आरपीएफ ने रखा तीन साल जेल की सजा का प्रस्ताव
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
रेलवे
बोर्ड जल्द ही देश में ट्रेनों में बढ़ते आपराधिक गतिविधियों पर लगाम कसने की दिशा
में रेलवे रेलवे अधिनियम में संशोधन करेगा, जिसमें यदि रेलवे सुरक्षा बल द्वारा
दिये गये प्रस्तावों को स्वीकार कर लिया जाता है, ट्रेनों में महिलाओं के साथ
छेड़छाड़ करने वाले दोषियों को तीन साल जेल की सजा हो सकती है। इसी प्रकार अन्य
अपराधिक गतिविधियों में सख्त प्रावधानों के अलावा आरपीएफ की शक्तियों में भी इजाफा
हो सकता है।
रेलवे सुरक्षा बल के सूत्रों के अनुसार ट्रेनों
में बढ़ते अपराधों को नियंत्रित करने की दिशा में भारतीय दंड़ संहिता (आईपीसी) के तहत
दी जाने वाली सजा, जुर्माना या अन्य दंड नाकाफी है। शायद इसी कारण रेलवे सुरक्षा
बल के डीआईजी धर्मेन्द्र कुमार ने रेलवे बोर्ड द्वारा रेलवे अधिनियम में किये जाने
वाले संशोधन में कई ऐसे प्रस्ताव भेजे हैं, जिनके लागू होने के बाद जहां आरपीएफ की
शक्तियां बढ़ जाएंगी और ट्रेनों में आपराधिक गतिविधियों पर अंकुश लगाया जा सकेगा।
आरपीएफ के उत्तरी क्षेत्र के आयुक्त संजय किशोर ने हरिभूमि को बताया कि रेलवे
अधिनियम में संशोधन रेलवे बोर्ड करता है और रेल सुरक्षा व संरक्षा के अलावा
यात्रियों की सुरक्षा को मजबूत बनाने की दिशा में डीआईजी की ओर से अपराधियों के
खिलाफ सख्त प्रावधान करने के प्रस्ताव दिये गये हैं। इन प्रस्तावों में सबसे
महत्वपूर्ण प्रस्ताव ट्रेनों में महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराधों से निपटने के लिए
है, जिसके लिए आरपीएफ ने ट्रेनों में महिला के साथ छेड़छाड़ करने वाले दोषी को तीन
साल की सजा का प्रस्ताव रेलवे बोर्ड को भेजा गया है। अभी तक आईपीसी के तहत इन
मामलों में अधिकतम सजा एक साल है। आरपीएफ के एक अधिकारी का कहना है कि यदि आरपीएफ
के प्रस्तावों को रेलवे अधिनियम के संशोधित प्रावधानों में शामिल किया जाता है तो
ट्रेन में महिलाओं के साथ छेड़छाड़ करने वाले को तीन साल की सजा मिल सकती है और
महिला आरक्षित कोच में सफर करने वाले को दो गुना जुर्माना अदा करना पड़ सकता है,
जो फिलहाल 500 रुपये तक है। वहीं रेलवे बोर्ड को रेलवे अधिनियम संशोधन में नए
प्रावधानों की मांग करते हुए आरपीएफ ने ई-टिकट में धोखाधड़ी करने वाले दोषियों के
लिए भी तीन साल की जेल का प्रावधान करने और अधिकतम जुर्माना लागू करने का प्रस्ताव
दिया है। रेलवे से जुड़े ऐसे आपराधिक मामलों को आरपीएफ और सतर्कता विभाग को निपटान
करने का अधिकार लागू करने की भी मांग की गई है। यदि आरपीएफ के प्रस्ताव स्वीकार कर
लिये जाते हैं तो ट्रेनों में महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराधों के मद्देनजर आरपीएफ
को राजकीय रेलवे पुलिस (जीआरपी) की मदद की आवश्यकता भी नहीं पड़ेगी।
24Sep-2018
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