रविवार, 20 मई 2018

यमुना नदी की परियोजनाओं में आएगी तेजी

एनएमसीजी ने किया असिता परियोजना का निरीक्षण
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
केंद्र सरकार की नमामि गंगे परियोजना के दायरे में यमुना नदी की सफाई के लिए चलाई जा रही यमुना नदी अग्रभाग (रिवर फ्रंट) विकास परियोजना ‘असिता’ में तेजी लाने पर बल दिया गया। यह परियोजना राष्‍ट्रीय राजधानी दिल्ली में नदी की जैव-विविधता को पुनर्जीवित करने के लिए चल रही है।
केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय के अनुसार राष्‍ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के महानिदेशक राजीव रंजन मिश्रा ने शनिवार को दिल्‍ली विकास प्राधिकरण द्वारा कार्यान्‍वित की जा रही यमुना नदी अग्रभाग (रिवर फ्रंट) विकास परियोजना (आरएफडी) का निरीक्षण किया और अधिकारियों से कार्य में तेजी लाने के लिए दिशानिर्देश जारी किये। 
इस परियोजना का एक विशेष फोकस राष्‍ट्रीय राजधानी में नदी की जैव-विविधता को पुनर्जीवित करने पर है। यमुना आरएफडी परियोजना का मकसद बाढ़ से प्रभावित होने वाली जमीन का प्रत्‍यावर्तन,  पुनर्जीवन एवं नवीनीकरण और इसे दिल्‍ली के लोगों के लिए सुलभ कराना है। परियोजना का एक प्रमुख घटक नदी अग्रभाग ‘वॉक्स’ लोगों को यमुना नदी के साथ एक सम्‍बंध विकसित करने में सक्षम बनाएगा। वहीं यमुना नदी के बाढ़ से प्रभावित होने वाली जमीन को हरा-भरा बनाना इस परियोजना का एक महत्‍वपूर्ण घटक है जिस पर फोकस किया जा रहा है।
पहले चरण का काम जारी
एनएमसीजी के महानिदेशक मिश्रा के निरीक्षण के दौरान उनके साथ एनएमसीजी के कार्यकारी निदेशक (परियोजना) हितेश कुमार एस.मकवाना, लैंडस्‍केप की अपर आयुक्त सुश्री पूनम दीवान, डीडीए के पूर्वी क्षेत्र के मुख्य अभियंता संजीव आर्या, बागवानी एवं लैंडस्‍केप के प्रमुख आयुक्त श्रीपाल एवं डीडीए के उपाध्‍यक्ष की सलाहकार सुश्री सविता भंडारी शामिल रहे। इस दल ने पुराने रेल पुल से आईटीओ बैराज तक फैले यमुना के पश्‍चिमी तट तक इस परियोजना के पहले चरण के रूप में किये जा रहे विकास कार्यो का निरीक्षण किया। वहीं विजय घाट के निकट क्षेत्र के एक विस्‍तृत निरीक्षण के बाद इस दल ने डीटीसी डिपो एवं परितयक्त राजघाट बिजली संयंत्र के निकट स्‍थानों पर कार्य का जायजा लिया। इस अवसर पर एक वृक्षरोपण कार्यकलाप भी आरंभ किया गया। इस दौरान राष्‍ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) के महानिदेशक राजीव रंजन मिश्रा को निरीक्षण के दौरान यमुना आरएफडी परियोजना के बारे में जानकारी दी गई।
एनजीटी ने की थी अनुमोदित
नदी के बाढ़ से प्रभावित होने वाली जमीन के प्रत्‍यावर्तन, पुनर्जीवन एवं नवीनीकरण से संबंधित इस व्‍यापक परियोजना को माननीय एनजीटी द्वारा गठित प्रमुख समिति द्वारा अनुमोदित किया गया था। इस परियोजना को ‘असिता’ का नाम दिया गया है जो कि यमुना नदी का दूसरा नाम है। इस परियोजना में नदी के जल की पारिस्‍थ्‍िातकी से संबंधित प्रजातियों के साथ नदी के किनारे लगभग तीन सौ मीटर चौड़े एक हरित बफर क्षेत्र के सृजन की परिकल्‍पना की गई है। इसके अतिरिक्त परिधीय सड़कों के साथ 150 मीटर के एक चौड़े क्षेत्र का हरित मार्ग के रूप में सार्वजनिक सुविधाओं, जिनमें पगडंडी तथा साइकिल ट्रैक का भी विकास किया जाएगा।
परियोजना के ये हैं घटक
यमुना नदी के जल से प्रभावित होने वाली जमीन की पारिस्‍थितकी प्रणाली को पुनर्जीवित करने के लिए, दलदली भूमि का सृजन किया जाएगा, जिससे कि बाढ़ के पानी को भंडारित किया जा सके। वहीं भू-जल पुनर्भरण में भी सुधार लाई जा सके जिसका परिणाम अंततोगत्‍वा नदी के बाढ़ से प्रभावित होने वाली जमीन में जैव-विविधता के फलने-फूलने के रूप में सामने आएगा। नगर के शहरी ताने-बाने में नदी के समेकन के लिए पर्यावरण रूप से जाग्रत दृष्‍टिकोण का अनुसरण किया गया है। नदी की पारिस्‍थितकी प्रणाली के साथ मुक्त रूप से लोगों के परस्पर मिलने-जुलने के लिए एक लोकोन्‍मुखी जैव-विविधता क्षेत्र का सृजन किया जाएगा। 
20May-2018


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