गुरुवार, 16 नवंबर 2017

ई-वाहनों को सड़कों पर उतारने की योजना तैयार

केंद्र ने फेम इंडिया योजना में राज्यों से मांगे प्रस्ताव
ओ.पी. पाल
. नई दिल्ली।
सुप्रीम कोर्ट और नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की वायु प्रदूषण को नियंत्रण करने के लिए बार-बार दी जा रही नसीहत के मद्देनजर केंद्र सरकार ने 10 लाख से ज्यादा आबादी वाले शहरों में ‘फेम इंडिया योजना’ में तेजी लाने का निर्णय लिया है, जिसके लिए राज्यों से प्रस्ताव मांगे हैं।
केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि देश की परिवहन व्यवस्था में बदलाव करने की कवायद में प्रदूषण की समस्या से निपटने की योजना को प्राथमिकता में शामिल किया गया है। केंद्र सरकार द्वारा देश में इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए दो साल पहले पायलट परियोजना के रूप में शुरू की गई ‘फेम इंडिया योजना’ में तेजी लाने का फैसला किया है। मंत्रालय के एक अधिकारी ने हरिभूमि को जानकारी दी कि वायु प्रदूषण की चुनौती से निपटने के लिए इस योजना के तहत मंत्रालय ने 10 लाख से ज्यादा आबादी वाले शहरों के सार्वजनिक परिवहन में ई-वाहनों की खरीद को प्रोत्साहित करने के लिए अनुदान देने का फैसला किया है, जिसके लिए राज्य सरकारों से प्रस्ताव मांगे हैं। केंद्र सरकार के इस प्रस्ताव में संबन्धित शहरों के सरकारी विभागों और नगर निकायों आदि के जरिए बिजली चालित वाहनों की खरीद पर केंद्रीय अनुदान मुहैया कराने की योजना है। वहीं सरकार फेम इंडिया योजना के तहत पर्यावरण सरंक्षण की दिशा में देश में ई-वाहनों के इस्तेमाल और विनिर्माण को प्रोत्साहन देने की योजना पर काम कर रही है। मंत्रालय के अधिकारी का कहना है कि इस संबंध में भारी उद्योग मंत्रालय ने भी राज्य सरकार के संबन्धित विभागों, उपक्रमों और नगर निकायों इलेक्ट्रिक बस, इलेक्ट्रिक चार पहिया वाहन, यात्री कार और इलेक्ट्रिक तिपहिया वाहन की खरीद के लिए प्रोत्साहन देने के लिए पायलट परियोजना के आधार पर सुझाव मांगे हैं, ताकि सार्वजनिक परिवहन में ई-वाहनों के इस्तेमाल को प्रोत्साहन दिया जा सके।
क्या है फेम योजना
मंत्रालय के अनुसार फेम का तात्पर्य फास्टर एडॉप्शन एंड मेन्यूफेक्चरिंग ऑफ हाइब्रिड एंड इलेक्ट्रिक वाहन है, जिसे में भारी उद्योग मंत्रालय भी देश भर में वायु प्रदूषण खत्म करने के मकसद से केंद्र सरकार ने अप्रैल 2015 में यह स्कीम शुरू की थी। इस योजना के तहत इलेक्ट्रिक दोपहिया की खरीद पर 1800 से 22 हजार और इलेक्ट्रिक कार की खरीद पर 11 हजार से 1.38 लाख तक की छूट दिए जाने का प्रावधान है। पिछले वर्ष 2016 के दौरान इस स्कीम में 795 करोड़ रुपये के फंड में से 190 करोड़ रुपये की ही सब्सिडी भी जारी की जा चुकी है। सरकार की इस योजना को अंजाम तक पहुंचाने के लिए की तैयारी में जहां प्रदूषण की समस्या निपटने में मदद मिलेगी, वहीं पेट्रोल व डीजल के आयात को भी कम किया जा सकेगा।
वैकल्पिक ईंधन का प्रस्ताव
केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने इसरो के वैज्ञानिकों से भी पहले ही करार कर लिया था, जो बसों, स्कूटर व मोटरसाइकिलों को इलेक्ट्रिक प्रणाली के तहत सड़कों पर उतारने में लिथियम बैटरी बना रहा है। इसरो ने लिथियम ऑयन बैटरी बनाकर केंद्र सरकार के प्रदूषण मुक्त भारत के इस अभियान में ई-वाहनों को बढ़ावा देने के लिए भागीदारी करके पायलट परियोजनाओं में मदद की है और सरकार को उम्मीद है कि भविष्य में देश की सड़कों पर ई-वाहन सार्वजनिक परिवहन का हिस्सा बन जाएंगे। इसरों द्वारा निर्मित बैटरी के प्रयोग को ई-वाहनों में अनिवार्य करने का प्रस्ताव है। उपग्रहों के लिए विकसित की गई ऐसी बैटरी के अनुसंधान में पुष्टि की जा चुकी है कि ई-वाहनों में लिथियम बैटरी वायु प्रदूषण को नियंत्रण करने में मददगार साबित होगी।
16Nov-2017

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