सोमवार, 7 मई 2018

कैराना लोकसभा उपचुनाव: भाजपा के खिलाफ मजबूत हुआ विपक्ष


अब सपा प्रत्याशी तबस्सुम ने ली रालोद की सदस्यता
.पी. पाल. नई दिल्ली।
पश्चिम उत्तर प्रदेश की कैराना लोकसभा सीट उप चुनाव के लिए गरमाती सियासत में सपा-रालोद गठबंधन ने जाट-मुस्लिम-दलित समीकरण साधने के इरादे से अपनी रणनीति में बदलाव किया है। मसलन सपा की उम्मीदवार तबस्सुम हसन ने रालोद के  चुनाव चिन्ह पर भाजपा प्रत्याशी का मुकाबला करने के लिए रालोद की सदस्यता ग्रहण कर ली है।
यूपी की कैराना लोकसभा और नूरपुर विधानसभा सीटों पर सपा रालोद के गठबंधन में भजापा के खिलाफ अब ऐसा नया सियासी मोड़ गया है, जिसमें भाजपा की मुश्किलें बढ़ना तय माना जा रहा है। मसलन इन सीटों पर जाट-मुस्लिम-दलित समीकरण के आधार पर नई रणनीति के साथ महागठबंधन तैयार किया गया है। सपा रालोद गठबंधन के तहत खासतौर पर कैराना लोकसभा सीट पर सपा की प्रत्याशी तबस्सुम हसन और नूरपुर विधानसभा सीट पर रालोद प्रत्याशी को उप चुनाव में उतारने का फैसला हो चुका था, लेकिन कैराना लोकसभा के उप चुनाव लिए बसपा कांग्रेस जैसे विपक्षी दलों के समर्थन से तैयार हुई नई रणनीति में कैराना संसदीय सीट पर तबस्सुम हसन को ही प्रत्याशी रखने पर सहमति बनने के बाद उन्होंने रविवार को रालोद की औपचारित सदस्यता ग्रहण कर ली है, इसकी पुष्टि रालोद ने कर दी है। गौरतलब है कि इन उप चुनाव के लिए भाजपा के खिलाफ यह नई रणनीति सपा प्रमुख अखिलेश यादव रालोद प्रमुख चौधरी अजित सिंह के बीच हुई चर्चा के बाद तय की गई है। सूत्रों के अनुसार इस रणनीति को कांग्रेस बसपा ने भी समर्थन देने का फैसला किया है। राजनीतिकारों का मानना है कि उपचुनाव में विपक्षी दलों का यह मजबूत होता महागठबंधन आगामी लोकसभा चुनाव में भाजपा का मुकाबला करने की तैयारी के रूप में देखा जा रहा है।
जातिगत गठजोड की अहम भूमिका
राजनीतिज्ञों के अनुसार सपा-रालोद गठबंधन के सहारे 2004 के लोकसभा चुनाव में कैराना लोकसभा सीट से रालोद प्रत्याशी अनुराधा चौधरी को बहुत बड़े अंतर से जीत मिली थी। उसी आधार पर रालोद ने सपा से इस सीट पर रालोद प्रत्याशी को साझा उम्मीदवार बनाने की वकालत की है। चूंकि सपा दिवंगत पूर्व सांसद चौधरी मन्नवर हसन की पत्नी तबस्सुम हसन को उप चुनाव में अपना प्रत्याशी घोषित कर चुकी है, जो इस सीट से सपा की सांसद भी रह चुकी हैं। राजनीति के जानकारों के अनुसार वैसे भी कैराना संसदीय क्षेत्र में जाट, गुर्जर, दलित, पिछड़े और मुस्लिम वोटरों का ध्रुवीकरण की महत्वपूर्ण भूमिका मानी जा रही है।
भाजपा की बढ़ी मुश्किलें
कैराना लोकसभा सीट पर भाजपा के खिलाफ अन्य विपक्षी दलों के समर्थन से सपा-रालोद गठबंधन की इस नई रणनीति ने कैराना उप चुनाव के लिए लगाए जा रहे सभी कयासों को बदल दिया। हालांकि कैराना लोकसभा क्षेत्र में शामिल पांच विधानसभाओं में दिवंगत हुकुम सिंह की सभी बिरादियों में अच्छी पकड़ रही है और भाजपा उनकी इसी सहानुभूति के सहारे उनकी सुपुत्री मृंगाका सिंह को उम्मीदवार बनाने की तैयारी में है। इसके बावजूद विपक्ष के जातिगत गठजोड की मजबूती से तैयार की गई रणनीति के सामने भाजपा के लिए इस उप चुनाव की डगर आसान नहीं है।
07May-2018
  

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें