शुक्रवार, 11 मई 2018

नमामि गंगे मिशन की परियोजनाओं में आई तेजी


अगले साल मार्च तक 70-80 फीसदी सफाई की उम्मीद: केंद्र
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
केंद्र सरकार ने महत्वाकांक्षी परियोजना नमामि गंगे मिशन में तेजी से हो रहे काम के मद्देनजर उम्मीद जताई है कि मार्च 2019 तक गंगा को 70 से 80 फीसदी तक साफ कर लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि नमामि गंगे के तहत गंगा से जुड़े राज्यों में 282 परियोजनाओं पर काम किया जा रहा है।
केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्री नितिन गडकरी ने गुरुवार को केंद्रीय स्वच्छ पेयजल मंत्री सुश्री उमा भारती के साथ एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में यह दावा किया। उन्होंने कहा कि नमामि गंगे मिशन में 20,959 करोड़ से ज्यादा लागत वाली 195 स्वीकृत परियोजनाएं तेजी से कार्यान्वित की जा रही हैं, जिसमें 102 परियोजनाएं गंगा और यमुना में प्रदूषण नियंत्रण के लिए 3256 एमएलडी की क्षमता के नए सीवेज शोधन संयंत्र बनाने, 887 एमएलडी की क्षमता वाले मौजूदा एसटीपी के पुररूद्धार और 4722 किमी का सीवर नेटवर्क तैयार करना शामिल हैं। उन्होंने कहा कि पिछले एक साल से सीवेज क्षेत्र में एक बड़ा बदलाव करते हुए सरकार ने हाइब्रिड वार्षिकी पीपीपीमोड के तहत वाराणसी व हरिद्वार में काम शुरू किया है। इसके अलावा घाट एवं शमशान के अलावा नदी तट विकास, नदी सतह की सफाई, जैव-विविधता संरक्षण, वनीकरण, ग्रामीण स्वच्छता जैसे कार्य भी किये जा रहे हैं। उनका कहना है कि इस अभियान में सरकार को कुल 282 परियोजनाओं पर काम करना है, जिसे देखते हुए उम्मीद है कि मार्च 2019 तक 70 से 80 प्रतिशत गंगा को साफ हो जाएगी।
दस शहरों का प्रदूषण बड़ी बाधा
गडकरी ने बताया कि गंगा को प्रदूषित करने वाले 97 शहरों की पहचान की गई है, जिनमें दस शहरों से 70 प्रतिशत प्रदूषण गंगा की सफाई में बाधा बना हुआ है। इन शहरों में हरिद्वार, कानपुर, वाराणसी, इलाहाबाद, पटना, भागलपुर व फरूखाबाद जैसे शहर भी शामिल है। सबसे ज्यादा कानपुर का चमड़ा उद्योग गंगा सफाई अभियान में अडचन बना हुआ है। उन्होंने बताया कि 1109 ऐसे उद्योग चिन्हित किये गये हैं, जिनका प्रदूषित जल सीधे गंगा में पड़ रहा था। ऐसे उद्योगों के खिलाफ कार्रवाही अमल में लाते हुए शोधन संयंत्र लगाने के निर्देश दिये गये हैं, जिनमें 318 को बंद करा दिया गया है, जबकि 618 उद्योगों की रियल टाइम निगरानी की जा रही है। उन्होंने बताया कि गंगा में पड़ने वाले 211 मुख्य नालों की और पहचान की गई है, जिन्हें रोककर जल शोधन संयंत्र लगाने की योजना बनाई गई है।
गंगा किनारे गांव खुले शौचमुक्त
इस मौके पर केंद्रीय पेयजल और स्वच्छता सूश्री उमा भारती ने कहा कि पांच राज्यो में गंगा के किनारे करीब 4470 गांव पूरी तरह से खुले शौचमुक्त यानि ओडीएफ हो गये हैं। अब इन गांवों में ओडीएफ प्लस की रणनीति पर काम शुरू किया गया है। भारती ने कहा कि सॉलिड-तरल अपशिष्ट प्रबंधन, वृक्षारोपण, गांवों और कस्बों को प्लास्टिक मुक्त और जागरूकता कार्यक्रम बनाने के उपाय अपनाए जा रहे हैं। सुश्री भारती ने कहा कि उनका मंत्रालय गंगा ग्रैन प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है जो गांवों की सक्रिय भागीदारी के साथ गंगा नदी के किनारे स्थित गांवों के समग्र विकास पर आधारित है। कार्बनिक खेती, जल संरक्षण परियोजना, ठोस और तरल अपशिष्ट का उचित निपटान और गंगा ग्राम में तालाबों के नवीनीकरण पर जोर दिया जाएगा।
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स्वच्छ गंगा कोष में 250 करोड़ रुपये जमा
गंगा सफाई में पूरे देश का होगा योगदान: गडकरी
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
केंद्र सरकार के गंगा स्वच्छता अभियान में जन भागीदारी के लिए बनाए गये स्वच्छ गंगा कोष में अब तक 250 करोड़ रुपया जमा हो चुका है। इस अभियान में सरकार चाहती है कि देश का हर नागरिकत अपना योगदान दे। इसके लिए राष्ट्रपति से लेकर जनप्रतिनिधि और नौकरशाह से लेकर गरीब आदमी तक के योगदान की अपील की गई है।
यह बात गुरुवार को एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान केंद्रीय जल संसाधन मंत्री नितिन गडकरी ने बताते हुए कहा कि गंगा स्वच्छता अभियान को एक जनांदोलन बनाकर आगे बढ़ाया गया है। उन्होंने बताया कि सितंबर 2014 में केंद्रीय कैबिनेट की मंजूरी मिलने के बाद से कोष में अब तक 250 करोड़ रुपए मिले हैं।  स्वच्छ गंगा कोष (सीजीएफ) में दी गई रकम पर शतप्रतिशत कर मुक्त है। गडकरी ने कहा कि नदी को साफ करने की कोशिशों के लिए कोष में मदद करने को लेकर कम से कम एक करोड़ लोगों को आगे आना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार ने नदी को प्रदूषण से निजात दिलाने की कोशिश में मदद के लिए इस कोष की स्थापना की है और वह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, मंत्रियों, सांसदों और विधायकों तथा लोगों से इस कोष में अपना एक महीने का वेतन दान करने का भी अनुरोध करेंगे। लोगों और संगठनों से स्वैच्छिक दान लेने के लिए यह कोष बनाया गया है।
राष्ट्रपति को लिखा पत्र
गडकरी ने कहा कि उन्होंने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को पत्र लिख कर उनसे अपना एक महीना का वेतन ‘स्वच्छ गंगा कोष’ में दान करने का अनुरोध किया है। उन्होंने कहा कि वह देशभर के तमाम जनप्रतिनिधियों को पत्र लिखने जा रहे हैं कि वे एक माह का वेतन इस कोष में जमा कराकर अपना योगदान करें। उन्होंने नौकरी पेशा और तमाम छोटे कारोबारियों के अलावा विभिन्न क्षेत्रों में कार्य करने वाले लोगों से भी अपील की है कि वे भी इस कोष में अपना योगदान दें। उन्होंने कहा कि इसमें योगदान देने से गंगा की स्वच्छता के प्रति देश के हर नागरिक अपनी जिम्मेदारी महसूस कर सकेगा। उन्होंने कहा कि नमामि गंगे मिशन की परियोजनाओं में प्रवासी भारतीय भी योगदान दे रहे हैं। 
11May-2018

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