रविवार, 21 जून 2020

अब साफ्ट ड्रिंक का विकल्प बनेगा खादी का नीरा व ताड़गुड़!


जैविक उत्पादों की संभावना तलाश रहा है खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग
हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली।
केंद्र सरकार के आत्मनिर्भर भारत मिशन को प्रोत्साहित करने और स्व-रोजगार सृजन की दिशा में खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग ने भारतीय ताड़ उद्योग में प्रवेश कर लिया है। जिसने नीरा एवं ताड़गुड़ का उत्पादन करने के लिए एक परियोजना शुरू की है, जिसमें नीरा को साफ्ट ड्रिंक का विकल्प को बढ़ावा देना है।
केंद्रीय एमएसएमई मंत्रालय ने यह जानकारी देते हुए बताया कि केंद्रीय एमएसएमई मंत्री नितिन गडकरी की पहल पर खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) द्वारा नीरा एवं ताड़गुड़ का उत्पादन करने के लिए शुरू की गई इस परियोजना के तहत नीरा को नारियल पानी की तर्ज पर व्यावसायिक रूप से उपयोगी बनाने के लिए साफ्ट ड्रिंक के विकल्प के रूप में इसका उपयोग करने के लिए राज्यों की कुछ बड़ी कंपनियों को शामिल करने की तैयारी की जा रही है। इस परियोजना का मकसद साफ्ट ड्रिंक के रूप में नीरा को बढ़ावा देने के साथ जनजातियों तथा पारंपरिक पाशिकों (ट्रैपर) के लिए स्व-रोजगार सृजन करना भी है। केवीआईसी के अध्यक्ष विनय सक्सेना ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये इस परियोजना को शुरू करते हुए कहा कि नीरा जैविक है तथा पोषकों में समृद्ध होने के साथ एक संपूर्ण स्वास्थ्य पेय है। उन्होंने बताया कि केवीआईसी ने नीरा तथा ताड़ गुड़ के उत्पादन पर एक विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार की है, जिसमें प्रस्ताव किया गया है कि नियंत्रित स्थितियों के तहत नीरा का मानकीकृत संग्रह, प्रसंस्करण तथा पैकिंग आरंभ की जाए, जिससे कि इसे किण्वन से बचाया जा सके। इसका उद्देश्य कोल्ड चेन के जरिये प्रसंस्कृत नीरा का बी2सी सप्लाई चेन तक पहुंचना है।
नीरा से तैयार होंगे अन्य उत्पाद
सक्सेना ने बताया कि आयोग का प्रस्ताव है कि अगर इसके अतिरिक्त इसकी समुचित तरीके से मार्केटिंग की जाए, तो कैंडी, मिल्क चाकलेट, पाम कोला, आईसक्रीम जैसे उत्पादों की व्यापक श्रृंखला तथा पारंपरिक मिठाइयां भी नीरा से तैयार की जा सकती हैं। वर्तमान में देश में 500 करोड़ रुपये के बराबर के ताड़ गुड़ नीरा का व्यापार किया जाता है। उन्होंने बताया कि नीरा सूर्योदय से पहले ताड़ पेड़ से निकाली जाती है और भारत के कई राज्यों में एक पोषक स्वास्थ्य पेय के रूप में पी जाती है। तथापि संस्थाकृत बाजार तकनीक के अभाव के कारण अभी तक नीरा का व्यावसायिक उत्पादन तथा बड़े पैमाने पर विपणन आरंभ नहीं हो सका। इस परियोजना शुरू करने से पहले 200 प्रशिक्षित कारीगरों को करीब 15 हजार रुपये कीमत की टूल किट वितरित की गई, जिसमें फूड ग्रेड स्टेनलेस स्टील कढ़ाई, परफोरेटेड मोल्ड्स, कैंटीन बर्नर्स एवं चाकू, रस्सी तथा नीरा निकालने के लिए कुल्हाड़ी जैसे अन्य उपकरण शामिल हैं।
स्वदेशी पेय पदार्थ को बढ़ावा
केवीआईसी के अध्यक्ष विनय सक्सेना ने कहा कि देशभर में लगभग 10 करोड़ ताड़ पेड़ हैं। हम नारियल पानी की तर्ज पर नीरा को सॉफ्ट ड्रिंक के विकल्प के रूप में बाजार में बढ़ावा देने पर कार्य कर रहे हैं, ताकि स्वदेशी शीतल पेयपदार्थो को प्रोत्साहन मिल सके। सक्सेना ने कहा कि नीरा के उत्पादन में बिक्री से ताड़ उद्योग देश में रोजगार का एक प्रमुख सृजक साबित हो सकता है। वहीं नीरा में निर्यात की भी असीम संभावनाएं हैं, क्योंकि श्रीलंका, अफ्रीका, मलेशिया, इंडोनेशिया, थाईलैंड एवं म्यांमार जैसे देशों में भी इसका उपभोग किया जाता है। जबकि भारत में महाराष्ट्र, गुजरात, गोवा, दमन एवं दीव, दादर एवं नागर हवेली, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों में ताड़ प्रक्षेत्रों की बहुतायत है जो भारत को वैश्विक रूप से अग्रणी उत्पादक बना सकते हैं।
18June-2020

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