पाक
समेत 71 देशों के नागरिकों के आवेदन विचाराधीन
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
भारत
में कारोबार या अन्य किन्ही कारणों से आए 71 देशों के 4044 ऐसे नागरिकों को भारत
की नागरिकता मिलने का इंतजार है, जिनके आवेदन अभी केंद्र और राज्यों की सरकारों के
पास विचाराधीन हैं। इनमें सबसे ज्यादा 2508 पाक के हिंदू नागरिक हैं, जो पाकिस्तान
के आतंकवाद और अल्पसंख्यक अत्याचार के कारण भारत में बसने के इरादे से यहां
विभिन्न राज्यों में शरणार्थियों के रूप में रह रहे हैं।
केंद्रीय
गृह मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार विभिन्न देशों से भारत आए हुए विदेशी नागरिकों
के भारतीय नागरिकता हासिल करने के लिए 4044 आवदेशनों पर विभिन्न स्तरों पर
कार्यवाही चल रही है, जिनमें 1085 केंद्रीय गृह मंत्रालय में विचाराधीन हैं जबकि
2959 आवेदनों पर विभिन्न राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा कार्यवाही
की जा रही है। गृहमंत्रालय के अनुसार खासकर पाकिस्तान से से भारत आए हजारों हिंदू
शरणार्थियों को कानून में बदलाव करके उन्हें मूलभूत सहूलितें देने की व्यवस्था की
गई है। सरकार ने पिछले साल भी पाक से भारत आए 114 पाकिस्तानियों को भारतीय नागरिता
प्रदान की थी और इसी प्रकार विभिन्न राज्य सरकारें भी नागरिकता के लिए लंबित
आवेदनों का नियमानुसार अध्ययन करके नागरिकता देने की प्रक्रिया को अंजाम दे रही
है। इसके बावजूद फिलहाल भारतीय नागरिकता के लिए 4044 आवेदन विचाराधीन है।
प्रमुख देशों के मामले
मंत्रालय
के अनुसार भारतीय नागरिकता हासिल करने के लिए पाकिस्तान के लंबित 2508 आवदेनों में
565 गृहमंत्रालय और 1943 विभिन्न राज्यों में लंबित हैं। इसके अलावा 687
अफगानिस्तान के नागरिको के आवेदन लंबित हैं, जिनमें 97 गृह मंत्रालय और बाकी 590 विभिन्न
राज्यों में विचाराधीन हैं। नागरिकता हासिल करने का इंतजार करने वालों में
बांग्लादेश के 84, श्रीलंका के 71, नेपाल के 48, ईरान के 34, केन्या के 31 के
अलावा ब्रिटेन के 42, अमेरिका के 101, कनाडा के 22, सिंगापुर के 27, आस्ट्रेलिया व
मलेशिया के13-13, थाईलैंड के 11 नागरिकों को कार्यवाही होने का इंतजार है। इसके
अलावा 195 ऐसे विदेशी लोगों ने नागिरकता के लिए आवेदश किया हुआ है, जो स्टेटलैस
हैं।
पडोसी देशों के लोगों को राहत
गृहमंत्रालय
के अनुसार दिसंबर 2016 में केंद्र
सरकार ने भारतीय नागरिकता के लिए पंजीकरण कराने वाले शुल्क में कमी करके तीन पडोसी
देशों पाकिस्तान, अफगानिस्तान व बांग्लादेश में रहने वाले हिन्दुओं और अन्य अल्पसंख्यक
समुदायों के लोगों को बड़ी राहत दी थी। मसलन गृह मंत्रालय ने एक अधिसूचना के तहत
इस पंजीयन शुल्क में 15 हजार रुपये के बजाए मात्र 100 रुपये तय किया था। यह राहत
केवल इन तीन देशों के भारत में लंबी अवधि के वीजा पर रहने वाले हिन्दू, सिख, बुद्ध,
जैन, पारसी और ईसाई समुदायों को ही दी गई है।
09Sep-2018
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