सोमवार, 29 जून 2020

पिछले दो सालों में ईपीएफओ से जुड़े1.39 करोड़ ग्राहक


ऑनलाइन मोड में सेवा शुरू होने के बाद ज्यादा बढ़ी संख्या
हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली।
देश में नौकरीपेशा करने वाले लोगों को सामाजिक सुरक्षा देने के लिए ईपीएफओ के पीएफ अंशधारकों की संख्या लगातार बढ़ रही है, जिसमें ईपीएफओ पिछले दो वित्तीय वर्ष के दौरान 1.39 करोड़ अंशधारकों को जोड़ने का दावा कर रहा है।
केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने सोमवार को यह जानकारी देते हुए बताया कि ईपीएफओ के हाल ही प्रकाशित अनंतिम भुगतान रजिस्टर आंकड़े (पेरोल डेटा) के मुताबिक ईपीएफओ में सितंबर 2017 से भुगतान रजिस्टर के मिलान के बाद से इसकी लगातार बढ़ती ग्राहक संख्या में वृद्धि को दर्शाता है। भुगतान रजिस्टर आंकड़े वर्ष 2018-19 और 2019-20 के लिए समेकित वार्षिक आंकड़ो पर गौर की जाए तो ईपीएफओ में कुल ग्राहक संख्या में 28 फीसदी की वृद्धि दर्ज करते हुए वर्ष 2018-19 में 61.12 लाख से बढ़कर 2019-20 में 78.58 लाख हो गई। ग्राहकों की संख्या में यह बढ़ोतरी सदस्यता छोड़ने वालों की कम संख्या और सदस्यता छोड़ चुके ग्राहकों के फिर से सदस्य बनने की अधिक संख्या के कारण है। मंत्रालय के अनुसार ईपीएफओ ने वर्ष 2019-20 के लिए 8.5 फीसदी का कर मुक्त ब्याज दिया, जो अन्य सामाजिक सुरक्षा साधनों और सावधि जमाओं में सबसे अधिक है। यही कारण है कि पिछले वर्ष की तुलना में ईपीएफओ को वर्ष 2019-20 में सदस्यता छोड़ने वालों की संख्या लगभग 10 फीसदी तक कम करने में मदद मिली। इसके अलावा सदस्यता छोड़ चुके ग्राहकों के वर्ष 2018-19 में 43.78 लाख से वर्ष 2019-20 में 78.15 लाख ग्राहकों के फिर से जुड़ने के साथ ही लगभग 75 फीसदी की बड़े पैमाने पर वृद्धि दर्ज की गई है। ऑटो-ट्रांसफर सुविधा ने कई मामलों में सदस्यता की निरंतरता सुनिश्चित करने में बड़ी भूमिका निभाई है। यह सुविधा सदस्यों को नौकरी बदलने पर पुराने खाते से नए खाते में पीएफ बैलेंस की परेशानी से मुक्त हस्तांतरण कराने में सक्षम बनाती है। मसलन ऑनलाइन मोड में सेवा प्रदान करने की गुणवत्ता में तेजी से सुधार की वजह से देश भर के कर्मचारी ईपीएफओ की सेवाओं की ओर आकर्षित हुए हैं। इसके अलावा पीएफ के रूप में जमा राशि अब लॉक-इन मनी नहीं रह गई है, इसे जरूरत पड़ने पर निकाला जा सकता है।
आधे से ज्यादा जुड़े युवा सदस्य
मंत्रालय के मुताबिक वर्ष 2019-20 के दौरान ग्राहकों की उम्र के हिसाब से विश्लेषण पर गौर की जाए तो पिछले वर्ष की तुलना में 26-28, 29-35 और 35वर्ष से अधिक आयु समूह के ग्राहकों के कुल नामांकन में 50 फीसदी से अधिक की वृद्धि हुई है। इसके अलावा पिछले वर्षों की तुलना में वर्ष 2019-20 के दौरान महिला कर्मचारियों का नामांकन लगभग 22 फीसदी बढ़ गया है,जो देश के औपचारिक कार्यबल में महिलाओं की अधिक भागीदारी को दर्शाता है।
ऑनलाइन मोड में सेवा प्रदान करने की गुणवत्ता में तेजी से सुधार की वजह से देश भर के कर्मचारी ईपीएफओ की सेवाओं की ओर आकर्षित हुए हैं। इसके अलावा पीएफ के रूप में जमा राशि अब लॉक-इन मनी नहीं रह गई है, इसे जरूरत पड़ने पर निकाला जा सकता है।
एक लाख से ज्यादा प्रतिष्ठान में प्रक्रिया शुरू
ईपीएफओ के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2018-19 और 2019-20 के दौरान पहली बार कुल 1.13 लाख नए प्रतिष्ठानों ने पीएफ का अनुपालन शुरू किया है। पोर्टल के माध्यम से आसानी से पीएफ कोड प्राप्त करने के लिए नए प्रतिष्ठानों को सक्षम बनाने वाली अनुपालन प्रक्रिया का सरलीकरण और इलेक्ट्रॉनिक चालान सह रिटर्न (ईसीआर) दाखिल करने की सुविधा ने प्रतिष्ठानों द्वारा स्वैच्छिक अनुपालन को बढ़ावा दिया है। मंत्रालय के अनुसार उद्योगों का श्रेणीवार विश्लेषण की बात की जाए तो अस्पतालों और वित्तीय प्रतिष्ठानों ने 50 फीसदी से अधिक की वृद्धि दिखाई है, जबकि ट्रेडिंग एवं वाणिज्यिक प्रतिष्ठान, कपड़ा और साफ-सफाई संबंधी सेवाएं प्रदान करने वाले प्रतिष्ठानों ने शुद्ध नामांकन के मामले में 20 फीसदी से अधिक की वृद्धि दर्ज की है।
कोरोना संकट में दी राहत
ईपीएफओ ने 3 दिनों के भीतर कोविड​​-19 के दौरान अग्रिमों मांगों को निपटाने का काम किया है। इसी के साथअब पीएफ जमा को नकदी राशि के रूप में देखा जाने लगा है, जो संकट के समय ग्राहकों की आवश्यकता को पूरा कर सकती है। इसी तरह बेरोजगारी,विवाह खर्च,उच्च शिक्षा,आवास और चिकित्सा उपचार के मामले में पीएफ अग्रिम का लाभ उठाया जा सकता है।
23June-2020

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