शुक्रवार, 1 जून 2018

छग समेत पांच राज्यों को ट्रिब्यूनल का नोटिस

महानदी जल विवाद पर सक्रिया हुआ न्यायाधिकरण
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।  
केंद्र सरकार ने द्वारा महानदी जल विवाद पर गठित ट्रिब्यूनल ने छत्तीसगढ़ और ओडिशा के बीच महानदी के जल बंटवारें को लेकर चले आ रहे विवाद के निपटारे हेतु गठत न्यायाधिकरण सक्रिय हो गया है। महानदी जल विवाद पर ट्रिब्यूनल ने छत्तीसगढ़ व ओडिशा समेत पांच राज्य सरकारों को नोटिस जारी किया है, जिसमें जल विवाद पर आगामी 6 अगस्त  तक राज्यों के प्रतिनिधि नामित करने को कहा गया है।
केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय ने यह जानकारी देते हुए बताया कि महानदी विवाद पर गठित न्यायाधिकरण ने  अंतर-राज्य नदी जल विवाद नियम-1959 के नियम 4 के अंतर्गत छत्तीसगढ़, ओडिशा, झारखंड, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र राज्य सरकारों को नोटिस जारी किया है, ताकि राज्य 6 अगस्त, 2018 तक महानदी जल विवाद पर निर्णय के लिए अपने प्रतिनिधि नामित कर सकें। इस नोटिस में ट्रिब्यूनल ने यह भी स्पष्ट किया है कि यदि उचित तिथि तक कोई राज्य प्रतिनिधि के रूप में किसी राज्य से नामांकन प्राप्त नहीं होता तो उसके बिना भी महानदी विवाद मामले में निर्णय लिया जा सकता है। इससे पहले केंद्र सरकार ने भी छत्तीसगढ़ और ओडिशा के बीच महानदी विवाद का समाधान निकालने के प्रयास में कई बैठकें की और कई समितियां भी गठित की, लेकिन ओडिशा सरकार इस मामले पर ट्रिब्यूनल के गठन की मांग पर अड़ी रही, जिसके लिए उसने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और सुप्रीम कोर्ट ने ओडिशा सरकार के अनुरोध को मानते हुए केंद्र सरकार को इसके समाधान हेतु ट्रिब्यूनल गठन के आदेश दिये, जिसके बाद केंद्रीय कैबिनेट ने मंजूरी देकर इस न्यायाधिकरण गठन करने की अधिसूचना जारी की।
मार्च गठित हुआ ट्रिब्यूनल
मंत्रालय के अनुसार इससे पहले अंतर-राज्य नदी जल विवाद (आईएसआरडब्ल्यूडी) अधिनियम-1956 के अनुच्छेद 3 के अंतर्गत ओडिशा सरकार के अनुरोध पर केन्द्र सरकार ने गत 12 मार्च 2018 को उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति ए.एम खानविलकर अध्यक्षता में गठित इस तीन सदस्यीय ट्रिब्यूनल की अधिसूचना जारी की थी। इस ट्रिब्यूनल में पटना हाई कोर्ट के न्यायाधीश डा. रवि रंजन और दिल्ली हाई कोर्ट के न्यायाधीश इंदरमीत कौर कोचर को सदस्य के रूप में शामिल हैं। केंद्र सरकार की और से केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय के सचिव यूपी सिंह ने 17 अप्रैल 2018 को आईएसआरडब्ल्यूडी अधिनियम-1956 के धारा 5 (1) के तहत महानदी जल विवाद न्यायाधिकरण के अध्यक्ष और सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति ए.एम. खानविलकर को महानदी जल विवाद की संचिका सौंपते न्यायाधिकरण के अधिकार का संदर्भ दिया था।
सुप्रीम कोर्ट गई थी ओडिशा सरकार
गौरतलब है कि ओडिशा सरकार ने आईएसआरडब्ल्यूडी-1956 की धारा 3 के तहत ओडिशा और छत्तीसगढ़ राज्यों के बीच महानदी जल विवाद को निपटाने के लिए एक अंतरराज्यीय जल विवाद न्यायाधिकरण के गठन के लिए केन्द्र सरकार को पत्र लिखा। मंत्रालय ने एक समझौता समिति का गठन किया। इसकी दो बैठकें हुई। परन्तु ओडिशा ने इसमें भाग नहीं लिया। ओडिशा ने सर्वोच्च न्यायालय में दावा दायर किया। सर्वोच्च न्यायालय ने 23 जनवरी 2018 को दिए अपने आदेश में केन्द्र सरकार से विवाद हल करने के लिए एक न्यायाधिकरण के गठन करने को कहा था।
01June-2018



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