सोमवार, 26 अप्रैल 2021

हरियाणा: कैसे टूटेगा सड़कों पर मौतों का चक्रव्यूह!

--राज्य में सड़क हादसों और जवान मौतों सड़क हादसों के लिए जिम्मेदार कौन?-- --नए कानून के आधार पर सरकार का सड़क हादसों में कमी का दावा-- --सड़क सुरक्षा को दुरुरस्त करने की चुनौती अभी कोसों दूर-- ओ.पी. पाल, रोहतक देश में सड़क हादसों और बेहताशा असामयिक मौतों पर अंकुश लगाने के प्रयास में राष्ट्रीय स्तर पर बड़े हाईटेक उपाय किये जा रहे हैं, जिनमें सख्त प्रावधान वाले नया मोटर कानून लागू करने के साथ सुरक्षित सड़कों का डिजायन तैयार कर परिवहन व्यवस्था तथा यातायात विभागों को तकनीक से लैस करने जैसी योजनाएं भी शामिल हैं। इसके बावजूद सड़क हादसों और उनमें होने वाली मौतों के आंकड़े अपेक्षाकृत कम होने का नाम नहीं ले रहे हैं। देश में लगातार सड़कों पर बढ़ते मौतों के इस तांडव को लेकर सवाल उठते हैं कि इनके लिए जिम्मेदार कौन है? खराब सड़के, यातायाता नियमों में खामियां, पुलिस और परिवहन विभाग या सड़क निर्माण में तकनीकी अभाव अथवा वाहन चालकों में कौशल विकास जैसी खामियां भी कोई संतोषजनक जवाब नहीं हो सकता। मसलन कोई भी जिम्मेदारी अपने सिर नहीं लेता। सरकार संशोधित नए मोटर वाहन कानून के सख्त प्रावधान और यातायात नियमों को लागू करके उनका सख्ती से पालन करना चाहती है, तो शायद वाहन चलाने वालों पर इसका कोई असर हो रहा हो ऐसा भी नहीं लगता? ऐसे हालातों में सड़क हादसों की जो बार बार तस्वीर सामने आ रही है उसमें 70 से 75 फीसदी सड़क हादसों में सर्वाधिक मौते तेज गति या ओवर स्पीड़ से वाहन चलाने यानि चालकों की लापरवाही के रूप में बड़ा कारण बनता दिख रहा है, जो सड़क सुरक्षा के लिए किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है। ----------------------------------------- हरियाणा में भयावह है सड़क हादसों की तस्वीर हरियाणा राज्य में नया मोटर कानून लागू होने के बाद लगातार सड़क हादसों और उनमें होने वाली मौतों में कमी के दावे तो किये जा रहे हैं, लेकिन बीते वर्ष 2020 के मुकाबले 2019 के आंकड़े बेहद दर्दनाक और दहलाने वाले हैं, जहां 10,944 सड़क हादसों में 7224 यानि 71 फीसदी से ज्यादा हादसे तेज गति यानि ओवर स्पीड़ से वाहन चलाने के कारण हुए और कुल 5057 मौतों में से सर्वाधिक 3640 यानि 72 फीसदी से ज्यादा मौतें सामने आई हैं। इससे भी ज्यादा दर्दनाक आंकड़े झकझौर करने वाले हैं, जिनमें मौत का काल बनने वाले 55 फीसदी से भी ज्यादा 18 से 45 साल तक के आयुवर्ग यानि युवा वर्ग के लाल हैं। हालांकि यदि अलग-अलग राहगीरों के हिसाब से देखा जाए तो सबसे ज्यादा 1673 पैदल चलने वाले सड़क हादसों में मौत के मुंह में समाए हैं, जिनका किसी वाहन चलाने से दूर तक ताल्लुक नहीं है। ------------------------------ 2020 में 13.82 फीसदी कमी का दावा हरियाणा में सड़क हादसों और उनमें हो रही असामयिक मौतों में कमी का दावा करने के लिए राज्य पुलिस ने वर्ष 2020 के दौरान आई कमी का हवाला दिया, जिसमें 9431 सड़क हादसे पिछले साल 2019 के 10944 हादसों की तुलना में 13.82 प्रतिशत कम हैं। 2019 के सड़क हादसों में हुई 5057 लोगों की मौतों की तुलना में वर्ष 2020 में 4507 का आंकड़ा 10.87 प्रतिशत गिरावट बता रहा है। इसी प्रकार 2019 की तुलना में 2020 के दौरान घायलों की संख्या में भी 18.19 प्रतिशत कमी का दावा किया गया है। जबकि 2019 के हादसो में 2899 गंभीर समेत 9362 लोग घायल हुए थे। हरियाणा पुलिस प्रशासन इस गिरावट को भले ही राज्य में बेहतर यातायात प्रबंधन, सुरक्षा मानकों में विस्तार, यातायात नियमों का बेहतर प्रवर्तन जैसे सड़क एवं यातायात सुरक्षा व्यवस्था बता रहे हों, लेकिन विशेषज्ञों की माने तो कोरोना महामारी में लॉकडाउन और विभिन्न गतिविधियों के साथ अवाजाही पर के प्रतिबंध भी वजह से साल 2020 में यह कमी आना तय था। इस प्रकार देखा जाए तो पिछले छह साल में सड़क हादसों व मौतों में कमी आई है। इनसे पहले वर्ष 2018 में हुए 11,238 हादसों के मुकाबले यह संख्या 294 यानि 2.6 फीसदी गिरावट दर्ज कराती है। जबकि 2019 में 5057 मौतें 2018 के मुकाबले 61 यानि 1.2 फीसदी की कमी दर्ज कर रही है। -------------------------------- हरियाणा में युवा लालों की ज्याद गई जान हरियाणा राज्य में वर्ष 2019 में सड़क हादसों और उनके कारण हुई मौतों में कमी तो दर्ज की गई है, लेकिन आंकड़े झकझौर करने वाले इसलिए भी हैं कि इन हादसों में मौत का ग्रास बने 55 फीसदी से भी ज्यादा 18 से 45 साल तक की आयु वर्ग यानि युवा वर्ग के लाल हैं। वर्ष 2019 के दौरान हरियाणा की सड़कों पर हुए 10,944 सड़क हादसों में 579 महिलाओं और 4478 पुरुषों समेत 5057 लोगों को असामियक जान गंवानी पड़ी और 6463 लोग घायल हुए, जिनमें 2899 गंभीर चोटों की वजह से शारीरिक रूप से विकलांगता की जिंदगी के सफर पर हैं। हालांकि राज्य मे पिछले एक साल वर्ष 2018 में 474 के मुकाबले वर्ष 2019 में शराब पीकर गाड़ी चलाने वाले 299 हादसों के सथ कमी देखी गई। -------------------------------- सबसे ज्यादा पैदल चलने वालों की मौत हरियाणा में वर्ष 2019 के दौरान अकेले 3131 सड़क हादसों में 185 महिलाओं समेत सर्वाधिक 1673 ऐसे लोगों जान से हाथ धो चुके, जिनका किसी वाहन के इस्तेमाल से दूर तक का वास्ता नहीं यानि ऐसे ये लोग पैदल राहगीर हैं। ऐसे पैदल मारे गये लोगों में भी 734 युवा वर्ग यानि 18-45 साल वालों की संख्या ज्यादा रही। 466 लोग तो इतने घातक तरीके से मारे गये, जिनकी आयु का भी अंदाजा नहीं लगाया जा सका। यही नहीं पैदल चलते हुए 1432 से 739 लोग अपाहिज की जिंदगी जीने को मजबूर हैं। इसी प्रकार राज्य में 103 साइकिल सवार के अलावा बिना मोटर चालित वाहन चालक या उसमें सवार 105 लोगों की भी मौत के मुहं में समा गये। राज्य अन्य तरीकों से हुई दुर्घटनाओं में भी 419 लोगों की गई है। ---------------------------- दो पहिया वाहनों के ज्यादा हादसे राज्य में हालांकि सर्वाधिक 3322 मोटर साइकिल जैसे दुपहिया वाहनों के सड़क हादसे सामने आए। इसमें चालकों समेत 1614 मौतों में 1261 यानि 75 फीसदी से भी ज्यादा युवा वर्ग शामिल रहा। हरियाणा में कार, जीप या टैक्सी हादसों में 589, ट्रक या लॉरी में 320 लोगों, बस दुर्घटनाओं में 135 लोगों की जाने गई। जबकि ऑटो रिक्शा के हादसों 242 दुर्घटनाओं में 99 मौते सामने आई हैं। -------------------------------- ग्रामीण इलाकों में ज्यादा दर्दनाक मामले हरियाणा में 2019 के दौरान सड़क हादसों में से शहरी क्षेत्र में 3711 हादसे हुए, जिनमें 1662 मौतें और 3389 घायल हुए। जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में 7233 हादसों में 3425 लोगों की असामयिक मौत और 5973 घायल हुए। -------------------------------- यातायात नियमों का उल्लंघन भी खूब राज्य में यातायात नियमों को दरकिनार कर सुरक्षा के बिना वाहन चलाने के कारण भी में 2019 के दौरान 268 चालकों और 210 सवारियों की मौत हुई। बिना हैलमेट के दुपहिया वाहन चलाने वाले 371 चालक और उनके साथ बैठी 183 सवारियां काल का ग्रास बनी। इसी प्रकार रेड लाइट जंपिंग करने के कारण हुए हादसों में 142, वाहन चलाते समय मोबाइल का इस्तेमाल के कारण 243 और अन्य यातायात नियमों को नजरंदाज करने की कीमत 482 मौत का शिकार बने। इसके अलावा राज्य में ओवर स्पीड़ से वाहन चलाने के कारण सर्वाधिक 7224 हादसों में 3640 मौतें हुई। जबकि 5949 लोग घायल हुए, जिनमें 1604 गंभीर चोटों के कारण अपाहिज जीवन जीने को मजबूर हैं। राज्य में शराब पीकर या नशे में 299 हादसों में 132 मौत तथा गलत साइड से वाहन चलाने के कारण हुए 959 हादसों में 418 लोगों की मौत हुई है। ---------------------------- 13वें पायदान पर हरियाणा टॉप 15 राज्यों में देश में कुल 2019-1,51,113 मौतों में 1,34,109 यानि 88.6 प्रतिशत मौतें जिन टॉप 15 राज्यों में हुई, उनमें 5,057 मौतों यानि 3.3 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ 13वें पायदान पर रहा। ---------------------- देश के नक्शे पर फरीदाबाद हरियाणा राज्य का फरीदाबाद जिला ऐसा है, जो सड़क हादसों के मामलों में देश के उन राज्यों में शामिल है, जो हरियाणा में सर्वाधिक सड़क हादसों के रूप में सामने रहा है। मसलन फरीदाबाद में जहां 2018 में 702 हादसों में 254 मौत और 649 घायल हुए थे, तो वहीं वर्ष 2019 में हरियाणा में यह जिला हरियाणा में सर्वाधिक 689 हादसों के लिए सामने आया। हालांकि हादसों में कमी आई, लेकिन पिछले साल की तुलना में इस साल दस ज्यादा यानि 264 मौत होने की पुष्टि की गई है। ----------------- 'अकेली सरकार दोषी नहीं' सड़क सुरक्षा के लिए कार्य करने वाली संस्था कंज्यूमर वॉयस के सीईओ अशीम सान्याल का कहना है कि देश में सड़क दुर्घटनाओं के लिए सरकार और खराब सड़कों को देाष देना तो आसान है, लेकिन लोग इस मामले में अपनी जिम्मेदारी से साफ बच निकलते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार भारत में बढ़ती सड़क दुर्घटनाओं के प्रमुख कारणों में शहरीकरण की तीव्र दर, सुरक्षा के पर्याप्त उपायों का अभाव, यातायात नियमों का सख्ती से पालन न होना, नशीली दवाओं एवं शराब का सेवन कर वाहन चलाना, तेज गति से वाहन चलाते समय हेलट और सीट-बेल्ट न पहनकर सुरक्षा को खतरे में डालना प्रमुख कारण है। सरकार के स्तर पर हर साल की तरह पिछले महीने ही सप्ताह की जगह पहली बार सड़क सुरक्षा माह के दौरान स्कूल से लेकर गोष्ठियों तक यातायात नियमों और सड़क सुरक्षा के प्रति जागरूक किया गया, लेकिन वही ढाक के तीन पात वाली कहावत नजर आ रही है। ----------------------------------------- राज्यों की पुलिस व परिवहन विभाग होंगे हाईटेक केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के एक अधिकारी के मुताबिक मंत्रालय राज्यों की पुलिस व परिवहन अधिकारियों को हाईटेक बनाने के लिए उनके वाहनों के डैशबोर्ड पर सीसीटीवी कैमरे, हाईवे-जंक्शन पर स्पीड कैमरे आदि डिजिटल उपकरणों को लगाने की योजना तैयार कर रहा है। इसके लिए मंत्रालय ने हाल ही में 25 फरवरी को सड़क सुरक्षा, प्रबंधन की निगरानी व प्रवर्तन संबंधी मसौदा नियम हितधारों से सुझाव-आपत्ति भी आमंत्रित किये हैं। इस निगरानी व प्रवर्तन व्यवस्था का मकसद ट्रैफिक नियमों को तोड़ने की घटना की वीडियो-ऑडियो रिकॉर्डिंग करना है। इससे जहां वाहन चालक नियमों का उल्लघंन करने वाले इनकार नहीं कर सकेंगे, तो वहीं यातायात पुलिस अनावश्यक वाहन चालक को पेरशान नहीं कर पाएंगे। 15Mar-2021

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