किमी लंबे पश्चिमी समर्पित फ्रेट कॉरिडोर को चालू करने से पहले सैन्य ट्रेन को चलाकर इसका ट्रायल किया गया है। यह ट्रायल रन डीएफसी और भारतीय सेना की टीमों के निकट समन्वय में काम करने के कारण किया गया है। यह ट्रायल राष्ट्रीय संसाधनों के अनुकूलन और विभिन्न मंत्रालयों और विभागों के बीच सहज तालमेल हासिल करने के लिए ‘संपूर्ण राष्ट्र दृष्टिकोण’ का हिस्सा है। वहीं सशस्त्र बलों के सैन्य सामान और उसकी क्षमता को बढ़ाने में कारगर साबित होगा। चोपड़ा के अनुसार रोल ऑन-रोल ऑफ (आरओ-आरओ) सेवा पर स्वामित्व वाले रोलिंग स्टॉक को औपचारिक रूप दिया जा रहा है और तौर-तरीके विकसित किए जा रहे हैं। ये परीक्षण सशस्त्र बलों की संचालनात्मक तैयारी को बढ़ाने के मार्ग की शुरुआत करने में एक महत्वपूर्ण कदम हैं। यह पहल यह सुनिश्चित करने के लिए प्रक्रियाओं को स्थापित करेगी, कि योजना स्तर पर ही राष्ट्रीय बुनियादी ढांचे के विकास में सैन्य आवश्यकताओं को आपस में जोड़ा जाए। डीएफसी, भारतीय सेना और भारतीय रेलवे की बातचीत, डीएफसी को सशस्त्र बलों के मोबिलाइजेशन मैट्रिक्स में लाभ उठाने और राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करने में एक महत्वपूर्ण कदम होगा। कुछ स्थानों पर बुनियादी ढांचे का विकास करना और रक्षा के कदम को मान्य करने के लिए परीक्षण करना। रोल ऑन-रोल ऑफ (आरओ-आरओ) सेवा पर स्वामित्व वाले रोलिंग स्टॉक को औपचारिक रूप दिया जा रहा है और तौर-तरीके विकसित किए जा रहे हैं। ये परीक्षण सशस्त्र बलों की संचालनात्मक तैयारी को बढ़ाने के मार्ग की शुरुआत करने में एक महत्वपूर्ण कदम हैं। यह पहल यह सुनिश्चित करने के लिए प्रक्रियाओं को स्थापित करेगी, कि योजना स्तर पर ही राष्ट्रीय बुनियादी ढांचे के विकास में सैन्य आवश्यकताओं को आपस में जोड़ा जाए। अब तक कमीशन सेक्शन में कुल 4000 से अधिक ट्रेनें चलाई जा चुकी हैं। पूर्वी डीएफसी में इसकी 3000 से अधिक ट्रेनें हैं और डब्ल्यूडीएफसी में 850 से अधिक ट्रेनें हैं। टोटल जीटीकेएम ने 30 लाख टन का आंकड़ा पार कर लिया है। खंड की कुछ ट्रेनें ईडीएफसी में 99.38 किमी प्रति घंटे और डब्ल्यूडीएफसी में 89.50 किमी प्रति घंटे की औसत गति प्राप्त कर रही हैं। ये गति किसी भी सबसे तेज मेल एक्सप्रेस ट्रेनों की तुलना में हैं।

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