सोमवार, 28 मई 2018

दिल्ली-एनसीआर को जाम व प्रदूषण से मिलेगी राहत


पीएम मोदी ने दी दो एक्सप्रेस-वे परियोजनाओं की सौगात
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जिन दो सड़क परियोजनाओं ‘ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस वे’ तथा ‘दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस वे’ का उद्घाटन किया है उससे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली को यातायात जाम व प्रदूषण से बहुत बड़ी राहत मिलेगी। विशेषज्ञों का मानना है कि इन सड़क मार्गो के शुरू होने से जहां दिल्ली में 41 फीसदी तक जाम और 27 फीसदी तक प्रदूषण में कमी आएगी।
देश के पहले स्मार्ट एवं ग्रीन एक्सप्रेस-वे के रूप में 11 हजार करोड़ की लागत से कुंडली-गाजियाबाद-पलवल के बीच 135 किमी लंबे ‘ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस वे’ को रविवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी द्वारा किये गये उद्घाटन के बाद आवागमन के लिए खोल दिया गया है। वहीं पीएम मोदी ने दिल्ली से मेरठ के बीच 3,918 करोड़ रुपये की लागत वाले करीब 82 किमी लंबे ‘दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस वे’ के पहले चरण में तैयार 14 लेन वाले करीब नौ किमी हिस्से का भी उद्घाटन किया है। इन दोनों परियोजनाओं में ‘ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस वे’ भले ही उत्तर प्रदेश और हरियाणा के शहरों, कस्बों व गांव से होकर गुजरेगा, लेकिन उसका सीधा फायदा दिल्ली को होगा। इसी मकसद से इन सड़क परियोजनाओं को सिरे चढ़ाया गया है। मसलन इन दोनों सड़क परियोजनाओं से अब दिल्ली-एनसीआर को जाम व प्रदूषण से बड़ी राहत मिलेगी। खुद बकौल पीएम मोदी ‘ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस वे’ को आवागमन के लिए खोले जाने के बाद दिल्ली पहुंचने वाले वाहनों की  कम से कम तीस फीसदी कमी आएगी। वहीं विशेषज्ञ मानते हैं कि इन परियोजनाओं के शुरू होने से दिल्ली-एनसीआर में जहां करीब 41 फीसदी यातायात जाम में कमी आएगी, वहीं 27 फीसदी प्रदूषण में भी कमी आना तय है। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की इसी समस्या को लेकर एनजीटी भी सरकार की व्यवस्था को लेकर अनेक बार टिप्पणियां और कई आदेश भी जारी कर चुका है। इसी प्रकार दिल्ली से यूपी या मेरठ की ओर जाने वाले वाहन भी निजामुद्दीन पुल से सीधे नए एक्सप्रेस से बिना किसी रूकावट को आ जा सकेंगे।
इन एक्सप्रेस-वे के अन्य फायदे
ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस वे’ की 135 किमी लंबे सफर को हरियाणा के कुंडली से वाया बागपत व गाजियाबाद से पलवल तक  पूरा करेगा और इस एक्सप्रेस-वे पर सात इंटरचेंज भी हैं, जो एक से दूसरे शहर और हाइवे को जोड़ते हैं। इसलिए बिना दिल्ली में प्रवेश किये बिना अब एक-दूसरे राज्य या शहरों में इस एक्सप्रेस वे का सफर आसान होगा। इस एक्सप्रेस-वे के शुरू होने पर चंडीगढ़, अंबाला, लुधियाना से लेकर जम्मू तक से आने वाले एनएच-1 के वाहनों को आगरा, कानपुर होते हुए देश के दूसरे हिस्सों में जाने के लिए एनएच-2 पर जाने के लिए अब दिल्ली में प्रवेश की जरूरत समाप्त हो गई है। यही नहीं ईपीई के खुलने से कोलकाता से सीधे जालंधर-अमृतसर और जम्मू आने-जाने वाली गाड़ियों खासकर ट्रकों का सफर बेहद आसान हो गया है। खास बात ये भी है कि इस एक्सप्रेस वे में आठ जगह हाइवे नेस्ट होंगे, जिनमें जलपान और खानपान की सुविधाएं मिलेगी। इतना ही नहीं इसके बगल में पेट्रोल पंप, मोटल्स, रेस्ट एरिया, वॉश रूम, रेस्टोरेंट, दुकानें और रिपेयर सर्विस रहेगी। रात्रि के समय अंधकार से निपटने के लिए सोलर पावर और ड्रिप सिंचाई की सुविधा के तहत आठ सोलर पावर प्लांट लगाए गए हैं।
ओवर लोडिंग पर कसा शिकंजा
केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय के सचिव युद्धवीर सिंह मलिक के अनुसार इस ग्रीन एक्सप्रेस-वे के दोनों और प्रवेश नाकों पर ऐसी उच्च स्तरीय तकनीक का इस्तेमाल किया गया है कि यदि ट्रक या दूसरा कोई वाहन ओवरलोड हुआ तो एक्सप्रेस वे के एंट्री गेट नहीं खुलेंगे। इसी लिए कई मायनों में इस एक्सप्रेस-वे को देश के अन्य दूसरे एक्सप्रेस-वे के मुकाबले खास तकनीक से बनाया गया है, जो अभी तक देश के दूसरे किसी भी एक्सप्रेस-वे पर नहीं है। एनएचएआई के अधिकारी आशीष कुमार ने बताया कि यदि  कोई ट्रक या दूसरा ओवर लोडेड वाहन एक्सप्रेस-वे पर आएगा, तो आधुनिक मशीनें उसका वजन कर लेंगी। वाहन के ओवर लोड होने पर एक्सप्रेस वे का एंट्री गेट तो नहीं खुलेगा, लेकिन एग्जिट गेट खुल जाएगा और उस वाहन को एक्सप्रेस-वे से वापस नीचे वाली सड़क पर उतार दिया जाएगा।

कलाकृतियों की श्रृंखला भी आएगी नजर
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के यातायात की समस्या से निपटने के मकसद से तैयार ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस वे’ देश का पहला ऐसा स्मार्ट और ग्रीन एक्सप्रेस वे है, जिसके सफर के दौरान अद्भभुत और भारतीय ऐतिहासिक स्मारकों एवं संस्कृति की कलाकृति भी नजर आएगी। केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी सड़क परियोजनाओं में ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस वे’ पर हरियाणा के कुंडली से लेकर पलवल तक 135 किमी के बीच देश के विभिन्न 36 स्मारकों की आकृति और कलाकृतियों के अलावा 40 फाउंटेन लगाए गये हैं। इस पूरे सफ़र में 406 छोटे-बड़े पुल बनाए गए हैं। उच्च तकनीकों के इस्तेमाल से तैयार इस एक्सप्रेस-वे को आधुनिक तकनीक के रूप में तैयार किया गया है।  8 सोलर प्लांट लगाए गए हैं. जिनसे 4 हज़ार किलो वॉट बिजली का उत्पादन होगा। हर 500 मीटर पर रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाया गया है। क़रीब 2.5 लाख पौधे लगाए गए हैं जिनकी ड्रिप से सिंचाई होगी।
98 गांव भी जुडे
केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के अनुसार इसके खुलने से चार घंटे का सफ़र अब सवा घंटे में पूरा हो जाएगा। यह एक्सप्रेसवे हरियाणा और यूपी के 6 शहरों सोनीपत, बागपत, ग़ाज़ियाबाद, ग्रेटर नोएडा, फ़रीदाबाद और पलवल को जोड़ रहा है, जबकि दोनो राज्यों के 98 गांव भी जुडे हुए हैं, जिसके दायरे में हरियाणा के 32 गांवों सोनीपत जिले के आठ व फरीदाबाद-पलवल जिले के 24 गांव शामिल हैं। जबकि उत्तर प्रदेश के 66 गांव इस एक्सप्रेस-वे के दायरे में शामिल हैं, जिनमें बागपत जिले के 12, गाजियाबाद जिले के 16 तथा गौतमबुद्धनगर के 39 गांव शामिल हैं।
केजीपी में एक नजर
कुल लंबाईः 135 किलोमीटर
कुल  लागतः 5763 करोड़
छोटे-बड़े पुलः 50
रेलवे ओवरब्रिजः 08
इंटरचेंजः 07
फ्वाईओवरः 04
वाहन अंडरपासः 77
पैदल यात्री अंडरपासः152
पुलियाः 116
गेल, आईओसीएल, डीजेबी, आईजीएल के पुलः 14
28May-2018

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें