मंगलवार, 30 जून 2020

समावेशी शिक्षा के लिए डिजिटल डिवाइड को समाप्त करना जरुरी: नायडू


शिक्षा क्षेत्र में निजी क्षेत्र से सस्ती तकनीकी उपलब्ध कराने का आव्हान
हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली।
देश में सर्वव्यापी प्राथमिक शिक्षा का लक्ष्य प्राप्त करने के साथ माध्यमिक और उच्च शिक्षा को समावेशी बनाने के लिए सरकार को डिजिटल डिवाइड को समाप्त करना चाहिए। देश में डिजिटल उपकरण से वंचित बच्चों के भविष्य को देखते हुए शिक्षा के क्षेत्र में सस्ती तकनीकी उपलब्ध कराए जाने की आवश्यकता है।
उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने मंगलवार को वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से ' फ्यूचर ऑफ एजुकेशन-नाइन मेगा ट्रेंड्स' पुस्तक का लोकार्पण करते हुए इस प्रकार का आग्रह करते हुए कि तकनीकी प्रणाली ने न सिर्फ संभावनाओं के नए द्वार खोले हैं, बल्कि हमें समाज में व्याप्त विशाल डिजिटल डिवाइड के प्रति भी आगाह किया है। देश में तकनीकी प्रणाली को सस्ता और सुलभ बनाने की जरूरत पर बल देते हुए उपराष्ट्रपति नायडू ने कहा कि अभी भी कितने ही बच्चों को डिजिटल उपकरण सुलभ नहीं है। उन्होंने कहा कि इस अंतर को पाटना होगा, ताकि सर्वव्यापी प्राथमिक शिक्षा का लक्ष्य प्राप्त करने के साथ तथा माध्यमिक और उच्च शिक्षा को समावेशी बनाया जा सके। उन्होंने कहा कि आज भी देश में अनेक अभिभावक डिजिटल उपकरणों का खर्च वहन करने की स्थिति में नहीं हैं। डिजिटल डिवाइड के अंतर को समाप्त करने का काम बहुत व्यापक और दुरूह है जिसे के लिए निजी क्षेत्र को सरकार के साथ सहयोग करना चाहिए। उन्होंने शिक्षा टेक्नोलॉजी से संबद्ध निजी क्षेत्र की कंपनियों से आग्रह किया कि वे विद्यार्थियों की आवश्यकता को देखते हुए सस्ते शिक्षण साधन उपलब्ध कराएं। उन्होंने ने देश निर्माण में अपना योगदान देने तथा बच्चों के लिए उज्ज्वल भविष्य सुनिश्चित करने की दिशा में मूल्य आधारित शिक्षा की आवश्यकता पर बल दिया।
जरुरतों के मुताबिक दें शिक्षा
उप राष्ट्रपति नायडू ने कहा कि कोरोना महामारी के दौरान जब शिक्षण संस्थान डिजिटल माध्यम से पढ़ा रहे हैं, शिक्षक और विद्यार्थी क्लाउड प्लेटफॉर्म के माध्यम से संपर्क कर रहे हैं, शिक्षण सामग्री साझा कर रहे हैं और अपने प्रोजेक्ट्स पूरे कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि यहां तक कि परीक्षाएं भी ऑनलाइन ही ली जा रही है। उन्होंने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, वर्चुअल रिएलिटी, ऑगमेंटेड रिएलिटी जैसी तकनीकें जल्दी ही कक्षाओं में पहुंच जाएंगी और विद्यार्थियों एवं शिक्षकों के पढ़ने पढ़ाने के तरीकों को बदल कर रख देंगी। उन्होंने शिक्षकों से आग्रह किया कि वे बदलती जरूरतों के अनुसार विद्यार्थियों को शिक्षा प्रदान करें। उपराष्ट्रपति ने कहा कि आज ऑनलाइन प्रयोगशाला के माध्यम से विद्यार्थी कहीं से भी कोई भी मशीन का उपयोग कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि आज शिक्षक की भूमिका उनके विद्यार्थी के मार्गदर्शक, कोच, सहायक, परामर्शदाता और यहां तक कि उसके मित्र के रूप में है। नायडू ने राज्य सरकारों से आग्रह किया कि वे निजी क्षेत्र और गैर सरकारी संगठनों के साथ मिल कर विद्यार्थियों को हर स्तर पर अच्छी शिक्षा उपलब्ध कराने के उद्देश्य को साकार करने के नए उपाय खोजे।
01July-2020

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