रविवार, 3 जून 2018

अब शुरू हुई राज्यसभा के उपसभापति का चुनाव की सियासत



भाजपा को चुनौती देने की तैयारी में विपक्ष!
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली
राज्यसभा में रिक्त होने वाले उपसभापति के चुनाव को लेकर सियासत तेज हो गई है, जिसमें भाजपा के प्रत्याशी को चुनौती देकर विपक्षी दल एकजुटता के साथ अपने खेमे का उपाध्यक्ष बनाने की तैयारी में है। इसके लिए कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्षी की लामबंदी शुरू हो गई है।
भाजपा से कर्नाटक और फिर यूपी की कैराना संसदीय व नूरपुर विधानसभा सीट छीनने के बाद विपक्ष की नजर अब संसद के मानसून सत्र के दौरान होने वाले राज्यसभा के उपसभापति के चुनाव पर है, जहां विपक्ष एकजुटता के साथ भाजपा प्रत्याशी को चुनौती देकर इस पद पर कब्जा करने की तैयारी में है। अभी तक राज्यसभा में ज्यादातर उपाध्यक्ष की नियुक्ति सदन की सर्वसम्मिति से होती रही है, लेकिन राजनीति के बदलते माहौल में विपक्ष की एकजुटता भाजपा को हर मोर्चे पर रोकने की सियासी रणनीति को मजबूत कर रहा है। जबकि भाजपा राज्यसभा में अपने सदस्य को उपसभापति बनाना चाहती है। उपसभापति के लिए विपक्षी की रणनीति को लेकर भाजपा के एक वरिष्ठ नेता एवं केंद्रीय मंत्री का कहना है कि राज्यसभा में उनकी पार्टी अपना प्रत्याशी खड़ा करेगी, जिसके लिए भाजपा का प्रयास होगा कि उच्च सदन में सर्वसम्मिति से उपाध्यक्ष का चुनाव कराया जाए।  भाजपा नेता का कहना है कि इसके लिए प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस या अन्य दलों का सहयोग मांगने में भी भाजपा पीछे नहीं रहेगी। गौरतलब है कि राज्यसभा उपाध्यक्ष प्रो. पीजे कुरियन का कार्यकाल एक जुलाई को समाप्त हो रहा है, जिनके स्थान पर नए उपाध्यक्ष का चुनाव होना है। यदि गैर कांग्रेसी उपाध्यक्ष चुना जाता है तो इस पद पर चार दशक बाद कांग्रेस का तिस्लिम टूटेगा, जिसके लिए कांग्रेस विपक्ष की एकजुट करने की रणनीति का तानाबाना बुनने में लगी है। 
क्या विपक्ष की रणनीति
सूत्रों के अनुसार राज्यसभा में भाजपानीत राजद को मात देने के लिए कांग्रेस इस पद के लिए अपना दावा छोड़ते हुए कई मुद्दों पर भाजपा को समर्थन देती रही बीजद में सेंध लगाना शुरू कर दिया है। राज्यसभा में बीजद के नेता प्रसन्ना आचार्य या फिर तृणमूल कांग्रेस के सुखेन्दु शेखर को उपसभापति पद के लिए उम्मीदवार बनाने पर चर्चा की जा रही है, जिन्हें कांग्रेस व अन्य दल समर्थन देंगे। यदि इनकी उम्मीदवारी पर बात नहीं बनी तो फिर विपक्षी एकजुटता के समर्थन से कांग्रेस राज्यसभा में उपसभापति पद के लिए अपनी उम्मीदवारी पेश कर सकती है। इसी मकसद से कांग्रेस ने बीजू जनता दल से हाथ मिलाने की कवायद तेज कर दी है। हालांकि बीजद के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि उनका दल गैर कांग्रेसी उम्मीदवार का समर्थन करेगी।
अल्पमत में है राजग
दरअसल राज्यसभा में उपसभापति पद पर यदि चुनाव की नौबत आई तो भाजपा के नेतृत्व वाली राजग सरकार के पास बहुमत के लिए 122 सांसदों का आंकड़ा नहीं है, जिसके पास केवल 105 सांसद है। राजग को बहुमत के लिए केवल सात सदस्यों की जरूरत है, जिसके लिए भाजपा निर्दलीय व अन्य छोटे दलों के सांसदों के साथ संपर्क साध रही है। वहीं इस पद पर भाजपा को रोकने के लिए कांग्रेस कर्नाटक चुनाव और उप चुनाव की तर्ज पर विपक्षी एकजुटता की दुहाई दे रही है, इसके लिए कांग्रेस अपना दावा छोड़ने को तैयार है और वह बीजद या टीएमसी उम्मीदवार को समर्थन देने को तैयार है।
क्या है सियासी गणित
संसद की 250 सदस्यीय राज्यसभा में फिलहाल 241 सदस्य हैं, जिसमें 69 सदस्यों के साथ भाजपा सबसे बड़ा दल है। जबकि कांग्रेस के 51 सदस्य हैं। उच्च सदन में सपा, अन्नाद्रमुक व तृणमूल कांग्रेस के 13-13 सांसद हैं। इसके अलावा बीजद के नौ, जदयू, तेदेपा व टीआरएस के 6-6 के अलावा निर्दलीय व अन्य छह, सीपीएम, राजद व मनोनीत सदस्यों की संख्या 6-6 है। जबकि बसपा, द्रमुक व राकांपा के 4-4, शिवसेना, शिरोमणि अकाली दल व आप के 3-3, पीडीपी व वाईएस कांग्रेस के 2-2 तथा बाकी नौ दलों के राज्यसभा में एक-एक सदस्य है।
ऐसे होता है उप सभापति का चुनाव
भारत का उपराष्ट्रपति राज्यसभा का पदेन सभापति होता है। राज्यसभा के सदस्य अपने में से किसी एक को उपसभापति नियुक्त करते हैं, जिका कार्यकाल 5 साल का है। उपसभापति इस अवधि के पूर्व भी त्यागपत्र देकर अलग हो सकता है अथवा राज्यसभा प्रस्ताव पास कर उपसभापति को पदच्युत कर सकती है, परन्तु ऐसे प्रस्ताव पर लोकसभा की स्वीकृति भी आवश्यक है। ऐसे प्रस्ताव की सूचना उपसभापति को 14 दिन पूर्व देने का नियम है।
03June-2018

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