गुरुवार, 23 नवंबर 2017

सुप्रीम कोर्ट व हाई कोर्ट के जजों का बढ़ेगा वेतन

केंद्रीय कैबिनेट ने दी कई फैसलों को मंजूरी
संसदशीत सत्र में पेश होगा संशोधन विधेयक
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट और 24 हाई कोर्ट के जजों के लिए वेतन, ग्रेच्‍यूटी, भत्‍तों और पेंशन में वृद्धि करने वाले प्रस्ताव को मंजूरी दी है, जिसके दायरे में सेवानिवृत्त जज भी शामिल होंगे। सरकार के इस फैसले से सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के 1110 जजो के अलावा करीब ढ़ाई हजार सेवानिवृत्त जजों को भी फायदा होगा।
प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी की अध्‍यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के न्‍यायाधीशों के साथ सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त न्‍यायाधीशों के लिए संशोधित वेतन, ग्रेच्‍यूटी, भत्‍तों और पेंशन की मंजूरी दी। केंद्र सरकार ने यह कदम केन्‍द्रीय कर्मचारियों के लिए गठित सातवें केंद्रीय वेतन आयोग की सिफारिशों के क्रियान्वयन के अनुपालन में उठाया है। कैबिनेट की इस मंजूरी से भारत के मुख्य न्यायाधीश, सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों, उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों और अन्य सभी न्याधीशों के वेतन में इजाफा करने के लिए दो कानूनों क्रमश: सर्वोच्च न्‍यायालय न्‍यायाधीश (वेतन एवं सेवा शर्त) अधिनियम- 1958 और उच्च न्‍यायालय न्‍यायाधीश (वेतन एवं सेवा शर्त) अधिनियम-1954 में आवश्यक संशोधन करने का मार्ग प्रशस्त हो गया है। जजों के वेतन एवं भत्‍तों आदि में बढ़ोतरी से भारत के सर्वोच्च न्‍यायालय के 31 न्‍यायाधीशों (सीजेआई सहित) और उच्च न्‍यायालयों 1079 न्‍यायाधीशों को फायदा मिलेगा। वहीं लगभग 2500 सेवानिवृत्त न्‍यायाधीशों को भी पेंशन व ग्रेच्‍यूटी में संशोधन के कारण इजाफे का फायदा मिलेगा। सरकार की इन कानूनों में संशोधन के प्रस्ताव में संशोधित वेतन, गेच्‍यूटी, पेंशन और परिवार पेंशन में संशोधन एक जनवरी 2016 से लागू होगा और बकाया राशि का एकमुश्त भुगतान किया जाएगा। केंद्र सरकार जजों के वेतन एवं भत्‍तों के संशोधन को लागू करने के लिए संबंधित अधिनियमों में संशोधन हेतु संसद के शीतकालीन सत्र में एक विधेयक पेश करेगी, जिसका कैबिनेट में प्रस्ताव पारित किया गया है। गौरतलब है कि तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश टी.एस. ठाकुर ने 2016 में सरकार को पत्र लिखकर सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के जजों के वेतन में बढ़ोतरी की मांग की थी।
कितना होगा वेतन में इजाफा
केंद्रीय कैबिनेट की मंजूरी के बाद भारत के प्रधान न्यायाधीश का भत्तों के अलावा मासिक वेतन बढ़ाकर 2.8 लाख रुपए हो जाएगा। जबकि अन्य जजों को भी ढाई लाख से ज्यादा का वेतन मिलेगा। वहीं बढ़ने वाली राशि का एरियर भी एकमुश्त मिलेगा। सूत्रों के अनुसार जजों के वेतन एवं भत्तों से सभी कटौतियों के बाद सुप्रीम कोर्ट के एक जज को फिलहाल प्रति माह 1.5 लाख रुपए वेतन मिलता है। जबकि प्रधान न्यायाधीश को इससे थोड़ी ज्यादा वेतन राशि मिलती है। इसी प्रकार हाईकोर्ट के जजों को सुप्रीम कोर्ट के जजों से कम वेतन मिलता है, जिसमें जजों को सेवा के दौरान दी जाने वाली किराया मुक्त आवास की सुविधा शामिल नहीं है।
सीपीएसई कर्मियों के लिए वेतन नीति
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने केंद्रीय लोक उपक्रमों (सेंट्रल पब्लिक सेक्टर एंटरप्राइजेज-सीपीएसई) में कार्यरत श्रमिकों की मजदूरी में संशोधन की आठवें दौर की वार्ता के लिए मजदूरी-नीति बनाने के प्रस्ताव को भी मंजूरी दी है। इस मंजूरी के बाद  सीपीएसई के कर्मचारियों के वेतन में बढ़ोतरी का रास्ता साफ हो गया है, जिसमें 320 केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों के 9.35 लाख कर्मचारियों के वेतन की समीक्षा की जा सकेगी। कैबिनेट की इस नीति को मिली मंजूरी के तहत सीपीएसई का प्रबंधनतंत्र उस स्थिति में कर्मचारियों के वेज रिवीजन पर बातचीत के लिए स्वतंत्र होगा, जहां 5 या 10 साल के वेज सेटलमेंट की अवधि 31 दिसंबर 2016 को खत्म हो चुकी है। इसके प्रस्ताव के तहत इस दौरान अफोर्डिबिलिटी और फाइनेंशियल सस्टेनेबिलिटी को भी ध्यान में रखा जाएगा।
दिवालिया कंपनियों की बढ़ेगी मुश्किलें
 केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने बताया कि केंद्रीय कैबिनेट द्वारा बैंकरप्सी कानून को और सख्त करने के प्रस्ताव की मंजूरी के बाद इसके लिए संसद में लाए जाने वाले अध्यादेश की मंजूरी होते ही दिवालिया कंपनियों के प्रोमोटरों की मुश्किल बढ़ जाएगी। अध्यादेश के प्रावधानों के तहत दिवालिया कंपनी के प्रोमोटर दोबारा कंपनी में हिस्सेदारी नहीं खरीद पाएंगे। सरकार का कहना है कि इस नए कानून से सरकारी बैंकों को फायदा होगा। इस सबंध में केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि कैबिनेट ने इसके साथ ही 15वें वित्त आयोग के गठन को भी मंजूरी दे दी है जो कि अप्रैल 2020 से 2025 तक लागू होगा। 
23Nov-2017
 

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