रविवार, 7 जून 2020

देश के किसान अब मंडी से बाहर भी बेच सकेंगे अपनी उपज


सरकार ने कई कृषि उत्पादों को आवश्यक वस्तु कानून से किया बाहर
सरकार ने बाधामुक्त कृषि व्यापार के लिए अध्यादेश को दी मंजूरी
हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली।
केंद्र सरकार ने देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने की दिशा में कई बड़े फैसलें किये हैं, जिसमें किसानों और एमएसएमई उद्योगों को कोरोना संकट में बड़ी राहत देने के मकसद से कई निर्णयों को मंजूरी दी। सरकार ने कृषि उपज के बाधा मुक्त व्यापार को प्रोत्साहन देने के लिए एक अध्यादेश को भी मंजूरी दी है। वहीं बहुत से कृषि उत्पादों को आवश्यक वस्तु अधिनियम से बाहर करने के लिए कानून में संशोधन करने का निर्णय लिया। 
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आवास पर बुधवार को उनकी अध्यक्षता में हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में लिए गये फैसलों की जानकारी देते हुए यहां केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावडेकर ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि भारत एक देश-एक बाजार की दिशा में आगे बढ़ रहा है, जिसके लिए सरकार ने आत्मनिर्भर भारत पैकेज के तहत खेती-किसानी के लिए बडे फैसले लिये हैं। इसी मकसद से सरकार ने कई कृषि उत्पादों को आवश्यक वस्तु अधिनियम से बाहर किया है और किसानों को एपीएमसी कानून से बाहर भी उत्पाद बेचने की अनुमति दी गई है। मसलन अब किसान मंडी के अलावा अपनी उपज सीधे निर्यातकों को बेच सकेंगे, जिससे उन्हें अधिक आर्थिक लाभ मिल सकेगा, जो भारतीय किसानों के लिए एक मील का पत्थर साबित होगा। जावडेकर ने कहा कि देश में छह दशक से ज्यादा पुराने आवश्यक वस्तु अधिनियम में संशोधन करते हुए केंद्रीय कैबिनेट ने अनाज, दालें, आलू और प्याज आदि को इससे बाहर कर दिया। सरकार ने यह फैसला कृषि क्षेत्र में सुधार लाने के लिए और किसानों की आय बढ़ाने के मकसद से लिया है। कैबिनेट ने कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अध्यादेश-2020 को भी मंजूरी दी है, ताकि किसान अंतर्राज्यीय बाजार में कृषि उपज का बाधा मुक्त व्यापार कर सकें। इस मौके पर कैबिनेट निर्णयों को लेकर केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि ये फैसले कृषि क्षेत्र में सकारात्मक सुधार लाएंगे और किसानों को आर्थिक रूप से मजबूती मिलेगी।
व्यापारियों निर्यातकों से सीधे जुड़ सकेंगे किसान
इसके साथ ही सरकार ने मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा अध्यादेश पर किसानों का (सशक्तिकरण और संरक्षण) समझौता अधिनियम, 2020 को भी अनुमति दी। इससे  प्रोसेसर, एग्रीगेटर, थोक व्यापारी, बड़े खुदरा विक्रेताओं और निर्यातकों के साथ जुड़ने के लिए किसानों को सशक्त बनाया जा सकेगा। कैबिनेट निर्णयों की जानकारी देते हुए कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि ये फैसले कृषि क्षेत्र में सकारात्मक सुधार लाएंगे और किसानों को सशक्त करेंगे। उन्होंने कहा कि सरकार ने मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा अध्यादेश पर किसानों का (सशक्तिकरण और संरक्षण) समझौता अधिनियम-2020 को भी स्वीकृति प्रदान की है, जिसके तहत प्रोसेसर, एग्रीगेटर, थोक व्यापारी, बड़े खुदरा विक्रेताओं और निर्यातकों के साथ जुड़ने के लिए किसानों को सशक्त बनाया जा सकेगा।
किसानों को यह होगा लाभ
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र तोमर ने कहा कि केंद्र सरकार के इन फैसलों से एपीएमसी (कृषि उपज मंडी समिति) से बाहर कृषि उत्पाद बेच सकेंगे किसान, कम लागत में अधिक आय होने पर समृद्धि बढ़ेगी। मसलन अब किसानों को अपना उत्पाद सीधे निर्यातकों को बेचने की अनुमति दी गई है, जिससे किसानों को अपने उत्पाद की अधिक कीमत मिलेगी। तोमर ने कहा कि मोदी सरकार ने किसानों के हित में अनेक कदम उठाए हैं, जिनमें किसान की सामाजिक सुरक्षा के लिए किसान मान धन योजना बनाई गई है। सभी किसानों को क्रेडिट कार्ड मिले, इस पर काम किया जा रहा है। पीएम किसान सम्मान निधि से एकमुश्त एकमुश्त 75 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया। उन्होंने कहा कि सरकार ने खाद सब्सिडी में 80 हजार करोड़ रुपये दिए गए। वहीं किसान क्रेडिट कार्ड से चार लाख करोड़ किसानों को कर्ज मिल चुका है। किसान को खरीद की गारंटी मिले तो उत्पाद की गुणवत्ता बेहतर हो सकती है। उन्होंने कहा कि सरकार की योजना के तहत देश में 10 हजार नए एफपीओ (किसान उत्पादक संगठन) बनाए जाएंगे, जो किसान की संरक्षा के लिए कृषि मंत्रालय अनुबंध के मॉडल पर काम करेगा। अब अनुबंध के तहत पैदा किए गए कृषि उत्पादों पर राज्यों का कर लागू नहीं होगा। इस अनुबंध में किसानों और अन्य संस्थाओं के बीच विवाद के निपटारा का प्रावधान होगा। सरकार के फैसलों में कोई भी फैसला किसान की जमीन के खिलाफ नहीं होगा।
-----------------------------------------
अब श्‍यामा प्रसाद मुखर्जी ट्रस्ट कहलाएगा कोलकाता बंदरगाह
केंद्र सरकार ने नाम परिवर्तन के प्रस्ताव को दी मंजूरी
हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली।
केंद्र सरकार ने कोलकाता बंदरगाह ट्रस्ट का नाम बदलकर श्‍यामा प्रसाद मुखर्जी बंदरगाह ट्रस्ट करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। अब कोलकाता बंदरगाह नए नाम श्‍यामा प्रसाद मुखर्जी बंदरगाह से जाना जाएगा।
केंद्रीय जहाजरानी मंत्रालय के प्रवक्ता ने यह जानकारी देते हुए बताया कि बुधवार को प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी की अध्‍यक्षता में हुई केन्‍द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में कोलकाता बंदरगाह का नया नाम श्‍यामा प्रसाद मुखर्जी बंदरगाह करने की अनुमति दे दी है। कोलकाता बंदरगाह ट्रस्‍ट के बोर्ड ऑफ ट्रस्‍टी ने 25 फरवरी 2020 को हुई अपनी बैठक में एक प्रस्‍ताव पारित कर विधिवेत्‍ता, शिक्षक, विचारक और जन साधारण के नेता श्‍यामा प्रसाद मुखर्जी को बहुआयामी प्रतिभा के धनी के रूप में ध्‍यान में रखकर  कोलकाता बंदरगाह को नया नाम श्‍यामा प्रसाद मुखर्जी करने की मंजूरी दे दी थी। मंत्रालय के अनुसार कोलकाता बंदरगाह की 150वीं जयंती के उद्घाटन समारोह के अवसर पर  गत 12 जनवरी 2020 को, पश्चिम बंगाल की जनता की भावनाओं को ध्‍यान में रखते हुए यह घोषणा की गई कि कोलकाता बंदरगाह का नाम बदलकर उसे नया नाम श्‍यामा प्रसाद मुखर्जी दिया जाएगा, जिन्‍हें पश्चिम बंगाल का सबसे योग्‍य पुत्र और राष्‍ट्रीय एकता को बनाए रखने में अग्रणी, बंगाल के विकास का स्‍वप्‍नदृष्‍टा, औद्यो‍गिकरण का प्रेरणा स्रोत और एक राष्‍ट्र के लिए एक कानून का प्रचंड समर्थक माना जाता था। इससे पहले हाल में 2017 में कांडला बंदरगाह का नाम बदलकर दीनदयाल बंदरगाह कर दिया गया। इसके अलावा अनेक हवाई अड्डों के नाम भारत के महान नेताओं के नाम पर रखे गए हैं।
------------------------------
औषध कोष आयोग की स्थापना को मंजूरी
प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी की अध्‍यक्षता में केन्‍द्रीय मंत्रिमंडल ने आयुष मंत्रालय के अंतर्गत अधीनस्‍थ कार्यालय के रूप में भारतीय औषध और होम्‍योपैथी (पीसीआईएमऔरएच) के लिए औषधकोष (फार्माकपीआ) आयोग की पुर्नस्‍थापना को अपनी मंजूरी दे दी है। इसमें गाजियाबाद में 1975 से स्‍थापित दो केन्‍द्रीय प्रयोगशालाओं-फार्माकपीआ लेबोरेट्री फॉर इंडियन मेडिसिन (पीएलआईएम) और होम्‍योपैथिक फार्माकपीआ लेबोरेट्री (एचपीएल) का विलय कर दिया गया है। वर्तमान में 2010 से स्‍थापित आयुष मंत्रालय के अंतर्गत भारतीय औषध और होम्‍योपैथी के लिए औषध कोष आयोग एक स्वायत्‍तशासी संगठन है। विलय का उद्देश्‍य तीनों संगठनों की बुनियादी ढांचा सुविधाओं, तकनीकी मानव श्रम और वित्‍तीय संस्‍थानों का अधिकतम इस्‍तेमाल करना है ताकि आयुर्वेद, सिद्ध, यूनानी और होम्‍योपैथी दवाओं के नतीजों के मानकीकरण में वृद्धि की जा सके जिससे प्रभावी नियंत्रण और गुणवत्‍ता नियंत्रण की दिशा में बढ़ा जा सकेगा। इस विलय से औषधकोश और लिखे गए नुसखे के विवरण का प्रकाशन और आयुष दवाओं के मानकों का केन्द्रित और संसक्‍त विकास को बढ़ावा मिलेगा। 
04June-2020

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें