बुधवार, 29 नवंबर 2017

राज्यों के मुद्दे सुलझाने की केंद्र सरकार की प्राथमिकता



अंतरराज्यीय परिषद की स्थायी समिति में बोले राजनाथ
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
केंद्र सरकार राज्यों के साथ सुसंगत संबंध बनाने की प्राथमिकता के साथ काम कर रही है। इसी मकसद से मोदी सरकार ने हाल के सालों में सहकारी संघवाद को बढ़ावा देने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। केंद्र व राज्यों के संबन्धों पर पंछी आयोग की सिफारिशों पर भी मंथन किया गया।
यह बात यहां विज्ञान भवन में आयोजित अंतरराज्यीय परिषद की स्थायी समिति की 12वीं बैठक की अध्यक्ष्ता करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कही हैं। राजनाथ सिंह ने कहा कि हाल ही के वर्षों में केंद्र सरकार ने सहकारी संघवाद को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए हैं। सरकार ने 11 साल के अंतराल से ठप पड़ी अंतर्राज्यीय परिषद की स्थायी समिति की बैठक बुलाने की परंपरा को भी फिर से शुरू किया है, ताकि केंद्र व राज्यों के बीच समन्वय कायम रहे। राजनाथ सिंह ने कहा कि अंतर्राज्यीय परिषद की स्थायी समिति का उद्देश्य ही केंद्र व राज्य के संबंधों को सुसंगत बनाने की प्रक्रिया में गति देना है। उन्होंने इस तथ्य पर संतोष व्यक्त किया कि क्षेत्रीय परिषदों की बैठकें नियमित और नियमित हो गई हैं। उन्होंने यह भी कहा कि केंद्र सरकार का प्रयास है कि हर क्षेत्रीय परिषदों की कम से कम एक बैठक सालाना बुलाई जाती रहें और इन बैठकों के दौरान उठाए जाने वाले मुद्दों पर विचार विमर्श के जरिए राज्य-से-राज्य और केंद्र-राज्य के मुद्दों के समाधान करने का संकल्प होना चाहिए। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने वर्ष 2015 में राज्यों से संबन्धित ऐसे 82 मुद्दों का समाधान किया गया है तो वहीं अगले साल यानि 2016 में ऐसे 140 मुद्दे सुलझाए गये। बैठक में केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली, केन्द्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद, न्याय एव आधिकारिता मंत्री थांवरचंद गहलौत के अलावा केन्द्रीय आवास व शहरी विकास राज्य मंत्री हरदीप एस पुरी ने विशेष आमंत्रित के रूप में हिस्सा लिया, जबकि समिति के सदस्य सभी सातों राज्यों के मुख्मंत्रियों ने भी प्रतिनिधितव किया।
पंछी आयोग की सिफारिशों पर मंथन
राजनाथ सिंह के साथ इस बैठक के प्रमुख एजेंडे पंछी आयोग की सिफारिशों पर राज्यों ने कुछ जटिल मुद्दों पर सहमति के लिए सामंजस्यपूर्ण और अनुकूल माहौल में विचार-विमर्श किया। स्थायी समिति की बैठक में आयोग की रिपोर्ट के खंड-3, 4 और 5 में निहित 118 सिफारिशों को समिति ने स्वीकार करते हुए उन्हें अंतिम रूप दिया गया। जबकि पंछी आयोग की रिपोर्ट के खंड एक व दो पर भी मंथन तो हुआ, लेकिन सहमति नहीं बनी। जबकि रिपोर्ट के खंड-6 व सात पर समिति की अगली बैठक में विचार विमर्श करने पर सहमति बनी। राजनाथ ने कहा कि इन सिफारिशों को अगली बैठक में अंतिम रूप दे दिया जाएगा, जिसके बाद समिति अपने निष्कर्ष के साथ आयोग की इन सिफारिशों को प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली अंतर्राज्यीय परिषद के समक्ष भेजेगी। हालांकि उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार की राज्यों आयोग की सिफारिशों को लागू करने की प्राथमिकता है।
इन मुद्दो पर भी हुई चर्चा
परिषद की स्थायी समिति की बैठक में पंछी आयोग की रिपोर्ट के अलावा केंद्र से राज्यों तक वित्तीय स्थानान्तरण से जुड़े मामलों, वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी), संरचनाओं और स्थानीय निकायों के कार्यों के वितरण, जिला योजना, पांचवीं और छठे अनुसूचित क्षेत्र के लिए विशेष प्रावधान, सांप्रदायिक सद्भाव का रखरखाव, केन्द्रीय बलों की तैनाती, प्रवासन मुद्दे, पुलिस सुधार, आपराधिक न्याय प्रणाली और अन्य आंतरिक सुरक्षा मुद्दों पर भी चर्चा की गई।
क्या है पंछी आयोग की रिपोर्ट
भारत के सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) मदन मोहन पंछी की अध्यक्षता में वर्ष 2005 में गठित आयोग ने वर्ष 2010 में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिसमें 7 खंडों में 273 सिफारिशें शामिल हैं। आयोग की सिफारिशों पर विभिन्न राज्यों की गवर्नर्स, अंतर्राज्यीय परिषद, विधायी विधान सभा आदि द्वारा पारित किए गए बिलों का अनुसमर्थन किया गया। केंद्रीय गृहमंत्री की अध्यक्षता वाली इस स्थायी समिति में केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली के अलावा छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी, राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, पंजाब के मुख्यमंत्री अमरेन्द्र सिंह, राजस्थान, ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंन्द्रबाबू नायडू और त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक सरकार इसके सदस्य हैं।
 --------
राज्यों में केंद्रीय राशि समय से मिले, तो होगा विकास: डा. रमन सिंह
अन्तर्राज्यीय परिषद की स्थायी समिति में छग के मुख्यमंत्री ने की मांग
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॅ. रमन सिंह ने कहा कि केन्द्रीय योजनाओं में तय वित्तीय अनुपात के अनुरूप राज्यों को उनके हिस्से की धनराशि समय पर प्राप्त होना चाहिए, तभी सर्व शिक्षा अभियान जैसी योजनाओं में केन्द्र से प्राप्त राशि से राज्यों का विकास हो सकेगा।
शनिवार को यहां नई दिल्ली के विज्ञान भवन में गृहमंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में आयोजित अन्तर्राज्यीय परिषद की स्थायी समिति की बारहवीं बैठक में बोलते हुए छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कहा कि बाह्य वित्त पोषित परियोजनाओं में गरीब राज्यों को ज्यादा से ज्यादा हिस्सा मिलना चाहिए। इससे उनके सर्वागींण विकास में मदद मिलेगी। उन्होंने नीति आयोग की प्रशंसा करते हुए कहा कि पूर्व के योजना आयोग के विपरीत नीति आयोग राज्यों में जाकर राज्य शासन से चर्चा कर मैदानी परिस्थितियों से रूबरू हो रहा है इससे नीति निर्माण का कार्य बेहतर हो सकेगा, जो एक अच्छा प्रयोग है।
उन्होंने सहकारी संघवाद की अवधारणा के अनुरूप राज्यों को सम्मान, सहयोग और सुदृढ़ आर्थिक आधार प्रदान करने के लिए प्रधानमंत्री का धन्यवाद किया। उन्होंने कहा कि चैदहवें वित्त आयोग की अनुशंसा के अनुरूप राज्यों को हिस्सा 32 प्रतिशत से बढ़ाकर 42 प्रतिशत करने का निर्णय हो या जीएसटी, नई खनिज नीति, नीति आयोग, प्रगति जैसी क्रान्तिकारी पहल, इन सबसे केन्द्र-राज्य संबंधों को नया आयाम मिला है। उन्होंने अनुसूचित क्षेत्रों के विकास के लिए केन्द्र द्वारा आर्थिक सहायता देने के लिए धन्यवाद व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि जनधन योजना के तहत बैंको में खाते खोलने और सीधे बैंक ट्रांसफर की जनहितकारी पहल का अच्छा परिणाम निकला है। उन्होंने कहा कि इसे और प्रभावी बनाने के लिए नक्सल प्रभावित अंचलों में बैंक शाखायंे खोली जाना चाहिए। बैठक में केन्द्रीय वित्त मंत्री अरूण जेटली, राजस्थान की मुख्यमंत्री श्रीमती वसुन्धरा राजे सिंधिया, उड़ीसा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक, त्रिपुरा के मुख्यमंत्री मानिक सरकार, केन्द्रीय मंत्रीगण और अन्य राज्यों के मंत्रियों ने पंछी आयोग की सिफारिशों पर विचार विमर्श किया। बैठक में मुख्य सचिव विवेक ढांड, मुख्यमंत्री के सचिव सुबोध कुमार सिंह, आवासीय आयुक्त संजय ओझा और विशेष कत्र्तव्यस्था अधिकारी विक्रम सिसोदिया भी उपस्थित थे।
26Nov-2017

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें