कोरोना देखभाल केंद्र में तब्दील हुए थे 5231 वातानुकूलित कोच
हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली।
देश में कोरोना महामारी में चिकित्सीय मदद देने के लिए भारतीय रेलवे ने
लॉकडाउन के दौरान कोरोना मरीजों के इलाज के लिए ट्रेनों के 5231 वातानुकूलित कोचों
को आईसोलेशन वार्ड यानि कोरोना देखभाल केंद्रों के रूप में तब्दील किया था, जिनका
अब इस्तेमाल किया जाने लगा है, लेकिन स्वास्थ्य मंत्रालय और नीति आयोग के साथ
चर्चा के दौरान बनी सहमति के बाद रेलवे ने इन कोचों को गैर-वातानुकूलित कोरोना
देखभाल केंद्रों के रूप में बदलने का काम पूरा कर लिया है।
रेल मंत्रालय के प्रवक्ता ने शुक्रवार को यह जानकारी देते हुए बताया कि भारतीय
रेलवे ने कोविड-19 से निपटने की क्षमता बढ़ाने के लिए
अपनी रेलगाडि़यों के 5231 वातानुकूलित
कोचों
को कोविड देखभाल केंद्र यानि आईसोलेशन वार्ड में तब्दील किया था। हालांकि चार
लॉकडाउन के दौरान इन कोचों की किसी भी राज्य से मांग नहीं आई, लेकिन अनलॉक-1 शुरू
होते ही देश में कोरोना संक्रमण के प्रसार में तेजी आने के बाद रेलवे के कोचों की
जरुरत महसूस होने लगी। रेलवे की ट्रेनों के कोविड देखभाल केंद्रों का कोविड के संदिग्ध और पुष्ट
मामलों के प्रबंधन के लिए 'स्वास्थ्य
और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी दिशानिर्देशों के अनुरूप किया गया है, जिसमें दी गई सुविधाएं स्वास्थ्य और
परिवार कल्याण मंत्रालय तथा नीति आयोग द्वारा विकसित एकीकृत कोविडयोजना का हिस्सा
हैं और आमतौर पर इनका उपयोग तब किया जाता है जब राज्यों की ओर से दी जाने वाली सुविधाएं
अपर्याप्त हो जाती हैं। इस योजना के
तहत चर्चा
के दौरान अब इस बात
पर सहमति बनी, कि वातानुकूलित
डिब्बे कोविड मरीजों के लिए सही नहीं होंगे, क्योंकि इनमें लगे डक्ट के जरिए
संक्रमण फैलने का खतरा रहेगा। यह माना गया कि आम तौर पर अधिक तापमान वाले परिवेश में
वायरस से लड़ने में मदद मिलेगी और खुली खिड़कियों से हवा के परिसंचरण से मरीजों को
लाभ होगा।
मानक प्रक्रिया के आधार पर परिवर्तन
मंत्रालय के अनुसार रेलवे ने अधिकार प्राप्त समूह द्वारा निर्देशित और वांछित निर्णय के बाद आईसोलेशन वार्ड
में तब्दील किये गये तमाम 5231 कोचों को फिर से गैर-वातानुकूलित कोचों में
परिवर्तित करने का काम पूरा कर लिया गया है। रेलवे के अनुसार ये कोच केवल कोविड के ऐसे मरीजों की देखभाल
के लिए होंगे, जिनमें
संक्रमण हल्का या मामूली होगा या जो कोविड के संदिग्ध मरीज होंगे।आइसोलेशन कोच वाली
ऐसी प्रत्येक रेलगाड़ी को आवश्यक रूप से एक या एक से अधिक कोविड समर्पित स्वास्थ्य
केन्द्रों तथा कम से कम एक कोविड समर्पित अस्पताल के साथ जोड़ा जाना होगा, जहां मरीजों की स्थिति बिगड़ने पर
उन्हें स्थानांतरित किया जा सके। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा ऐसी
रेलगाडि़यों के लिए तैयार की गई मानक प्रक्रिया के अनुसार इनके पास प्लेटफार्म पर
एक आपातकालीन सुविधा संबधित स्वास्थ्य सेवा प्रदाता द्वारा आवश्यक रूप से बनाई
जानी होगी। यह सुविधा यदि स्थायी रूप में उपलब्ध नहीं है, तो अस्थायी व्यवस्था के रूप में
प्रदान की जा सकती है।
गर्मी से बचाव के हुए उपाय
रेल मंत्रालय के अनुसार प्लेटफार्मों पर खड़े ऐेसे डिब्बों के उपर कवर शीट्स (सफेद कनात) या उपयुक्त सामग्री
बिछाई जा रही है ताकि बाहर के तापमान से डिब्बों के अदंर गर्मी से बचाव किया जा सके। वहीं रेल डिब्बों के अदंर बबल रैप
की शीट लगाई जा रही है, ताकि अदंर
के तामपान को एक डिग्री सेल्सियस तक कम किया जा सके। इसी प्रकार डिब्बों की छतों पर गर्मी
को परावर्तित करने वाले पेंट लगाए जा रहे हैं। उत्तर रेलवे की ओर से इसका प्रयोग किया
गया है,
जिसमें परीक्षण
के दौरान पाया गया कि इससे डिब्बों केअदंर का तापमान 2.2 डिग्री सेल्सियस तक कम किया जा सकता
है। मसलन डिब्बों पर पेंट की ऐसी और
एक परत चढ़ाए जाने के लिए मुंबई आईआईटी के सहयोग से परीक्षण किए जाने की योजना है।
इसका परीक्षण 20 जून को
किया जाएगा और परीक्षण के नतीजे रिकार्ड किए जाएंगे। रेलवे के मुताबिक डिब्बों की छत को पेंट करने
के अलावा बांस आदी की टाटी का इस्तेमाल भी किया जा रहा है ताकि तामपान को और घटाया
जा सके।डिब्बों के अदंर सचल कूलर लगाने का भी प्रयोग किया जा रहा है इससे अदंर का
तामपान तीन डिग्री सेल्सियस तक कम करने में मदद मिली है। वहीं पानी की फुहार चलाने का भी प्रयोग
किया जा रहा है। इससे मौजूद शुष्क मौसम में रोगियों को काफी आराम मिलने की संभावना
है।
20June-2020
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