शुक्रवार, 17 नवंबर 2017

जीएसटी: मुनाफाखोरी रोकने को बनेगा प्राधिकरण

केंद्रीय कैबिनेट ने लिए कई महत्वपूर्ण फैसले
राष्ट्रीय स्तर पर प्राधिकरण के गठन को मिली मंजूरी
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
केंद्र सरकार ने करीब दो सौ वस्तुओं की जीएसटी करो में कटौती करने के बाद उपभोक्ताओं के हित में जीएसटी करो की आड़ में मुनाफाखोरी करने वाले व्यापारियों पर शिकंजा कसने के लिए राष्‍ट्रीय मुनाफाखोरी विरोधी प्राधिकरण बनाने का महत्वपूर्ण निर्णय लिया है।
प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी की अध्‍यक्षता में गुरुवार को हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में जीएसटी के अंतर्गत राष्‍ट्रीय मुनाफाखोरी विरोधी प्राधिकरण (एनएए) के अध्‍यक्ष और तकनीकी सदस्‍यों के पदों के सृजन के लिए अपनी मंजूरी दी गई है। केंद्र सरकार का यह फैसला हाल ही में जन उपभोग वाली सैकड़ो वस्‍तुओं की जीएसटी दरों में भारी कटौती करने के तुरंत बाद लिया गया है। सरकार की इस मंजूरी से इस शीर्ष निकाय की तत्‍काल स्‍थापना का मार्ग प्रशस्त होगा, इस प्राधिकरण का मकसद वस्‍तु एवं सेवाओं पर जीएसटी की दरों में कटौती का लाभ अंतिम उपभोक्‍ता तक कीमतों में कटौती के जरिए पहुंचाना है। इस प्राधिकरण में अध्यक्ष के अलावा भारत सरकार के सचिव स्‍तरीय एक वरिष्ठ अधिकारी और केंद्र और राज्‍यों से चार तकनीकी सदस्‍यों को शामिल किया गया है, वहीं केन्‍द्रीय उत्‍पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीईसी) में सेफ गार्डस महानिदेशालय भी इसमें शामिल रहेगा। केंद्र सरकार की इस मंजूरी के तहत संस्थागत ढांचे की व्यवस्था के रूप में बनाए जाने वाले इस प्राधिकरण का मकसद जीएसटी दरों की आड़ में व्यापारियों की मुनाफाखोरी को रोकना है।
राज्य स्तर पर भी बनेगी समिति
केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में इस प्राधिकरण को मंजूरी मिलने की जानकारी देते हुए केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि इस प्राधिकरण के रूप में यह एक स्थायी समिति होगी। इसके साथ इस व्यवस्था के प्रस्ताव के अनुसार सभी राज्यों में छानबीन समितियों के रूप में एक-एक स्थायी  समिति बनाई जाएगी, ताकि आम लोगों की शिकायतों का त्वरित निपटारा किया जा सके। मुनाफाखोरी विरोधी समिति का काम उन कारोबारियों पर शिकंजा कसना होगा, जो मुनाफाखोरी करने की कोशिश करेंगे। यह प्राधिकरण ऐसे कारोबारियों के ही खिलाफ कार्यवाही नहीं करेगी, बल्कि इस दिशा में समय-समय पर दिशा-निर्देश जारी करेगी। हालांकि अभी इस प्रस्ताव में मुनाफाखोरों के खिलाफ सजा के क्या प्रावधान होंगे उसका खुलासा सरकार ने नहीं किया है। प्रसाद का कहना है कि फिलहाल प्राधिकरण का गठन होगा और उसमें निमय व शर्तो के साथ कार्यवाही करने के प्रावधान तय किये जाएंगे।
ऐसे होगी कार्यवाही
केंद्र सरकार के अनुसार ऐसे प्रभावित उपभोक्‍ता जो ऐसा महसूस करते हैं कि वस्‍तुएं या सेवाएं खरीदने पर उन्‍हें जीएसटी की कीमतों में कटौती का लाभ नहीं मिल रहा है तो वे अपने संबंधित राज्य में छानबीन समिति के समक्ष राहत के लिए आवेदन कर सकते हैं। फिर भी मुनाफाखोरी की स्थिति में अखिल भारतीय स्तर पर बृहत जन-उपभोग की वस्‍तु से संबंधित मुनाफाखोरी की स्थिति में आवेदन सीधे स्‍थायी समिति को दिया जा सकता है। प्रथम दृष्‍टया विचार बनाने के पश्‍चात इसमें मुनाफाखोरी का एक घटक है, तो स्‍थायी समिति मामले की विस्‍तृत जांच के लिए सैफ गार्डस महानिदेशालय (सीबीईसी) को भेज सकती है, जोकि अपनी जांच रिपोर्ट एनएए को भेजेगी। यदि प्राधिकरण यह पुष्टि करता है कि मुनाफाखोरी विरोधी उपायों को लागू करने की आवश्‍यकता है तो इसे आपूर्तिकर्ता या संबंधित व्‍यवसाय को उसकी कीमत घटाने या वस्‍तुओं या सेवाओं पर लिए गैर कानूनी लाभ को ब्‍याज सहित उपभेाक्‍ता को लौटाने का आदेश देने का अधिकार होगा। यदि गैर-कानूनी लाभ को उपभोक्‍ता तक नहीं पहुचाया जा सकता तो इसे उपभोक्‍ता कल्‍याण निधि में जमा करने का आदेश दिया जा सकता है।
क्षेत्रीय हवाई संपर्क में होगा सुधार
केन्‍द्रीय मंत्रिमंडल ने नागर विमानन सहयोग के प्रोत्‍साहन के लिए भारत और पोलैंड के बीच एक समझौते पर हस्‍ताक्षर करने के लिए अपनी मंजूरी दी दी है। पांच साल की अवधि के लिए इस करार पर दोनों देशों की सरकारों द्वारा उनकी मंजूरी के पश्‍चात दोनों देश हस्‍ताक्षर करेंगे। इस करार का मकसद भारत में क्षेत्रीय हवाई संपर्क स्‍थापित करने और सुधार करने में विशिष्ट महत्व नागर विमानन के क्षेत्र में सहयोग के आपसी लाभ की पहचान करना है। इसके अलावा दोनों पक्ष पर्यावरण जांच या अनुमोदनों, फ्लाइट सीम्‍युलेटरों मॉनिटरिंग और अनुमोदन, हवाई जहाज अनुरक्षण सुविधा अनुमोदन, कार्मिक अनुरक्षण अनुमोदन और हवाई दल सदस्य और अनुमोदन के आपसी लाभों के अलावा हवाई यातायात की रक्षा और सुरक्षा को बढ़ाने के लिए विमानन विनियमों, क्षेत्रीय हवाई संचालन, उड़ान योग्‍यता जरूरतें और सुरक्षा मानकों से संबंधित मंत्रालयों और संबंधित प्राधिकरणों के बीच सूचना और विशेषज्ञता का आदान-प्रदान करना शामिल है।

रेलवे का प्रस्ताव मंजूर
केंद्रीय कैबिनेट ने वर्ष 2016-17 के लिए रेलों द्वारा सामान्य राजस्व में देय लाभांश की दर और अन्य आनुषं‍गिक मामलों पर रेल अभिसमय समिति-2014 की छठी रिपेार्ट में यथा अंतर्विष्ट सिफारिशों को अपनाने के लिए संकल्प को मंजूरी दी गई है। रेल अभिसमय समिति द्वारा की सिफारिश में रेलवे द्वारा सामान्य राजस्व में देय लाभांश की दर में केवल एकबारगी तौर पर छूट प्रदान करने पर बल दिया गया है। इसके लिए अब रेल मंत्रालय संसद के दोनों सदनों में एक संकल्प पेश करने का प्रस्ताव करेगा। 
17Nov-2017

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