सोमवार, 8 जून 2020

साक्षात्कार: सरकार लोकल के लिए वोकल होगी, तभी ग्लोबल बनेगा देश: अनुराग ठाकुर

सरकार के ठोस उपायों से पटरी पर आएगी देश की अर्थव्यवस्था
.पी. पाल. नई दिल्ली। 
कोराना संकट से जूझ रहे भारत में लॉकडाउन के कारण बुरी तरह से प्रभावित हुई देश की अर्थव्यवस्था को फिर से पटरी पर लाने के लिए केंद्र की मोदी सरकार ने आत्मनिर्भर भारत पैकेज के रूप में 20 लाख करोड़ रुपये के बड़े पैकेज घोषित किया है। सरकार के इस पैकेज का देश के विभिन्न सामाजिक वर्गो, किसानों, श्रमिकों और आर्थिकजगत में छोटे-बड़े कारोबारियों को किस प्रकार से लाभ मिलेगा? इसके लिए सरकार की आर्थिक योजना के रोडमैप को लेकर हरिभूमि संवाददाता की केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर से बातचीत हुई, जिसके अंश इस प्रकार हैं:-                 
सवाल: क्या आपको लगता है कि सरकार को उम्मीद थी कि लॉकडाउन के बाद लोगो को कोई तकलीफ न पड़े, इसलिए सरकार कोई ऐतिहासिक योजनाएं लाई जाएंगी? आत्मनिर्भर भारत पैकेज के अलावा सरकार के पास अन्य कोई योजना तैयार है?

जवाब: देश में इस कोरोना आपदा के समय देशवासियों को राहत पहुँचाने के लिए हमने 20 लाख करोड़ के आर्थिक पैकेज के माध्यम से आत्मनिर्भर भारत के लिए रोडमैप तैयार किया है। आप आगे आने वाले समय में हमारे किए गए उपायों को तेज़ी से फलीभूत होते देखेंगे। प्रभावी सुधारों के लिए बड़े निर्णय लेना मोदी सरकार की पहचान है। आज पूरा विश्व कोरोना महामारी के संकट से जूझ रहा है। ऐसी विकट परिस्थिति में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने साहसिक कदम उठाते हुए 20 लाख करोड़ रुपए के पैकेज का ऐलान किया है, जो विश्व में जीडीपी के लिहाज से पांचवां सबसे बड़ा पैकेज है। अर्थव्यवस्था को वापस लाने के लिए जो रिफॉर्म किये गए हैं, उनमें चाहे नए सेक्टर खोलने के लिए कोयला, खनन या मिनरल की बात हो अथवा बॉक्साइड और कोयला की इक्कठे नीलामी की बात हो। निश्चित रुप से हमारी सरकार के ये कदम आयात को कम करने और हमारी लोकल इंडस्ट्री को बढ़ावा देने का काम करेगा।
सवाल: कोरोना संकट में लॉकडाउन की वजह से प्रभावित देश की अर्थव्यस्था को पटरी पर लाने के मकसद से केंद्र सरकार ने जो 20 लाख करोड़ का पैकेज घोषित किया है, इसके राजस्व नुकसान की भरपाई के लिए क्या कोई ऐसी योजना है जिसमें सरकार कहीं और से कर्ज लेकर देश की अर्थव्यवस्था को सुधारेगी?
जवाब: आप इस 20 लाख करोड़ के राहत पैकेज को बारीकी से देखेंगे, तो आपको पता चलेगा हमारा ज़ोर इन्डिविजुअल्स को इम्पावर करने का है। फिर वो चाहे किसान हों, लघु मध्यम,सूक्ष्म उद्योग हों, स्टार्टअप हों या फिर देश की तरक़्क़ी में योगदान देने की ललक लिए कोई भी नया आइडिया, सरकार का भरोसा सब पर है। जब सरकार लोकल के लिए वोकल होगी, तभी देश ग्लोबल बनेगा। सरकार का प्रयास लोकल स्तर उत्पादन को ज़्यादा से ज़्यादा बढ़ाना व लोगों के अंदर स्थानीय उत्पादों की ख़रीद में रुचि को और अधिक बढ़ाने पर रहेगा। इस वैश्विक मंदी के दौर में जब दुनिया के तमाम देश आर्थिक संकट से बाहर निकलने की जद्दोजहद से जूझ रहे हैं, इस दौर में भी भारत दुनिया की तेज बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में एक है। देश को विश्वास है कि हर कठिन चुनौती का सामना करके उससे बाहर निकलने का सामर्थ रचनात्मक दृष्टिकोण और राष्ट्रवादी सोच रखने वाले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जैसे नेतृत्व में देश की बागडौर है। ऐसे नेतृत्व में देश केवल सुरक्षित ही नहीं रहेगा,बल्कि समृद्धि की दिशा में भी दुनिया से आगे निकलेगा।
सवाल: आज से 90 साल पहले यानि वर्ष 1930 में अमेरिका में बहुत बड़ी मदीं आई थी, जहां बैंक दीवालिया, व्यपार बंद होने के साथ शेयर मार्केटी हालत खस्ता हो गई थी। किसी तरह उस समय की अमेरिकी सरकार ने आर्थिक विशेषज्ञों की मदद से स्थति को संभाला था। मौजूदा वैश्विक कोरोना संकट में भारत जैसे देश में लॉकडाउन की वजह से देश प्रभावित हुई अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए सरकार गारंटी के साथ जो दावा कर रही है, क्या सरकार के पास ऐसी कोई योजना है?
जवाब: देखिए देश और दुनिया के सामने कोरोना महामारी बड़ा संकट है। भारत ने लॉकडाउन का पूरा पालन किया, इसलिए हम सफल हरे हो रहे हैं। अगर दुनिया के उन 15 देशों में सबसे ज़्यादा कोरोना के केस हैं, जिनकी कुल आबादी भारत के बराबर है। मगर उन देशों में मृत्युदर 83 गुना ज्यादा है और पॉज़िटिव केस भी 34 गुना ज़्यादा है। जबकि भारत में मोदी जी के नेतृत्व में 130 करोड़ भारतीयों ने एकजुट होकर कोविड के ख़िलाफ़ लड़ाई लड़ी है, जो अपने आप में दर्शाता है कि भारत ने अच्छा प्रदर्शन किया है, आगे आप देखते जाइए, हमारे द्वारा लिए गए निर्णय त्वरित व दूरगामी परिणाम लाने में सफल होंगे।
सवाल: आपके आर्थिक पैकेज की बात लोगो तक पहुंचाने में पांच दिन लगे, देश की जनता को समझ में आने में न जाने कितने लगे, आप से सवाल है कि सरकार अगर 30 लाख करोड़ का बजट एक दिन पेश कर सकती है तो 20 लाख करोड़ का पैकेज जाहिर करने में इतने दिन क्यों लगे?
जवाब: देश में वैश्विक कोरोना संकट से प्रभावित अर्थवस्था को लेकर हमने विभिन्न क्षेत्रों के प्रतिनिधियों के साथ लम्बी चर्चा के बाद ही यह पैकेज बनाया है। हमने आत्मनिर्भर भारत पैकेज के अंदर सभी सामाजिक वर्गों को लाभ पहुँचाने का प्रयास किया है, इसलिए समाज के आख़िरी व्यक्ति तक हमारी योजनाओं का लाभ पहुँचे, इसके लिए हमने हर दिन सेक्टर के हिसाब से विस्तार से इस पैकेज के बारे में जानकारी दी है।
सवाल: केंद्र सरकार के 20 लाख करोड़ की पैकेज में कहा जा रहा है कि पुरानी योजनाओं को भी शामिल कर लिया गया? जब कि मूल पैकेज महज तीन लाख करोड़ रुपए यानि जीडीपी के मात्र 2 या 3 फीसदी लग रहा है, जरा समझाएंगे ऐसा क्यों?
जवाब: इस पैकेज में हमने सभी देशवासियों का पूरा ध्यान रखा है। मनरेगा के माध्यम से मज़दूरों को रोज़गार देने के लिए ऐतिहासिक एक लाख करोड़ रुपये का आवंटन दिया गया है। पीएम किसान योजना के तहत 18000 करोड़ रुपये पहले ही 9 करोड़ किसानों को ट्रांसफ़र किए जा चुके हैं। 20.5 करोड़ से अधिक जन धन खाता धारकों को 41 हजार करोड़ रुपये मिले हैं। राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम के तहत 2.2 करोड़ लोगों को 2800 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है। हमने उज्ज्वला के तहत 6.9 करोड़ से अधिक लाभार्थियों को 9000 करोड़ रुपये के मुफ्त गैस सिलेंडर उपलब्ध कराया है। पिछले 2 महीनों में 80 करोड़ भारतीयों को प्रति व्यक्ति 5 किलोग्राम अनाज उपलब्ध कराया है। कुल मिलाकर ऐसे संकट के समय मोदी सरकार सभी देशवासियों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी है आगे भी देशहित में जो भी कदम उठाने होंगे उसमें हम ज़रा भी संकोच नहीं करेंगे। दुनिया भर के पैकेज को देखें तो जिस तरह उनकी कैलकुलेशन हुई है वैसे ही भारत की हुई है। जो लोग कल तक कह रहे थे कि जीडीपी का पांच प्रतिशत पैकेज होना चाहिए हमने उसको दस प्रतिशत किया और यदि जरुरत पडेगी तो इसे बढ़ाया भी जाएगा।
सवाल: कोरोना के कारण हुए लॉकडाउन में लाखो लोगो ने रोजगार खोया, खासकर श्रमिकों का जो हाल है या हुआ उसे पूरा देश देख रहा है। सरकार के इस महा पैकेज में से गरीबों व श्रमिकों को क्या मिला? 
जवाब: कोरोना संकट की इस घड़ी में केन्द्र सरकार ने लॉकडाउन लागू करके सारी योजनाओं को किनारे रखते हुए मानव सुरक्षा को प्राथमिकता दी। लॉकडाउन के दौरान देश के 80 करोड़ लोगों के दाल-रोटी की चिंता करते हुए आठ करोड़ प्रवासी मजदूरों के लिए 2 महीने की आनाज की व्यवस्था के लिए 3500 करोड़ रुपये देने का केंद्र सरकार द्वारा अलग से प्रावधान किया गया है। केंद्र सरकार ने राज्यों को 11 हज़ार करोड़ रुपए आपदा राहत में अप्रैल महीने में ही दे दिए थे। सरकार ने इन पैकेज के अलावा रोजगार देने के लिए एक लाख करोड़ रुपये का प्रावधान किया है, ताकि मजदूरों को घर पहुंचने पर उन्हें रोजगार देने की व्यवस्था करने के लिए मनरेगा में 40 हजार करोड़ रुपये का अतिरिक्त प्रावधान साबित करता है कि मोदी सरकार गरीबों व श्रमिकों के भविष्य को लेकर भी चिंतित और गंभीर है।
सवाल: सरकार के 20 लाख करोड़ के पैकेज में आधी बातें तो बजट में ही शामिल थी, तो फिर उन्हें 20लाख करोड़ के पैकेज में क्यों शामिल किया गया?
जवाब: आप अगर ध्यान से देखेंगे तो कई सारे सेक्टर जैसे कोल एन माइनिंग ,स्पेस, रक्षा,इंफ़्रास्ट्रक्चर जैसे कई क्षेत्रों में एक नई शुरुआत इस पैकेज के माध्यम से की गई है। ऐसे कई अन्य सेक्टर है जिन्हें आर्थिक मदद की तत्काल जररुत थी।
सवाल: कई नामी रेटिंग एजेंसी कह रही है के पैकेज जीडीपी और एक प्रतिशत निचे जायेगी, और शेर मार्किटने भी 20 लाख करोड़ के पैकेज में कोई रूचि नहीं दिखाई, संसेक्स लगातार लुढ़का, तो क्या आप को लगता के आप के पॅकेज पर मार्केट को भरोसा नहीं है? सरकार का सच क्या है? सरकार का ये पैकेज क्या लोगो भ्रमित करने वाला है?
जवाब: पहले से तो कोई नहीं जानता था कि कोरोना संकट का देश और दुनिया पर कैसा प्रभाव पड़ेगा, लेकिन जैसे-जैसे समय बीता हमने इस महामारी से लड़ाई लड़ी। दुनिया के 15 देशों में जहां कोरोना वायरस से संक्रमितों की संख्या सबसे ज्यादा है, उनकी आबादी और भारत की आबादी एक बराबर है। किंतु वहां भारत के मुकाबले 83 गुना ज्यादा मृत्यु हुई और 34 गुना ज्यादा मामले सामने आए। इन देशों की तुलना में भारत ने काफ़ी अच्छा किया है। कोरोना वायरस भारत ही नहीं बल्कि समूचे विश्व की अर्थव्यवस्था की नींव को हिलाकर रख दिया है। सब जगह की अर्थव्यवस्था के लिए यह वायरस प्रतिकूल ही रहा है। इसने सभी देशों को नई व्यवस्था के लिए सोचने पर मजबूर कर दिया है। यह बड़ी त्रासदी है, जिससे उबरना सभी देशों के किए आसान नहीं होगा। हम भारतवासी सौभाग्यशाली हैं कि इस कठिन संकट की घड़ी में भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उचित समय पर देश के सामने एक नया विजन-नई प्रतिज्ञा आत्मनिर्भर भारतका संकल्प देश के सामने रखा। इस त्रासदी से निपटने के लिए हमने त्वरित और दूरगामी प्रभाव छोड़ने वाले निर्णय लिए हैं। मौजूदा वित्तीय वर्ष में पहले से स्वीकृत और किसी नई सरकारी योजना के कार्यान्वन पर रोक लगाना भी पहले जीवन और अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाना प्राथमिकता साबित करती है।
08/9June-2020

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