सोमवार, 24 सितंबर 2018

यौन अपराधियों का ऑनलाइन राष्ट्रीय डाटाबेस तैयार



महिला सुरक्षा की दिशा में राजनाथ ने लांच किये दो पोर्टल
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
देश में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर गंभीर केंद्र सरकार ने अन्य देशों की तर्ज पर यौन अपराधियों का राष्ट्रीय स्तर पर ऑनलाइन डाटाबेस तैयार किया है, जिसके लिए तीन श्रेणियों में अपराधियों को विभाजित किया गया है। महिलाओं और बच्चों के यौन शोषण के खिलाफ ऐसा डाटाबेस तैयार करके भारत उन देशों की श्रेणी में शामिल हो गया है, जहां ऐसे अपराधों पर अंकुश लगाने के लिए इस प्रकार की व्यवस्था लागू है।  
केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को यहां नई दिल्ली में महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा को मजबूत करने की दिशा में देश में पहली बार तैयार किये गये यौन अपराधियों के राष्ट्रीय डेटाबेस 'नेशनल डाटाबेस ऑफ सेक्सुअल ऑफेंडर्स' (एनडीएसओ) का अनावरण किया, जो केवल कानून प्रवर्तन एजेंसियों के लिए सुलभ है, यौन अपराधों के मामलों को प्रभावी ढंग से ट्रैक करने और जांचने में सहायता करेगा। । भारत ऐसा करने वाला दुनिया का नौवां देश बन गया है, जहां ऐसी व्यवस्था लागू होती है। इसके अलावा गृहमंत्री ने पोर्टल cybercrime.gov.in’ को भी लांच किया। इस पोर्टल को बाल अश्लीलता, बाल यौन दुर्व्यवहार सामग्री, यौन रूप से स्पष्ट सामग्री जैसे बलात्कार और गिरोह बलात्कार से संबंधित आपत्तिजनक ऑनलाइन सामग्री पर नागरिकों से शिकायतें प्राप्त होंगी। वहीं महिलाओं और बच्चों के खिलाफ साइबर अपराध निवारण (सीसीपीडब्ल्यूसी) पोर्टल सुविधाजनक और उपयोगकर्ता के अनुकूल है जो शिकायतकर्ताओं को उनकी पहचान का खुलासा किए बिना रिपोर्टिंग मामलों में सक्षम बनाएगा। इसके अलावा नागरिक समाज संगठनों और जिम्मेदार नागरिकों को बाल अश्लीलता, बाल यौन दुर्व्यवहार सामग्री या यौन रूप से स्पष्ट सामग्री जैसे बलात्कार और गिरोह बलात्कार से संबंधित शिकायतों की रिपोर्ट करने में भी मदद करेगा।
डाटाबेस की क्या होगी व्यवस्था
गृहमंत्रालय के अनुसार वर्तमान में तैयार डेटाबेस में 4.4 लाख प्रविष्टियां हैं। राज्य पुलिस से अनुरोध किया गया है कि 2005 से नियमित रूप से डेटाबेस अपडेट करें। डेटाबेस में प्रत्येक प्रविष्टि के लिए नाम, पता, फोटो और फिंगरप्रिंट विवरण शामिल हैं। हालांकि, डेटाबेस किसी भी व्यक्ति की गोपनीयता से समझौता नहीं करेगा। इस राष्ट्रीय डाटाबेस में ऐसे अपराधियों का फोटो, पता, डीएनए, आधार कार्ड, फिंगर प्रिंट और पैन कार्ड से जुड़ी जानकारी फीड की जाएगी। यह रिकॉर्ड देश भर की जेलों से जुटाया गया है। गृह मंत्रालय के अंतर्गत नेशनल क्राइम रिकार्ड्स ब्यूरो (एनसीआरबी) इस डाटाबेस को तैयार कर रहा है। एनसीआरबी ही यह डाटा विभिन्न जांच एजेंसियों को मुहैया कराएगा। मंत्रालय के अनुसार इस डाटाबेस में अपराधियों को तीन श्रेणियों में विभाजित किया गया है, जिसमें एक श्रेणी में ऐसे अपराधियों के आंकड़े होंगे जिन्होंने पहली बार इस प्रकार का अपराध किया है, इसमें इस डाटा को 15 साल तक रखा जाएगा। जबकि दूसरी श्रेणी में शामिल अपराधियों का डाटा 25 साल तक संरक्षित होगा और तीसरी श्रेणी में बार-बार ऐसा अपराध करने वालों के डाटा को आजीवन रखा जाएगा।
चुनौतियों से निपटे राज्य: राजनाथ
इस मौके पर एक वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए राज्यों के अधिकारियों को संबोधित करते हुए राजनाथ ने कहा कि लॉन्च किए गए दोनों पोर्टल महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा की दिशा में सरकार द्वारा उठाए जा रहे ठोस कदम और प्रयासों का हिस्सा हैं। उन्होंने कहा कि पीड़ितों को तेजी से न्याय सुनिश्चित करने के लिए जमीन स्तर पर पुलिस स्तर पर चुनौतियों को पार करना होगा। उन्होंने उनसे दो पोर्टलों की पूरी तरह से उपयोग करने और डेटाबेस को नियमित रूप से अधिक प्रभावशीलता के लिए अद्यतन करने का आग्रह किया। राजनाथ सिंह ने महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों की जांच के लिए कुछ राज्यों द्वारा पेश किए गए उपायों की सराहना की और उनसे दूसरों द्वारा गोद लेने के लिए सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने का आग्रह किया। गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि सरकार ने महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध की जांच करने के अलावा अपराधियों के खिलाफ कठोर दंड के प्रावधान और जांच में सुधार के लिए आधुनिक फोरेंसिक सुविधाओं का भी विस्तार किया है।
21Sep-2018

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